Pitru Paksha: सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। पितृपक्ष की शुरुआत प्रत्येक वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा के साथ होती है साथ ही आश्विन मास में इसका समापन होता है। पितृपक्ष को पितरों का तर्पण और श्राद्ध कर्म आदि करने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत 28 सितंबर 2023 से हो रही है, जिसका समापन 14 अक्टूबर 2023 को होगा।
बेलपत्र
बेलपत्र भगवान शिव जी को प्रिय है। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यदि आप पितृपक्ष के दौरान बेलपत्र का पौधा अपने घर पर लगाते हैं, तो इससे पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति मिलती है। वहीं अमावस्या के दिन भगवान शिव को बेलपत्र और गंगाजल अर्पित करने से पितरों को मुक्ति प्राप्त होती है।
तुलसी का पौधा
तुलसी को सनातन धर्म में बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है। यदि पितृपक्ष के दौरान तुलसी का पौधा लगाया जाता है और उसकी अच्छे से देखभाल की जाती है। तो निश्चित रूप से पितरों का आशीर्वाद व्यक्ति पर बना रहता है। वहीं, नियमित रूप से तुलसी में जल अर्पित (रविवार और एकादशी तिथि को छोड़कर) करने और उसकी पूजा करने से पितरों को तृप्ति मिलती है।
अशोक का पेड़
अशोक का पेड़ भी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसे घर में लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है, साथ ही पितृ दोष की समस्या से भी व्यक्ति को छुटकारा मिलता है। ऐसे में पितृपक्ष के दौरान घर में अशोक का पेड़ जरूर लगाना चाहिए।
बरगद का पेड़
हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ को आयु देने वाला माना गया है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है तो उसे बरगद का वृक्ष लगाने से लाभ मिल सकता है। वहीं, बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव की पूजा करने और पेड़ की परिक्रमा करने से पितरों को मुक्ति मिल सकती है।
पीपल का पेड़
पीपल के पेड़ का भी सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इसे बेहद ही पवित्र माना गया है। इस पेड़ में सभी देवी-देवताओं और पितरों का वास माना गया है। इसीलिए पीपल के पेड़ की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे में पीपल के पेड़ के नीचे नियमित रूप से दीपक जलाएं और उसमें जल डालें। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही पीपल का पेड़ लगाने से व्यक्ति को लाभ मिल सकता है।
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