भारत में एक से एक खूबसूरत और भव्य मंदिर हैं, जो लोगों का मन मोह लेते हैं। इन मंदिरों को देखने के लिए सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। यहां ऐसे कई मंदिर हैं, जिन्हें चमत्कारी और रहस्यमय माना जाता है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो रहस्यों से भरे हुए हैं, लेकिन उन रहस्यों को आज तक कोई भी सुलझा नहीं पाया है।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मां दुर्गा को समर्पित एक मंदिर है, जिसे ज्वाला जी मंदिर या ज्वालामुखी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के केंद्र में एक दीपक जल रहा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह अनादि काल से जलता आ रहा है और हमेशा जलता रहता है। इस दीपक से नीली लौ निकलती है। यह एक रहस्य ही है।
कर्नाटक के हम्पी में स्थित विरुपाक्ष मंदिर अपने आप में एक रहस्य है। कहते हैं कि इस मंदिर में कुछ ऐसे स्तंभ हैं, जिनसे संगीत निकलता है। इन्हें म्यूजिकल पिलर्स के नाम से जाना जाता है। इन स्तंभों के बारे में कहा जाता है कि एक बार अंग्रेजों ने यह जानने के लिए कि स्तंभों से संगीत कैसे निकलता है, उन्हें काट कर देखा, लेकिन अंदर का नजारा देख कर वो भी हैरान रह गए, क्योंकि अंदर तो कुछ था ही नहीं। स्तंभ बिल्कुल खोखला था।
कर्नाटक से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शिवगंगे मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर बना हुआ है। कहते हैं कि यहां की पूरी पहाड़ी शिवलिंग जैसी दिखती है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां मौजूद शिवलिंग पर घी चढ़ाने के बाद वो रहस्यमय तरीके से मक्खन में बदल जाता है। यह आज भी एक रहस्य ही बना हुआ है।
आंध्र प्रदेश में स्थित लेपाक्षी मंदिर वास्तुशिल्प का एक चमत्कार है। मंदिर परिसर में एक लटकता हुआ स्तंभ है, जो जमीन पर नहीं टिका है। इसके अलावा यहां एक ऐसा पत्थर भी है, जिसपर एक पदचिह्न है। इस पदचिह्न के बारे में कहा जाता है कि यह माता सीता का है। आश्चर्य करने वाली बात ये है कि यह पदचिह्न हमेशा गीला रहता है। इसे कितना भी सुखा दिया जाए, लेकिन इसमें फिर अपने आप पानी भर जाता है। यह अब तक रहस्य ही बना हुआ है कि आखिर इसमें पानी आता कहां से है।
कर्नाटक के हासन में स्थित हसनंबा मंदिर रहस्यों से भरा हुआ है। यह मंदिर साल में सिर्फ एक हफ्ते के लिए (दीपावली पर) ही खुलता है और फिर पूजा-पाठ के बाद मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, जो फिर अगले साल ही खुलता है। कहते हैं कि मंदिर के दरवाजे बंद करने से पहले दीपक जला दिया जाता है, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि जब एक साल बाद जब दरवाजा खोला जाता है तो वो दीपक जलता ही रहता है, जबकि उसमें सीमित मात्रा में ही तेल डाल कर छोड़ दिया जाता है। इसके अलावा देवी हसनंबा पर जो फूल चढ़ाए जाते हैं, वो एक साल बाद भी ताजा ही रहते हैं।