Aja Ekadashi 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी का व्रत, मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु की आराधना के लिए किया जाता है। अजा एकादशी का व्रत भक्ति, संयम और तपस्या का प्रतीक है। इस दिन व्रति दिनभर उपवास रखते हैं और रात्रि को भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। यह व्रत पुण्य, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं इस दिन व्रत करने से और नियम अनुसार पूजा अर्चना करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।
उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 29 अगस्त को देर रात्रि 1:19 पर शुरू होकर 30 अगस्त रात्रि 1:37 पर समाप्त होगा। उदया तिथि के मुताबिक अजा एकादशी का व्रत 29 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन विधिवत व्रत करने से और नियम अनुसार पूजा अर्चना करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है साथ ही अश्वमेध यज्ञ के समान फल की भी प्राप्ति होती है।
क्या है अश्वमेध यज्ञ ?
पुजारी शुभम ने बताया कि अश्वमेध यज्ञ एक प्राचीन हिंदू यज्ञ है जिसे राजा या साम्राज्य की शक्ति और वैभव को प्रमाणित करने के लिए किया जाता है। इस यज्ञ में एक विशेष अश्व (घोड़ा) को स्वतंत्र रूप से छोड़ दिया जाता है, और वह घोड़ा विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में घूमता है। जिस क्षेत्र में वह घोड़ा रुकता था, वहां के शासक को या तो उसकी उपस्थिति स्वीकार करनी होती है या उसे युद्ध के लिए चुनौती देनी होती है। यज्ञ की समाप्ति पर, यज्ञकर्ता को राजसत्ता और धर्मिक अधिकार प्राप्त होते हैं। अश्वमेध यज्ञ का आयोजन आमतौर पर राजा या साम्राज्य की समृद्धि और स्थिरता के प्रतीक के रूप में किया जाता था। वहीं अजा एकादशी का व्रत करने से इस यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है इससे व्यापार में विस्तार होता है और रुके हुए कामों में विजय प्राप्त होती है। धार्मिक दृष्टिकोण से पुण्य और धर्म की प्राप्ति होती है, जो यज्ञकर्ता को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
पुजारी शुभम ने बताया कि अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए उपवास रखें और केवल फल-फूल या कुट्टू के आटे से बने पकवान खाएं। प्रात:काल जल्दी उठकर स्वच्छ स्नान करें और पवित्र वस्त्र पहनें। यदि संभव हो तो भगवान विष्णु के मंदिर जाकर पूजा करें, अन्यथा घर पर पूजा करें। भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से स्नान कराएं और सुगंधित फूल, फल, और दीपक अर्पित करें। भगवान विष्णु के भजन और मंत्रों का जाप करें, विशेष रूप से विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। पूजा के बाद आरती करें और भगवान विष्णु से अपनी इच्छाओं और कल्याण के लिए प्रार्थना करे। इस दिन दान करने का भी महत्व है। ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या अन्य सामग्री दान करें।