पितृ पक्ष का समय बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह अनुष्ठान पूर्वजों को विशेष रूप से श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाया जाता हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) 17 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अवधि के दौरान लोग पितृ तर्पण और पिंडदान समेत अन्य पूजन अनुष्ठान करते हैं, जिनके करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

इसके साथ ही पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होगी। वहीं, जिन लोगों को अपने पितरों की तिथि नहीं पता है, उन्हें किस दिन पितरों का श्राद्ध करना चाहिए? आइए उसके बारे में जानते हैं।


तिथि नहीं पता होने पर इस दौरान करें श्राद्ध भरणी श्राद्ध

भरणी श्राद्ध पंचमी तिथि के दिन जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ होता है, उनका श्राद्ध किया जाता है। पंचांग को देखते हुए भरणी श्राद्ध का समय 21 सितंबर को सुबह 04 बजकर 09 मिनट में शुरू होगा। वहीं, इसका समापन अगले दिन 22 सितंबर दोपहर 02 बजकर 43 मिनट पर हो रहा है।


नवमी श्राद्ध
श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियों में से एक मातृ नवमी को माना जाता है। इस दौरान जिन लोगों की मां, दादी, नानी आदि नहीं है, उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस साल नवमी तिथि 25 सितंबर, 2024 को पड़ रही है। ऐसा कहा जाता है कि नवमी तिथि में मातृ पक्ष का श्राद्ध होता है।

सर्वपितृ अमावस्या
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या का दिन बेहद अहम माना जाता है। इस दौरान ( Pitru Paksha Shraddha) उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी तिथि के बारे में जानकारी नहीं होती है। इससे उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल यह 2 अक्टूबर को पड़ रही है। यही कारण है कि इसे पितृ पक्ष की सबसे अहम तिथि माना जाता है।

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