Red Fort History: भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित लाल किला (Lal Kila) देश की आन-बान शान और देश की आजादी का प्रतीक है। मुगल काल में बना यह ऐतिहासक स्मारक विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल है और भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। लाल किला के सौंदर्य, भव्यता और आर्कषण को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं और इसकी शाही बनावट और अनूठी वास्तुकला की प्रशंसा करते हैं।
यह शाही किला मुगल बादशाहों का न सिर्फ राजनीतिक केन्द्र है बल्कि यह औपचारिक केन्द्र भी हुआ करता था, जिस पर करीब 200 सालों तक मुगल वंश के शासकों का राज रहा। देश की जंग-ए-आजादी का गवाह रहा लाल किला मुगलकालीन वास्तुकला, सृजनात्मकता और सौंदर्य का अनुपम और अनूठा उदाहरण है।
1648 ईसवी में बने इस भव्य किले के अंदर एक बेहद सुंदर संग्रहालय भी बना हुआ है। करीब 250 एकड़ जमीन में फैला यह भव्य किला मुगल राजशाही और ब्रिटिशर्स के खिलाफ गहरे संघर्ष की दास्तान बयां करता हैं। वहीं भारत का राष्ट्रीय गौरव माने जाना वाला इस किले का इतिहास बेहद दिलचस्प है, आइए जानते हैं लाल किला का इतिहास, इसकी शाही बनावट और इससे जुड़े को अनसुने और रोचक तथ्यों के बारे में –
लाल किला का इतिहास
किले का नाम | लाल किला (Red Fort) |
निर्माण की अवधी एवं साल (Lal Kila Kisne Banaya Tha) | 12 मई 1639 – 6 अप्रैल 1648 (8 साल 10 माह 25 दिन) |
वास्तू का स्थान (Lal Kila Kahan Sthit Hai) | पुरानी दिल्ली (भारत) |
वास्तू निर्माण के समय का शासक | मुगल सम्राट शाहजहान (Mughal Emperor Shahjahan) |
वास्तुकार एवं प्रमुख नेतृत्वकार(Architect) | उस्ताद अहमद लाहौरी |
दिल्ली का लाल किला कब और किसने बनवाया और इसका इतिहास
राजधानी दिल्ली में स्थित भारतीय और मुगल वास्तुशैली से बने इस भव्य ऐतिहासिक कलाकृति का निर्माण पांचवे मुगल शासक शाहजहां ने करवाया था। यह शानदार किला दिल्ली के केन्द्र में यमुना नदी के तट पर स्थित है, जो कि तीनों तरफ से यमुना नदीं से घिरा हुआ है, जिसके अद्भुत सौंदर्य और आर्कषण को देखते ही बनता है।
विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल दुनिया के इस सर्वश्रेष्ठ किले के निर्माण काम की शुरुआत मुगल सम्राट शाहजहां द्धारा 1638 ईसवी में करवाई गई थी। भारत के इस भव्य लाल किले का निर्माण काम 1648 ईसवी तक करीब 10 साल तक चला।
मुगल बादशाह शाहजहां के द्धारा बनवाई गई सभी इमारतों का अपना-अपना अलग-अलग ऐतिहासिक महत्व है। जबकि उनके द्धारा बनवाया गया ताजमहल को उसके सौंदर्य और आर्कषण की वजह से जिस तरह दुनिया के सात अजूबों में शुमार किया गया है, उसी तरह दिल्ली के लाल किला को विश्व भर में शोहरत मिली है। इस भव्य ऐतिहासिक किले के प्रति लोगों की सच्ची श्रद्धा और सम्मान है।
आपको बता दें कि शाहजहां, इस किले को उनके द्धारा बनवाए गए सभी किलों में बेहद आर्कषक और सुंदर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने 1638 ईसवी में ही अपनी राजधानी आगरा को दिल्ली शिफ्ट कर लिया था, और फिर तल्लीनता से इस किले के निर्माण में ध्यान देकर इसे भव्य और आर्कषक रुप दिया था।
इस भव्य किला बनने की वजह से भारत की राजधानी दिल्ली को शाहजहांनाबाद कहा जाता था, साथ ही यह शाहजहां के शासनकाल की रचनात्मकता का मिसाल माना जाता था। मुगल सम्राट शाहजहां के बाद उसके बेटे औरंगजेब ने इस किले में मोती-मस्जिद (Moti Masjid) का भी निर्माण करवाया था।
वहीं 17वीं शताब्दी पर जब लाल किले पर जहंदर शाह का कब्जा हो गया था, तब करीब 30 साल तक लाल किले बिना शासक का रहा था। इसके बाद नादिर शाह ने लाल किले पर अपना शासन चलाया और फिर कुछ दिनों तक सिखों का भी इस भव्य किले पर शासन रहा।
इसके बाद 18वीं सदी में अंग्रेजों ने लाल किले पर अपना कब्जा जमा लिया और इसे किले में जमकर लूट-पाट की। भारत की आजादी के बाद सबसे पहले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस पर तिरंगा फहराकर देश के नाम संदेश दिया था।
वहीं आजादी के बाद लाल किले का इस्तेमाल सैनिक प्रशिक्षण के लिए किया जाने लगा और फिर यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रुप में मशहूर हुआ, वहीं इसके आर्कषण और भव्यता की वजह से इसे 2007 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया था और आज इसकी खूबसूरती को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग इसे देखने दिल्ली जाते हैं।
लाल किले की शानदार बनावट और इसका भव्य स्वरूप
भारत की जंग-ए-आजादी की गवाह रह चुका लाल किला दुनिया भर में अपनी भव्यता और आर्कषण की वजह से मशहूर है। यह अपनी बेहतरीन कारीगरी और शानदार बनावट के लिए विश्व भर में जाना जाता है। अष्टकोणीय आकार में बने दुनिया के इस सबसे खूबसूरत किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थर एवं सफेद संगमरमर के पत्थरों से किया गया है।
वहीं इस किले का जब निर्माण किया गया था तब इसे कोहिनूर हीरा जैसे कई बहुमूल्य रत्नों से सजाया गया था, लेकिन जब भारत पर अंग्रेजों का राज हुआ, तब वे इसे निकाल कर ले गए थे। इसके साथ ही इस विशाल किले के अंदर शाही मयूर राज सिंहासन भी बनाया गया था, जिस पर बाद में अंग्रेजों में अपना कब्जा जमा लिया था।
करीब डेढ़ किलोमीटर की परिधि में फैले भारत के इस भव्य ऐतिहासिक स्मारक के चारों तरफ करीब 30 मीटर ऊंची पत्थर की दीवार बनी हुई है, जिसमें मुगलकालीन वास्तुकला का इस्तेमाल कर बेहद सुंदर नक्काशी की गई है। इसके साथ ही इसमें रेशमी चादर का भी इस्तेमाल किया गया है।
मुगल, हिंदू और फारसी स्थापत्य शैली से मिलकर बने दुनिया के इस विशाल किले के परिसर में कई सुंदर और भव्य इमारते बनी हुई हैं, जो कि इसकी खूबसूरती को चार चांद लगा रही हैं और इसके आर्कषण को दो गुना बढ़ा देती है। करीब डेढ़ किलोमीटर की परिधि में फैले इस भव्य लाल किले के अंदर मोती मस्जिद, नौबत खाना, मीना बाजार, दीवाने खास, रंग महल, दीवानेआम, सावन जैसी कई खूबसूरता ऐतिहासिक इमारते बनी हुई हैं।
दुनिया के इस सबसे विशाल किले के अंदर तीन द्धार भी बने हुए हैं, इस किले के अंदर बने दिल्ली द्वार और लाहौर द्वार प्रमुख हैं, जिनका अपना ऐतिहासिक महत्व भी है। आपको बता दें कि इस भव्य किले के अंदर बना लाहौर गेट सैलानियों एवं आम लोगों के लिए खोला गया है, जबकि इस किले के अंदर बने दिल्ली द्वार से सिर्फ वीवीआईपी और कुछ बेहद खास लोग ही एंट्री कर सकते हैं।
वहीं कई इतिहासकारों के मुताबिक पहले इस भव्य किले के अंदर 4 अलग-अलग दरवाजों का निर्माण करवाया गया था, लेकिन सुरक्षा के चलते बाद में 2 दरवाजों को बंद कर दिया गया था। भारत के राष्ट्रीय गौरव माने जाने वाले इस भव्य किले के अंदर मुगल काल की लगभग सभी कलाकृतियां मौजूद हैं।
इसके साथ ही दुनिया के इस सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक स्मारक के आस-पास बने हर-भरे फूलों का बगीचा, मंडप और सजावटी मेहराब भी हैं, जो कि इसने सौंदर्य को और भी ज्यादा बढ़ा रहे हैं। विश्व की इस सबसे भव्य और खूबसूरत ऐतिहासिक इमारत को बनाने में उस दौरान करीब 1 करोड़ रुपए की लागत का खर्चा आया था, यह उस समय का सबसे शानदार और महंगा किला था, जिसका प्राचीन नाम ”किला-ए-मुबारक था ”।
लाल किले का वास्तुकार
मुगल सम्राट शाहजहां ने आगरा में स्थित ताजमहल को भव्य रुप देने वाले डिजाइनर और मुगल काल के प्रसिद्ध वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को इस किले की शाही डिजाइन बनाने के लिए चुना था।
वहीं उस्ताद अहमद अपने नाम की तरह ही अपनी कल्पना शक्ति से शानदार इमारत बनाने में उस्ताद थे, उन्होंने लाल किला को बनवाने में भी अपनी पूरी विवेकशीलता और कल्पनाशीलता का इस्तेमाल कर इसे अति सुंदर और भव्य रुप दिया था। यही वजह है कि लाल किले के निर्माण के इतने सालों के बाद आज भी इस किले की विशालता और खूबसूरती के लिए विश्व भऱ में जाना जाता है।
लाल किला के परिसर में बनी मुख्य ऐतिहासिक इमारतें
- छाबरी बाजार:
दुनिया का यह भव्य और ऐतिहासिक स्मारक लाल किला के परिसर में स्थित है और इस किले में मौजूद मुख्य ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है, जिसे सैलानियों द्धारा खूब पसंद किया जाता है।
- लाहौरी गेट:
लाहौरी गेट दुनिया की इस सर्वश्रेष्ठ इमारत लाल किले के अंदर बने मुख्य आर्कषणों में से एक है, लाहौरी गेट का नाम लाहौर शहर से लिया गया है। मुगल सम्राट शाहजहां के पुत्र और उत्तराधिकारी औरंगजेब के शासनकाल के दौरान लाहौरी गेट की देखरेख नहीं की गई थी, जिसके चलते इसके आर्कषण में कमी आ गई थी।
आपको बता दें कि जब इस गेट का निर्माण किया गया था, तब मुगल बादशाह शाहजहां ने इसकी मनमोहक सुंदरता की वजह से इसे ”एक सुंदर महिला के चेहरे” का खिताब दिया था। आपको बता दें कि देश की आजादी के बाद जब से देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यहां तिरंगा फहराया था, तब से हर साल 15 अगस्त पर यहां की बालकनी से देश के पीएम द्धारा तिरंगा फहराया जाता है।
- दिल्ली गेट:
लाल किले के अंदर बना दिल्ली गेट भी अपने आर्कषण और सौंदर्य की वजह से पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ आर्कषित करता है, यह गेट लाल किले के दक्षिण की तरफ बना हुआ है। वहीं इस गेट से अंदर वीवीआईपी और कुछ स्पेशल लोग ही एंट्री कर सकते हैं, जबकि आम लोग इस भव्य लाल किले के अंदर बने अन्य गेट से प्रवेश ले सकते हैं।
- रंग महल:
जंग-ए-आजादी का गवाह रह चुका दुनिया के इस भव्य और ऐतिहासिक लाल किला के अंदर बना रंग महल, रंगीन मिजाज के रहे मुगल शासक शाहजहां की पत्नियां और उनकी रखैलों के लिए बनाया गया था। पहले रंग महल का नाम ”पैलेस ऑफ कलर्स” भी रखा गया था। इस रंग महल के बीचों-बीच एक नहर भी बनी हुई थी, जो कि इस महल के तापमान को गर्मियों के दिन में बेहद ठंडा रखती थी। वहीं रंग महल की बेहद सुंदर नक्काशी की गई थी, इसकी भव्यता और सौंदर्य को देखकर हर कोई इसकी तारीफ करता था।
- दीवान–ए–आम:
यह मुगल शहंशाह शाहजहां के द्धारा 1631 और 1640 के बीच में प्रमुख कोर्ट के तौर पर बनाया गया था, यह उस दौरान मुगल बादशाहों का शाही महल हुआ करता था। इस स्मारक में शानदार नक्काशी और आर्कषक सजावट करने के साथ-साथ सफेद संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जहां पर सभी मुख्य फैसले लिए जाते थे।
- दीवाने खास:
भारत की इस बहुमूल्य ऐतिहासिक इमारत के अंदर बना दीवान-ए-खास भी, मुगल बादशाह शहंशाह का पर्सनल रुम था, जहां की दीवारों में बहुमूल्य पत्थर और रत्न जड़े हुए थे।
- मोती मस्जिद:
दुनिया के इस भव्य किले के परिसर में बनी मोती-मस्जिद को साल 1659 में मुगल शासक शाहजहां के बेटे औरंगजेब द्धारा अपने निजी मस्जिद के रुप में बनवाया गया था, जहां पर वह अपनी रोज की नमाज अदा करता था। आपको बता दें कि मोती मस्जिद का अर्थ है – पर्ल मस्जिद।
इस शाही और अति भव्य मस्जिद में कई छोटी-छोटी गुंबद और मेहराब बनी हुई है। इस मस्जिद को सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनवाया गया था, इस मस्जिद में एक आंगन है, जहां पर सुंदर वास्तुकला और डिजाइन की सादगी को देख सकते हैं।
- मुमताज महल:
मुमताज महल इस भव्य ऐतिहासिक लाल किला के परिसर में अंदर बनी 6 सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक है, जिसका नाम मुगल सम्राट शाहजहां की सबसे पसंदीदा बेगम मुमताज महल के नाम पर रखा गया है। लाल किले के अंदर की सभी संरचनाएं यमुना नदी से जुड़ी हुई हैं।
इस महल का निर्माण सफेद संगमरमर के पत्थरों से किया गया था, जिन पर सुंदर फूलों की आकृति बनी हुई है। मुमताज महल, मुगल शासकों की अनूठी वास्तुकला और आर्कषक डिजाइन का पता लगाने के लिए प्रभावशाली संरचना भी है।
लाल किला के परिसर में बने मुमताज महल में पहले मुगल बादशाहों राजशाही महलों में काम करी रहीं महिलाएं या फिर दासियां रहा करती थी, हालांकि अब यह एक खूबसूरत म्यूजियम है। जिसके अंदर, मुगलकाल के अंदर कई कलाकृतियां जैसे तलवारें, पेंटिंग, पर्दे व अन्य वस्तुएं रखी हुईं हैं।
- नौबत खाना:
दुनिया के इस सर्वश्रेष्ठ इमारत के अंदर बना नौबत खाना, यहां की प्रमुख ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक है, जिसे प्रमुख रुप से संगीतकारों के लिए बनाया गया था।
- खस महल:
भारत की शान मानी जाने वाली इस ऐतिहासिक इमारत के अंदर बने खस महल पहले मुगल बादशाह शाहजहां का पर्सनल आवास हुआ करता था, जिसके अंदर तीन अलग-अलग तरह के कक्ष बने हुए है। खस महल की बेहद सुंदर नक्काशी की गई है, इसमें बेहद शानदार तरीके से सफेद संगमरमर के पत्थऱ और फूलों की बनावट से सजाया गया है।
- हमाम:
लाल किले के अंदर बना हमाम एक ऐसा ऐतिहासिक स्मारक है, जहां सम्राटों द्धारा शाही स्नान किया जाता था। इस इमारत का इस्तेमाल सम्राटों द्धारा शाही स्नान के लिए किया जाता था, जिसमें स्नान के लिए पानी की जगह गुलाब जल का इस्तेमाल किया जाता था। यह स्नानघर सुंदर सफेद संमरमर के पत्थरों और सुंदर फूलों के द्धारा डिजाइन किए गए थे।
- हीरा महल:
दुनिया के इस सबसे खूबसूरत और भव्य किले के साउथ की तरफ बना हीरा महल देखने में बेहद भव्य है, जिसे बहादुरशाह द्धितीय ने बनवाया था। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक प्रभावशाली सम्राट बहादुरशाह ने इस महल के अंदर पहले एक बहुमूल्य हीरे को छिपाया हुआ था, जो कि कोहिनूर हीरे से भी ज्यादा बेशकीमती था। हालांकि, अंग्रेजों के समय लाल किले में बने हीरा महल को नष्ट कर दिया गया था।
- चट्टा चौक:
इस ऐतिहासिक और भव्य लाल किले के अंदर मुगलों के समय में हाट लगता था, जहां बेशकीमती गहने और कपड़े मिलते थे।
लाल किला का नाम कैसे पड़ा
मुगल काल में बने दुनिया के इस सबसे खूबसूरत और भव्य किले के निर्माण में मुगल सम्राट शाहजहां ने लाल बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल करवाया था, इसलिए इसका नाम लाल किला रख दिया गया। आपको बता दें कि लाल किला में मुगल कालीन वास्तुकला का इस्तेमाल कर बेहतरीन सुंदर नक्काशी की गई थी। जिसके कारण यह देखने में बेहद आर्कषक और सुंदर लगता है।
विश्व विरासत और प्रमुख पर्यटन स्थल के रुप में लाल किला
आजादी-ए-जंग की ग्वाह बना भारत का यह ऐतिहासिक लाल किला अपनी विशालता, भव्यता, सौंदर्य और आर्कषण की वजह से विश्व की सबसे उत्तम इमारतों में शुमार किया गया है। आपको बता दें कि इस ऐतिहासिक किले को यूनेस्को द्धारा साल 2007 में विश्व विरासत की लिस्ट में शामिल किया गया है।
यह भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से भी एक है। मुगलकाल में बने इस खूबसूरत किले को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं और इसकी खूबसूरती की तारीफ करते हैं। वहीं वर्तमान में लाल किले को भारतीय पुरात्तविक संरक्षण संस्थान द्धारा संरक्षित किया जा रहा है।
जंग-ए-आजादी का ग्वाह रह चुका है लाल किला – Lal Qila in Hindi
15 अगस्त, 1947 में भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिलने के बाद, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले से पहली बार ध्वजा रोहण कर देश की जनता को संबोधित किया था और अपने देश में अमन, चैन, शांति बनाए रखने एवं इसके अभूतपूर्व विकास करने का संकल्प लिया था।
इसलिए इस किले को जंग-ए-आजादी का गवाह भी माना जाता है। वहीं तभी से हर साल यहां स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के पीएम द्धारा लाल किले पर झंडा फहराए जाने की परंपरा है।
दिल्ली के इस भव्य किले का वास्तविक नाम
दिल्ली के इस ऐतिहासिक स्मारक लाल किले का असली नाम किला-ए-मुबारक है। मुगल सम्राटों के शाही शहंशाहों के द्धारा इसे ”मुबारक किला” भी कहा जाता था।
लाल किला देखने का समय
लाल किला देखने का समय सुबह 9.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक है। यह सोमवार के अलावा सप्ताह के सभी दिनों में खुला रहता है।
लाल किले के बारे में रोचक और अनसुने तथ्य
- दुनिया के इस सबसे खूबसूरत किले के नाम भले ही इसके लाल रंग की वजह से मिला हो, लेकिन वास्तव में यह सफेद किला है, वहीं पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार इस ऐतिहासिक किले के कुछ भाग को चूने के पत्थर से बनाया गया है।
- मुगलकालीन वास्तुकला की इस सर्वश्रेष्ठ इमारत लाल किले को उस्ताद हामिद और उस्ताद अहमद ने बनाया है, जो कि अपने समय की सबसे महंगी इमारत थी।
- लाल किले पर करीब 200 साल तक मुगल सम्राटों का राज रहा, जबकि साल 1747 ईसवी में नादिर शाह द्धारा इसे लूट लिया गया था, और फिर भारत में अंग्रेजों का राज होने पर उन्होंने इसे लूटने में कोई कोई कसर नहीं छोड़ी।
- मुगल सम्राट शाहजहां ने दुनिया के इस सबसे खूबसूरत और भव्य किले का निर्माण तब करवाया था, जब उसने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली शिफ्ट कर लिया था, वहीं इस भव्य किले का निर्माण मुर्हरम के महीने में शुरु हुआ था।
दिल्ली के लाल किले के विश्व भर में अपनी एक अलग पहचान है, इसका ऐतिहासिक महत्व होने के साथ-साथ अपनी भव्यता और शानदार बनावट के लिए भी जाना जाता है।