रायबरेली । खरबूजे को देख खरबूजा रंग बदलता है, यह कहावत आपने जरूर सुनी होगी। लेकिन रायबरेली में खरबूजे की खेती से एक किसान की जिंदगी में ही रंग भर गए। आज वह खरबूजे की खेती कर मालामाल हो रहा है।
रायबरेली जिले के जलालपुर गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान दिलीप वर्मा बीते लगभग 2 वर्षों से खरबूजे की खेती कर रहे हैं। जिससे वह कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं।
दिलीप बताते है कि वह लगभग 5 एकड़ जमीन पर खरबूजे की खेती करते है। क्योंकि यह एक नगदी फसल होने के साथ ही गर्मियों के मौसम में बाजारों में इसकी मांग अधिक रहती है। जिससे आसानी से इसकी बिक्री भी हो जाती है। वह खरबूजे की चार प्रजातियां बाबी, मृदुल, निर्मल- 24, मधुरा की खेती करते हैं। यह प्रजातियां उन्नत किस्म की प्रजातियां मानी जाती हैं। जिनकी पैदावार भी खूब होती है। वह बताते हैं कि उनके एक रिश्तेदार से उन्हें इस खेती के बारे में सलाह मिली थी जिसके बाद उन्होंने खरबूजे की खेती की।
आज दिलीप जैसे कई किसान है जो प्रदेश में खरबूजे की खेती कर मालामाल हो रहे है, क्योंकि इसमें अन्य फसलों की तुलना में लागत भी कम आती है। साथ ही इसकी सिंचाई भी कम करनी पड़ती है। यह फसल 90 दिन के अंदर तैयार हो जाती है। सबसे अच्छी बात यह है कि खेतों में तैयार फसल की बिक्री के लिए भी उन्हें कहीं आना-जाना नहीं पड़ता है। थोक के भाव व्यापारी इसे खेत से ही खरीद ले जाते हैं। जिससे उनके आवागमन का भी खर्च बच जाता है।
कम लागत में अधिक मुनाफा
लोकल 18 से बात करते हुए प्रगतिशील किसान दिलीप वर्मा बताते हैं, कि परंपरागत खेती यानी धान गेहूं की फसलों की अपेक्षा इस खेती में लागत भी काम आती है। साथ ही कम समय में यह फसल तैयार हो जाती है। इसमें एक एकड़ में लगभग 50 से 60 हजार रुपए की लागत आती है। तो वहीं लागत के सापेक्ष 4 से 5 लाख रुपए तक 3 महीने में आसानी से कमाई भी हो जाती है। जो अन्य फसलों की तुलना में काफी अधिक है। आगे की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि खेतों में तैयार फसल की बिक्री के लिए भी उन्हें कहीं आना-जाना नहीं पड़ता है। थोक के भाव व्यापारी इसे खेत से ही खरीद ले जाते हैं। जिससे उनके आवागमन का भी खर्च बच जाता है।