राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर जिन्हें लोग प्यार से गुरुजी के नाम से ही बुलाते है। 19 फरवरी 1906 को नागपुर में सदाशिव राव गोलवलकर के घर जन्मे माधव गोलवलकर जो बाद में गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध हुए, संघ के संपर्क में 1931 में उस समय आए जब वे बीएचयू में अध्यापन के लिए आए थे। प्राणिशास्त्र के व्याख्याता थे। अध्यापक गोलवलकर तो हाकी और टेनिस खेलने के शॉकिन थे परंतु उनसे संपर्क करने वाले स्वयंसेवकों को भी कहां मालूम था कि आगे चलकर सरसंघचालक का दायित्व निभाने वाले हैं। 1932 ई. में जब गर्मी की छुट्टी में नागपुर पहुंचे थे तब प्रथम बार उनकी मुलाकात संघ संस्थापक डा. हेडगेवार से हुई थी। 1933 में नौकरी छोड़ संघ कार्य में लग गए।
इस बीच 1934 में वे रामकृष्ण मिशन के स्वामी अखंडानंद जी के शिष्य बन गए, लेकिन 1937 में वापस आकर फिर संघ कार्य में लग गए। वे अलग अलग दायित्व का निर्वाह करते हुए सरकार्यवाह बनाए गए। जून 1940 में संघ शिक्षा वर्ग के दौरान डा. हेडगेवार की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। 20 जून था। उस समय उनहोंने उपस्थित लोगों के सामने गुरुजी से कहा, मैं बच गया तो ठीक, अन्यथा संघ का संपूर्ण कार्य आप संभालिए। 21 जून 1940 को डा. हेडगेवार का निधन हो गया और गुरुजी सरसंघचालक बने। वह वर्ष 1940 से 1973 तक सरसंघचालक के पद पर रहे।
आज की इस खबर में हम पूज्यनीय श्रीगुरुजी के जीवन की झांकी छायाचित्रों के माध्यम से प्रदर्शित करने का एक सूक्ष्म प्रयास कर रहे जो इस प्रकार है….
स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए श्रीगुरुजी। (08 सितंबर 1949 कोलकाता)
श्रीगुरुजी के द्वारा ध्वजारोहण। (8 सितंबर 1949 कोलकाता)
श्रीगुरुजी के द्वारा ध्वजारोहण। (1949 हुबली , कर्नाटक)
सरदार पटेल जयंती समारोह पर लाल किले में श्रीगुरुजी और डॉ राम मनोहर लोहिया (दिल्ली)
स्मृतिमन्दिर (नागपुर) में स्वामी चिन्मयानंद और श्रीगुरुजी।
स्मृतिमन्दिर (नागपुर) में स्वामी चिन्मयानंद और श्रीगुरुजी।
पूज्यनीय डॉ जी की समाधि (प्रारंभिक अवस्था)
पूज्यनीय श्रीगुरुजी की जन्म पत्रिका
जन्म: 19/02/1906 प्रातः 4:34 , नागपुर
दशमी सह एकादशी , माघ कृष्ण एकादशी , शके 1827
संत विनोबा भावे जी के साथ श्रीगुरुजी।
प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री जी द्वारा पाकिस्तान के आक्रमण के पश्चात आमंत्रित आपात बैठक में श्रीगुरुजी (1965 दिल्ली)
पं० दीनदयाल उपाध्याय जी द्वारा लिखित पुस्तक “पॉलिटिकल डायरी” के विमोचन समारोह में श्रीगुरुजी के साथ श्री कन्हैयालाल जी मुंशी।
श्री भैय्याजी दाणी की सुपुत्री के शुभ विवाह में उपस्थित निमंत्रित महानुभावों का गुलाबजल से स्वागत करते हुए श्री गुरुजी।
सभा को संबोधित करते हुए श्रीगुरुजी। साथ में श्री यादवराव जोशी , श्री भैया जी दाणी। (1949 हुबली – कर्नाटक)
सभा को संबोधित करते हुए श्रीगुरुजी। साथ में श्री यादवराव जोशी , श्री भैया जी दाणी। (1949 हुबली – कर्नाटक)
राष्ट्र सेविका समिति के सेविका बहनों के साथ श्री गुरुजी। (1949 , रायपुर)
पूज्यनीय श्रीगुरुजी वर्ष में 2 बार देश का भ्रमण करते थे और प्रतिदिन पत्र लिखते थे। अंतिम दिन 5 जून 1973 को भी उन्होंने पत्र लिखा।【 पूज्य श्रीगुरुजी द्वारा स्वयंसेवकों को लिखे गए अंतिम पत्र】
विचार में निमग्न श्रीगुरुजी।
महात्मा गांधीजी के चित्र को पुष्पाहार चढ़ाते हुए श्री गुरुजी । ( 26 अगस्त 1949 , जयपुर )
पूज्यनीय श्रीगुरुजी हर कार्य में दूरदृष्टि रखते थे।
चेन्नई एक्वेरियम के प्रमुख के साथ खड़े पूज्यनीय श्री गुरुजी – 1928
परम पूज्यनीय श्रीगुरुजी के पिताजी, श्री सदाशिवराव गोलवलकर (भाऊजी)
पूजनीय श्री गुरुजी सारगाछी से लौटने के पश्चात – 1938
यहीं से उनके जीवन की नई दिशा शुरू हुई।
पूज्यनीय श्री गुरुजी के सद्गुरु श्रद्धेय स्वामी अखंडानंद जी (सारगाछी ) स्वामी अखंडानंद जी ने शिष्योत्तम श्री गुरुजी को प्रसाद के रूप में दिया हुआ कमंडल जिसे श्रीगुरु जी सदैव अपने साथ रखते थे।
मुक्त हो गगन सदा
स्वर्ग सी बने मही।
संघ साधना यही
राष्ट्र अर्चना यही।।
शिवानी (म०प्र०) कारागृह में श्रीगुरुजी (नवंबर 1948)
माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर जी को
” गुरुजी ” नाम BHU के विद्यार्थियों ने दिया।
भारत माता की जय
प्रमोद सनातनी
डेरापुर खंड संपर्क प्रमुख
जय श्री राम
पूज्य गुरुजी की चित्रांजलि बहुत सुन्दर है। इसे प्रस्तुत करने के लिए बहुत बधाई।