आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने जताई खुशी, कहा आदेश हमारे पक्ष में
लखनऊ। उत्तर पदेश की बहुचर्चित 69000 हज़ार शिक्षक भर्ती मामले पर लखनऊ हाई कोर्ट की डबल बेंच अपना फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति अत्ताउ रहमान मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह ने मंगलवार 13 अगस्त को वीडियों कॉन्फ्रेंस के माध्यम से यह फैसला सुनाया था। गुरुवार को ऑर्डर की कॉपी बेबसाईट पर अपलोड कर दी गई है।
न्यायालय ने 69000 शिक्षक भर्ती में अब तक बनाई गई सभी चयन सूचियों को रद्द कर नई चयन सूची बनाकर आरक्षण नियमावली 1994 में निहित प्रावधानों के अनुसार नियुक्ति किए जाने का आदेश दिया है।
साथ ही इस भर्ती में नौकरी कर रहे अभ्यर्थी यदि प्रभावित होते हैं तो उन्हें बाहर नहीं किया जाएगा।
देखे आदेश के कुछ अंश
माननीय न्यायालय ने सभी विशेष अपीलों का निपटारा हेतु निम्नलिखित निर्देश दिए है।
(1) राज्य सरकार/संबंधित प्राधिकारी चयन सूचियों को नजरअंदाज करते हुए, सेवा नियम, 1981 के परिशिष्ट – 1 के अनुसार एटीआरई-19 के आधार पर सहायक शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए 69,000 उम्मीदवारों की चयन सूची तैयार करेंगे। दिनांक 01.06.2020 एवं 05.01.2022. हम इस तथ्य से अवगत हैं कि विद्वान एकल न्यायाधीश ने पहले ही 05.01.2022 की 6800 उम्मीदवारों की चयन सूची को अपने फैसले के माध्यम से रद्द कर दिया है।
(ii) सेवा नियम, 1981 के नियम 14 में गिनाए गए गुणवत्ता बिंदुओं के संदर्भ में चयन सूची तैयार करने के बाद, आरक्षण अधिनियम, 1994 की धारा 3 (6) के तहत परिकल्पित आरक्षण नीति अपनाई जाएगी।
(iii) यदि आरक्षित श्रेणी का उम्मीदवार सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित योग्यता के बराबर योग्यता प्राप्त करता है, तो मेधावी आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार को आरक्षण अधिनियम, 1994 की धारा 3 (6) में निहित प्रावधानों के अनुसार सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
(iv) ऊपर जारी निर्देशों के अनुसार दिए गए ऊर्ध्वाधर आरक्षण का लाभ क़ानून/नियम/सरकारी आदेशों के अनुसार क्षैतिज आरक्षण को दिया जाएगा। इस संबंध में लागू है.
(v) नियुक्ति हेतु नवीन चयन सूची तैयार करते समय यदि कार्यरत अभ्यर्थियों में से कोई भी राज्य सरकार/सक्षम प्राधिकारी की कार्रवाई से प्रभावित होता है, तो उन्हें सत्र लाभ दिया जाएगा ताकि छात्रों को परेशानी न हो।
(vi) आक्षेपित निर्णय और आदेश में विद्वान एकल न्यायाधीश द्वारा जारी किए गए निर्देश तदनुसार संशोधित किए जाएंगे।
(vii) इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर इस निर्णय के संदर्भ में पूरी कवायद की जाएगी।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के द्वारा 69000 शिक्षक भर्ती का आयोजन वर्ष 2018 में किया गया था। कुछ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के द्वारा भर्ती नियमावली का पालन सही तरीके नहीं किये जाने का आरोप लगाया था। जिसको लेकर अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लखनऊ हाई कोर्ट की डबल बेंच अपना फैसला सुनाया है।
कोर्ट में पक्षकार अमरेंद्र पटेल
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए लगातार आंदोलन कर रहे व कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि यह फैसला हम सभी के पक्ष में आया है। माननीय कोर्ट का धन्यवाद ज्ञापित करते हैं कि हमें न्याय मिला है और साथ ही उन्होंने कहा की अब इस मामले में सरकार भी बिना किसी देर किए अभ्यर्थियों को न्याय देते हुए नौकरी दे।
कब क्या हुआ
- बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 69000 शिक्षक भर्ती का आयोजन वर्ष 2018 में कराया गया था। इसकी परीक्षा 06 जनवरी 2019 को हुई और परिणाम 21 मई, 2020 से जारी हुआ है।
- दिनांक 31 मई 2020 को 67867 अभ्यर्थियों की एक चयन सूची बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गयी।
- जारी चयन सूची में आरक्षित वर्ग (दिव्यांगजन, दलित एवं अन्य पिछड़ा वर्ग) के अभ्यर्थियों ने पाया कि उनकों मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं दिया गया है। इसको लेकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष अपनी पीड़ा रखी लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला।
4.आरक्षण से वंचित अभ्यर्थियों ने न्याय पाने के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचितजाति आयोग इत्यादि में अपनी याचिका दाखिल की, जिसमें एक वर्ष तक सुनवाई के पश्चात् राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग नें दिनांक 29 अप्रैल, 2021 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को दी, जिसमें यह स्पष्ट किया कि 69000 शिक्षक भर्ती में पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं मिला।
5.बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने आयोग के रिपोर्ट को मानने से इन्कार कर दिया है। तब आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने दिनांक 22 जून 2021 से आयोग की रिपोर्ट लागू करवाने के लिए अनवरत धरना-प्रदशन शुरू कर दिया।
- दिनांक 06 सितम्बर 2021 को हजारों कीसंख्या में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी, अभिभावक सहित, ईको गार्डेन लखनऊ में एकत्र होकर धरना-प्रदर्शन के माध्यम से अपनी मांग मुख्यमंत्री योगी तक पहुंचायी।
- दिनांक 07 सितम्बर, 2021 को मुख्यमंत्री ने राजस्व परिषद के अध्यक्ष मुकुल सिंघल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जाँच समिति का गठन किया गया।
- तीन माह तक गहन अध्ययन के बाद जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी को उपलब्ध कराई। मुख्यमंत्री ने जाँच समिति की रिपोर्ट में पाया कि 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं दिया गया।
9.दिनांक 23 दिसम्बर, 2021 को मुख्यमंत्री ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के प्रतिनिधि मण्डल से मुलाकात की और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आदेश दिया कि “शीघ्र ही आरक्षण से वंचित अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रदान की जाय।
- दिनांक 24 दिसमबर, 2021 को तत्कालीन मा० बेसिक शिक्षा मंत्री जी का प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से आदेश होने के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया।
- दिनांक 05 जनवरी 2022 को 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की एक सूची बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गयी। किन्तु आचार संहिता लागू हो जाने के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पायी। इसी बीच कुछ अभ्यर्थियों ने जारी 6800 चयन सूची के विरूद्ध मा० उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी। मा० उच्च न्यायालय ने चयन सूची पर रोक लगा दी।
12.एक वर्ष से अधिक समय तक मा० उच्च न्यायालय में 69000 शिक्षक भर्ती के मामले में सुनवाई हुई। सरकारी अधिवक्ता और विभागीय अधिकारियों की कमजोर पैरवी के कारण मा० उच्च न्यायालय ने दिनांक 13 मार्च, 2023 को 6800 चयन सूची को रद्द कर दिया। इस आदेश से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी हताश हैं और मानसिक रूप से परेशान थे।
- आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी मा० उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच के फैसले को डबल बेंच में लेकर गये थे। इस मामले की सुनावाई पूरी कर डबल बेंच ने 18 मार्च 2024 को फैसला सुरक्षित कर लिया था।
15.अब 13 अगस्त 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यह फैसला सुनाया है।