Lakshmi Narayan Temple: देश में एक ऐसा मंदिर है, जहां मंदिर में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु अलग-अलग निवास करते हैं। मंदिर में पहले मां लक्ष्मी की आरती होती है। इसके बाद नारायण भगवान की पूजा की जाती है। यह मंदिर राजस्थान के सीकर में है और नाम है श्री कल्याण जी मंदिर। मंदिर सीकर शहर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और भक्तों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल भी है।
गर्भ ग्रह से 50 मीटर की दूरी पर है मंदिर
यह मंदिर राजस्थान के सीकर में है। इस मंदिर को 1921 में सीकर के राजा कल्याण सिंह द्वारा निर्मित करवाया गया था। मंदिर को बने 102 साल हो चुके हैं। मंदिर का इतिहास देश के अन्य मंदिरों से काफी रोचक है। यह मंदिर अपनी मान्यताओं की वजह से हमेशा चर्चा में बना रहता है। कहा जाता है कि स्वयं लक्ष्मी माता ने राजा के सपने में आकर अपना अलग मंदिर बनाने की इच्छा जाहिर की थी। इसके बाद राजा ने दूसरी जगह मां लक्ष्मी का मंदिर बनवाकर उसमें मूर्ति स्थापित की थी। माता लक्ष्मी का यह मंदिर गर्भगृह से लगभग 50 मीटर की दूरी पर बना हुआ है। इस मंदिर में एक जगह माता लक्ष्मी की पूजा होती है, वहीं, दूसरी ओर भगवान नारायण की पूजा होती है।
ऐसा देश का है पहला मंदिर
मंदिर की प्रथा है कि रात 9 बजे की आरती के बाद मां लक्ष्मी की मूर्ति को भगवान नारायण के पास लाया जाता है। इस तरह से बताया जाता है कि यह राजस्थान का पहला मंदिर है, जहां मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्ति अलग-अलग है। यहां मंदिर में सबसे पहले मां लक्ष्मी की आरती होती है। इसके बाद भगवान विष्णु की मंगला आरती होती है। यहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचती है जो भगवान की पूजा-अर्चना करने कर मनोकामना मांगते हैं।
ब्राह्मण समुदाय से होते हैं पुजारी
सीकर के लक्ष्मी नारायण मंदिर के पुजारी वहां के स्थानीय ब्राह्मण समुदाय से होते हैं। ये पुजारी अपने परंपरागत ज्ञान और धार्मिक अनुभव के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना कराते हैं। वे धार्मिक उत्सवों, पूजा-पाठ के समय और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में सहायक भी होते हैं। इसके साथ ही मंदिर की सफाई और उसकी देखभाल का भी ध्यान रखते हैं। इसके साथ ही यह मंदिर सोने की तरह चमकता रहता है। मंदिर में लाइटिंग की बेहतरीन व्यवस्था की गई है।
जानें लक्ष्मी नारायण मंदिर की विशेषताएं
1- सीकर का यह मंदिर प्राचीन इतिहास और संस्कृति का प्रतीक है। इसकी स्थापना और निर्माण की कहानी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
2- यह मंदिर सीकर शहर के स्थानीय समुदाय के लिए धार्मिक और सामाजिक केंद्र हैं। यहां मंदिर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन करने पहुंचते हैं।
3- इस मंदिर का वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी संरचना और शैली राजपूत शैली में है। इस वजह से यहां आने वाले श्रद्धालुओं को प्रभावित करती है।
4- यहां प्रति वर्ष कई तरह के धार्मिक उत्सव और मेले आयोजित किए जाते हैं, जिनमें स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटक भी शामिल होते हैं।
5- यह मंदिर माता लक्ष्मी और भगवान नारायण को समर्पित है, जिसमें यह धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व का प्रतीक है। यहां माता लक्ष्मी की अष्टधातु मूर्ति मौजूद है।