आज ही के दिन 9 जून 1964 को भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू की प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान 27 मई, 1964 को निधन हो जाने के बाद शास्त्री जी को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। उन्होंने 9 जून 1964 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा। वह दो साल 11 महीने जनवरी 1966 तक प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे। उन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया और घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था। 

‘जय जवान, जय किसान’ का दिया नारा

लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था। लाल बहादुर शास्त्री किसानों को जहां देश का अन्नदाता मानते थे, वहीं देश के जवानों के प्रति भी उनके मन में अगाध प्रेम था।  

जन्म 

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तरप्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। इनके पिताजी का नाम शारदा प्रसाद और माताजी का नाम रामदुलारी देवी था। इनकी पत्नी का नाम ललिता देवी था। इनके पिता प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे। 

लाल बहादुर शास्त्री की शिक्षा हरिश्चन्द्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ में हुई। काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलने के बाद उन्होंने जातिसूचक शब्द श्रीवास्तव हमेशा के लिये हटा दिया और अपने नाम के आगे ‘शास्त्री’ लगा लिया। इसके पश्चात् शास्त्री शब्द लालबहादुर के नाम का पर्याय ही बन गया।

राजनीतिक जीवन

भारत सेवक संघ से जुड़कर राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों व आन्दोलनों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही। इसके परिणामस्वरूप उन्हें कई बार जेल में रहना पड़ा। उन्होंने भारत सेवक संघ की इलाहाबाद इकाई के सचिव के रूप में काम किया। इलाहाबाद में रहते हुए ही उनकी पंडित नेहरु के साथ निकटता बढ़ी। इसके बाद उनका कद निरन्तर बढ़ता ही चला गया। एक के बाद एक सफलता की सीढियां चढ़ते हुए वे नेहरु जी के मंत्रिमंडल में गृहमंत्री के प्रमुख पद तक जा पहुंचे। नेहरु जी के निधन के पश्चात वे भारत के प्रधानमंत्री भी बने।  

मृत्यु

पाकिस्तान को युद्द में हराने के बाद ताशकंद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। यह आज तक रहस्य बना हुआ है कि क्या वाकई शास्त्रीजी की मौत हृदयाघात के कारण हुई थी। कई लोग उनकी मौत की वजह जहर साजिश को मानते हैं।

भारत रत्न से सम्मानित 

लाल बहादुर शास्त्री को वर्ष 1966 में मरणोपरान्त देश के सबसे बड़े सम्मान ‘भारत-रत्न’ से नवाज़ा गया। लाल बहादुर शास्त्री के सम्मान में भारतीय भारतीय डाक विभाग ने एक डाक टिकट भी जारी किया है। शास्त्रीजी को उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये आज भी पूरा भारत श्रद्धापूर्वक याद करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights