Difference between parole and furlough : आप सभी ने कभी न कभी पैरोल और फरलो शब्द तो अवश्य ही सुने होंगे लेकिन क्या आप जानते है कि दोनों में क्या अन्तर है। अगर आपका जवाब नहीं है तो यह खबर आपके बहुत काम की है। क्योंकि इस खबर में हम आपको बताएंगे की पैरोल और फरलो में क्या है अंतर है।
बतादें कि सजा मिलने के बाद कोई भी कैदी कुछ दिनों के लिए जेल से बाहर आ सकता है। इसे फरलो और पैरोल का नाम दिया जाता है। हालांकि दोनों अलग मामलों में दी जाती हैं। एक तरफ पैरोल तो सजा मिलने के एक साल बाद भी मिल सकती है, लेकिन फरलो सिर्फ उन्हीं कैदियों को दी जाती है जिनकी सजा कई सालों की रहती है। वहां भी जब तीन साल की सजा पूरी कर ली जाती है, उसके बाद से कैदी को फरलो दी जा सकती है।
नियम ये भी रहता है कि पैरोल में कैदी जितने दिन भी बाहर रहता है, उतना समय उसे बाद में जेल में काटना भी पड़ता है। उदाहरण के लिए अगर 21 दिन की पैरोल मिली है तो बाद में 21 दिन की अतिरिक्त सजा भी काटनी पड़ेगी। वहीं फरलो के साथ ऐसा कोई नियम नहीं जुड़ा होता है। लेकिन फरलो जितनी बार ली जाती है, उसके दिन उतने ही कम होते जाते हैं।
पैरोल और फरलो में क्या होता है अंतर
- पारिवारिक, व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए फरलो दी जाती है।
- एक साल में कोई कैदी तीन बार फरलो ले सकता है।
- फरलो में कोई पुख्ता कारण बताने की आवश्यकता नहीं होती।
- कैदी के आचरण-व्यवहार आदि को देखकर फरलो दी जाती है।
- दोषी कैदियों को दी जाती है फरलो।
पैरोल कब दी जाती है
- पैरोल आम तौर पर बीमारी, मृत्यु, विवाह, संपत्ति विवाद, शिक्षा या किसी अन्य पर्याप्त कारणों के आधार पर दी जाती है।
- पैरोल की अवधि कैदी की कुल सजा में गिनी जाती है।
- कैदी को पैरोल तभी दी जाती है जब उसकी सजा का एक साल पूरा हो जाता है।
- पैरोल अंडरट्रायल कैदियों को भी मिल जाती है।