अभ्यर्थियों को अगली डेट का इंतजार

नई दिल्ली / लखनऊ। उत्तर प्रदेश 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में लखनऊ हाईकोर्ट के डबल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी थी और 23 सितंबर यानी आज सुनवाई होनी थी। पीठ ने सभी पक्ष को नोटिस जारी करते हुए अपना पक्ष रखने को कहा था। लेकिन इस मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी।

13 अगस्त 2024 को लखनऊ हाई कोर्ट डबल बेंच ने एक फैसला दिया था। जिसे अनारक्षित वर्ग के कुछ अभ्यर्थीयों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया है। जबकि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने और सरकार ने इस फैसले को सही माना हैं। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सरकार से इसका पालन किए जाने के लिए आग्रह भी किया। लेकिन सरकार इस पर आगे नहीं बढ़ पाई और अब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है।

आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी अमरेंद्र पटेल ने बताया कि वर्ष 2018 में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। जब इसका परिणाम आया तो इसमें व्यापक स्तर पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया और उन्हें नौकरी देने से वंचित कर दिया गया। एक लंबे आंदोलन और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद बीते 13 अगस्त 2024 को लखनऊ हाई कोर्ट के डबल बेंच ने हम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया है और नियमों का पालन करते हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया है। लेकिन सरकार इस प्रकरण में हीला हवाली करती रही। अब यह ममला माननीय सुप्रीम कोर्ट में है।

अमरेंद्र ने कहा कि आरक्षण नियमों के पालन किये जाने की लड़ाई हम लड़ रहे हैं। उन्होंने ने कहा इस भर्ती में व्यापक स्तर पर आरक्षण घोटाला हुआ है और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इसकी पुष्टी की है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा गठित कमेटी ने भी इस पर अपनी मोहर लगाई थी। जब 13 अगस्त 2004 को माननीय हाई कोर्ट लखनऊ डबल बेंच का फैसला आया तो उसके बाद स्पष्ट हो गया कि हम दलित पिछड़ों के साथ अन्याय किया गया था। अब ममला सुप्रीम कोर्ट में आया है हमें पूरी उम्मीद है कि हमें यहां भी न्याय मिलेगा।

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