Panch Prayag: भारत हमेशा अपनी धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है। देश के हर कोने में हमें धार्मिक स्थल मिल जाएंगे... और इन स्थलों की खूबसूरती बढ़ाते है हमारी नदी, पहाड़ और वन...।  हमारे ग्रंथ और भव्य मंदिर ये दर्शाते हैं कि हमारी जड़े ही धर्म है। इन्ही जड़ों को मजबूत करती हैं वो नदियां जो सदियों से जीवन दायनी के रूप में कार्य कर रही है।
 
आज के इस लेख वीडियो में हम जानेंगे उन पञ्च प्रयाग के बारे में जिनका इतिहास भी नदियों से जुड़ा है... 
उत्तराखंड के पंच प्रयाग विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, और देवप्रयाग के नाम से आना जाता है। प्रयाग शब्द का तात्पर्य उस स्थान से होता है जहाँ नदियों का संगम होता है... जिस स्थान पर दो नदियाँ मिलती है उस स्थल को हम प्रयाग कहते है।
  
उत्तराखंड में जिन पांच जगह पर भागीरथी नदी में कोई अन्य नदी मिलती है उसे पंच प्रयाग कहा गया... जिस स्थान पर गंगा नदी में दो से अधिक नदियो का संगम हुआ उस स्थान को प्रयागराज कहा गया... यह स्थान उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में स्थित है। 

आइये जानते पंच प्रयाग का इतिहास को... उत्तराखण्ड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित देवप्रयाग एक बेहद पवित्र प्रयाग है क्यूंकि इसी जगह पर गंगोत्री से आने वाली भागीरथी नदी और बद्रीनाथ धाम से आने वाली अलकनन्दा का संगम होता है और देवप्रयाग से ही यह नदी गंगा के नाम से भारत भर में बहती है। ऋषिकेश से देवप्रयाग की दूरी लगभग 74 किलोमीटर है। भागीरथी और अलकनन्दा के संगम के साथ-साथ इस स्थान पर सबसे बड़ा आकर्षण रघुनाथ मन्दिर भी है। 

दूसरे प्रयाग के रूप में नाम आता है रुद्रप्रयाग का... इस पावन स्थल पर केदारनाथ धाम से आने वाली मन्दाकिनी नदी और बद्रीनाथ से आने वाली अलकनन्दा नदी का संगम होता है।
इस स्थल के बारे में मान्यता है कि नारद मुनि ने संगीत को जानने के लिये यहाँ तपस्या की थी इससे खुश होकर भगवान् शिव यहाँ रूद्र रूप में प्रगत हुए थे... और नारद मुनि को वीणा बजाना सिखाया था। रुद्रप्रयाग संगम से 3 किलोमीटर दूर स्थित कोटेश्वर मंदिर आस्था का प्रमुख केन्द्र भी है।

तीसरे प्रयाग के रूप में आता है कर्णप्रयाग.... यह उत्तराखण्ड के चमोली जिले में स्थित है। यहाँ पर अलकनन्दा और पिंडर ( जिसे कर्णगंगा भी कहा जाता है ) नदी का संगम है... यह स्थान महाभारत के वीर कर्ण के नाम पर है। कर्णप्रयाग के मुख्य आकर्षण में उमा मन्दिर और कर्ण मन्दिर है। 

चौथा प्रयाग चमोली जनपद में स्थित नन्दप्रयाग है... यहाँ पर नंदाकिनी नदी और अलकनंदा नदी का संगम है...पौराणिक कथानुसार भगवान कृष्ण के पिता नन्द ने इसी स्थान पर पुत्र प्राप्ति के लिये एक महायज्ञ किया था इसके अलावा एक दूसरी कथा के अनुसार नंदप्रयाग को दुष्यन्त और शकुन्तला से भी जोड़ा जाता है। नंदप्रयाग में मुख्य पर्यटन स्थल में संगम पर बना शिव जी का भव्य मन्दिर, गोपाल जी मन्दिर, चंडिका मंदिर आदि है।

पांचवा प्रयाग है विष्णु प्रयाग... यह चमोली जनपद के अंतर्गत आता है। यहाँ पर अलकनंदा और विष्णुगंगा नदी का संगम होता है... इस विष्णुगंगा नदी को धौलीगंगा भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार यहाँ पर नारद मुनि ने भगवान् विष्णु की तपस्या की थी और श्री हरि ने नारद मुनि को दर्शन भी दिए थे। 

आपको ये जानकारी कैसी लगी नीचे कमेंट बॉक्स में अपने विचार जरुर शेयर करें। ऐसी ही और अन्य जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट क्लिक कीजिए।

By pratik khare

पत्रकार प्रतीक खरे झक्कास खबर के संस्थापक सदस्य है। ये पिछले 8 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने कई समाचार पत्र, पत्रिकाओं के साथ - साथ समाचार एजेंसी में भी अपनी सेवाएं दी है। सामाजिक मुद्दों को उठाना उन्हें पसंद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights