22 फरवरी वर्ष 1994, दिन था मंगलवार। स्थान नई दिल्ली, भारतीय संसद। जहाँ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया जाता है। पारित प्रस्ताव में दोहराया जाता है कि जम्मू-कश्मीर के कब्जे वाले क्षेत्रों को भारत वापस लेगा।
यही कारण है कि प्रतिवर्ष “फरवरी 22” को पीओजेके संकल्प दिवस के रूप में याद किया जाता है। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर और लदाख के साथ-साथ हमें चीन के अधिकृत लदाख की भी बात करनी चाहिए।
जम्मू-कश्मीर का कुल क्षेत्रफल 2,22,236 वर्ग किलोमीटर है। इसका लगभग 45 प्रतिशत भारत के पास है। बाकी का बचा हुआ क्षेत्र पाकिस्तान और चीन के अवैध कब्जे में है।
पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर की बात करे तो यहाँ मीरपुर और मुजफ्फराबाद जिले आते है जिसका क्षेत्रफल 13,297 वर्ग किलोमीटर है। वहीं पाकिस्तान अधिकृत लद्दाख में गिलगित और बाल्टिस्तान का 64,817 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आता है।
वहीं चीन के कब्जे वाले क्षेत्र की बात करे तो जहाँ चीन ने हमारे अक्साई चीन और शाक्सगम वैली की लगभग 37,555 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है। इस संकल्प दिवस पर हमें पाकिस्तान अधिकृत भूमि के साथ-साथ चीन अधिकृत भूमि के लिए भी संकल्पित होना होगा।
अनुच्छेद- 370 की समाप्ति के बाद जम्मू कश्मीर बदल चुका है, आजादी के बाद राजनैतिक षड्यंत्र का शिकार बनाया गया आज का केंद्र शासित जम्मू कश्मीर विकास के नए कीर्तिमान लिख रहा है। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को चौड़ा करने का कार्य हो या रेलवे लाइन, जम्मू-अखनूर हाईवे का विस्तारीकरण का कार्य हो या टनलों का कार्य, दो एम्स, आइआइटी, आइआइएम, जम्बू जू का निर्माण हजारों युवाओं को रोजगार और शिक्षा जम्मू कश्मीर के भाग्योदय के प्रमाण हैं।
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान अधिग्रहण कश्मीर की स्थिति दयनीय होती जा रही है। आतंकवाद, बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी से लोगों का जीवन बेहाल है। पीओजेके में आयदिन स्थानीय लोग पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन करते रहते हैं। लोग सेना की तानाशाही और बर्बरता से नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। वर्ष 2023 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान से आने वाले कश्मीरी प्रवासियों ने यूनाइटेड किंगडम के बर्मिंघम में पाकिस्तान वाणिज्य दूतावास के बाहर पैतृक क्षेत्रों में चल रहे अत्याचारों के प्रति जोरदार आवाज उठाई और रोष प्रदर्शन किया था।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे एक प्रदर्शनकारी मिर्जा असलम ने कहा, “हम गिलगित बाल्टिस्तान के लोगों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान में लोगों पर हो रहे अत्याचार को प्रवासी स्वीकार नहीं करेंगे। हम, प्रवासी समुदाय के सदस्य हमारे लोगों के खिलाफ होने वाले सभी प्रकार के अत्याचारों को उजागर करेंगे और उनका विरोध करेंगे। गिलगित बाल्टिस्तान की जनसांख्यिकी बदल दी गई है।
एक तरफ कंगाल पाकिस्तान की सरकार दुनिया के आगे भीख का कटोरा लिए खड़ा है तो दूसरी तरफ उससे देश संभाले नहीं संभल रहा है। अनाधिकृत रूप से कब्जाए गये कश्मीरी हिस्से के लोग सरकार और सेना के विरुद्ध नारे लगा रहे हैं।
लेकिन अब वह दिन दूर नहीं जब पीओजेके भारत का हिस्सा होगा और विकास के नए कीर्तिमान लिखेगा।