उत्तर प्रदेश विधानसभा ने चार साल पहले उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 पारित किया था जो गैरकानूनी तरीकों से धार्मिक रूपांतरण पर रोक लगाता है। सोमवार (29 जुलाई) को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इस अधिनियम में संशोधन करने के लिए एक नया विधेयक पेश किया, जिससे इसे सख्त और अधिक व्यापक रूप से लागू किया जा सके।


नए बदलावों के तहत उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 यह प्रतिबंध हटा देता है कि कौन एफआईआर दर्ज कर सकता है। इसके साथ ही आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के समान ही आरोपी व्यक्तियों के लिए कठोर जमानत शर्तों का प्रस्ताव रखा गया है और गैरकानूनी धर्मांतरण के लिए सज़ा बढ़ा दी गयी है।

आइये जानते हैं यूपी सरकार ने यह संशोधन क्यों पेश किया है? और इसमें क्या नए परिवर्तन प्रस्तावित किए गए हैं?


यह विधेयक कुछ समूहों की सुरक्षा के उद्देश्य से पेश किया गया है, जिनमें नाबालिग, दिव्यांग, महिलाएं और अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के लोग शामिल हैं। सरकार के मुताबिक अधिनियम के तहत मौजूदा दंडात्मक प्रावधान इन समूहों से संबंधित व्यक्तियों का सामूह‍िक धर्मांतरण रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।


परिवार के लोग ही कर सकते हैं FIR
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में यह भी कहा गया है कि विधेयक अधिनियम की धारा 4 के तहत कानूनी मामलों के संबंध में पहले हुई कठिनाइयों का भी समाधान करेगा। वर्तमान में धारा 4 किसी भी पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई, बहन या किसी अन्य व्यक्ति जो ब्लड रिलेशन, शादी या गोद लेने से उससे संबंधित है को ही पुलिस में गैरकानूनी धर्मांतरण के लिए एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देता है।


2023 में कई मौकों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना है कि ‘कोई भी पीड़ित व्यक्ति’ का मतलब यह नहीं है कि कोई भी गैरकानूनी धर्मांतरण के लिए एफआईआर दर्ज कर सकता है। सितंबर 2023 में, जोस पापाचेन बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में अदालत ने माना कि ‘कोई भी पीड़ित व्यक्ति’ का तात्पर्य केवल उस व्यक्ति से है जो व्यक्तिगत रूप से गलत तरीके से धर्मांतरण कराये गए व्यक्ति से संबंधित है। इसी तरह फ़तेहपुर सामूहिक धर्मांतरण मामले में फरवरी 2023 में इलाहाबाद HC ने धारा 4 का समान विश्लेषण दिया था।


आइये जानते हैं धर्मांतरण बिल में क्या बदलाव लाये गए हैं।
‘किसी भी पीड़ित व्यक्ति’ को अब ‘किसी भी व्यक्ति’ के रूप में बदला गया है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए बिल में धारा 4 में शब्दों में बदलाव कर उन कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास किया गया है जो उत्पन्न हुई हैं। संशोधित प्रावधान में कहा गया है कि “किसी भी व्यक्ति” द्वारा अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित एफआईआर दर्ज की जा सकती है, जैसा कि नए आपराधिक प्रक्रिया कानून, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) के तहत प्रदान किया गया है।

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