गंगा दशहरा भारत में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। इसे गंगावतरण के नाम से भी जाना जाता है। यह पवित्र नदी गंगा के पृथ्वी पर आने का प्रतीक है।
गंगा दशहरा ज्येष्ठ के हिंदू कैलेंडर महीने में बढ़ते चंद्रमा के 10वें दिन होता है और इस अवसर पर लोग गंगा में डूबकी लगाने और अनुष्ठान करने को शुभ मानते हैं। आइए आज इस त्योहार से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
गंगा दशहरा कब है?
इस साल गंगा दशहरा 30 मई, 2023 यानी मंगलवार को मनाया जाएगा।इस बार हस्त नक्षत्र में और व्यतीपात योग में गंगा दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा। यह एक तरह का शुभ मुहूर्त है।हस्त नक्षत्र के प्रारंभ का समय सुबह 04:29 बजे से शाम 06:00 बजे तक है, जबकि व्यतिपात योग के प्रारंभ होने का समय शाम 08:55 बजे से अगले दिन की सुबह 08:15 बजे तक है।
क्या है गंगा दशहरा का इतिहास?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा भागीरथ ने भगवान शिव से अपने पूर्वजों की आत्माओं को शुद्ध करने और उन्हें मोक्ष प्रदान कराने की मांग की और यह समझाया कि शक्तिशाली गंगा को पृथ्वी पर लाना एक अच्छा कार्य है।इसके बाद भगवान शिव ने गंगा के शक्तिशाली प्रवाह को नियंत्रित करने में कामयाबी हासिल की और उसे बिना विनाश के पृथ्वी पर उतारा गया।हिंदू पौराणिक कथाओं में यह एक महत्वपूर्ण घटना का प्रतीक है।
गंगा दशहरा का महत्व
यह त्योहार धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है क्योंकि यह पवित्र नदी की सफाई और शुद्धिकरण शक्तियों को चिह्नित करता है।श्रद्धालु गंगा के किनारे इकट्ठा होते हैं और तरह-तरह के अनुष्ठान करते हैं। इसके साथ ही खुद को पापों से मुक्त करने के लिए नदी में डुबकी लगाते हैं।गंगा दशहरा न केवल जीविका के भौतिक स्रोत, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि के तौर पर लाखों लोगों के जीवन में गंगा नदी की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है।
गंगा दशहरा कैसे मनाएं?
गंगा दशहरा मनाने के लिए कई लोग प्रयागराज, गढ़मुक्तेश्वर, हरिद्वार, ऋषिकेश और वाराणसी की तीर्थ यात्रा करते हैं, जहां वे गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं।वाराणसी शहर विशेष रूप से गंगा दशहरा के दौरान अपने जीवंत उत्सवों के लिए प्रसिद्ध है, जहां के दशाश्वमेध घाट पर आयोजित गंगा आरती समारोह में कई लोग भाग लेते हैं।इस मौके पर कई लोग अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए मटका, पंखा और खरबूजा आदि भी दान करते हैं।