अल्मोड़ा: उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा को चंद वंश राजाओं के द्वारा बसाया गया। अल्मोड़ा में उनसे जुड़ी कई प्राचीन धरोहर और स्थल आज भी देखने के लिए मिलते हैं। अल्मोड़ा में एक ऐसी ही जगह के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसकी दीवारों में कई विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनाई गई हैं। यह दीवार अलग-अलग कहानी बयां करती हैं। इस मंदिर का नाम है प्राचीन नंदा देवी मंदिर। यहां की दीवारों पर आपको कुछ न कुछ देखने को मिलता है। नंदा देवी की दीवार में बनी इन आकृतियों को चंद वंश राजाओं के समय का बताया जाता है। इन आकृतियों को देखने के लिए यहां के स्थानीय लोगों के साथ बाहर के कई शोधार्थी यहां पर आकर इनके बारे में जानने की कोशिश करते हैं।


नंदा देवी मंदिर का रहस्य
दरअसल, नंदा देवी परिसर में स्थित चंदेश्वर और पर्वतेश्वर मंदिर की दीवारों में आपको विभिन्न तरीके की आकृतियां देखने को मिलती हैं। इसमें आपको हाथी, घोड़े, शिकार करते शेर के, अल्पनाएं, मैथुन की आकृतियां, राजा महाराजाओं और कई भगवानों से संबंधित आकृतियां यहां पर देखने को मिलती हैं। धीरे-धीरे अब यह आकृतियां धूमिल होते हुए नजर आ रही हैं। बारिश के पानी और लोगों की वजह से मंदिर परिसर में दुकान लगाने और लोगों की लापरवाही से यह चित्र अब धीरे-धीरे खतरे के निशान पर दिख रहे हैं।


एक्सपर्ट ने दी दिलचस्प जानकारी
रिसर्चर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के डॉक्टर ललित जोशी बताते हैं कि नंदा देवी परिसर में बने चित्र कई कहानी बयां करते हैं। उन्होंने बताया कि चंद वंश राजाओं के समय के यह चित्र आज भी देखने को मिलते हैं। इनमें दिखने वाले चित्र मुख्ता ये हैं अल्पना, त्रिशूल, मानवाकृति, शर्प, हाथी, घोड़े, नारी आकृति पुष्प, हिरन और शेर, मछली, बतख, पत्ती, ध्यान मुद्रा में आकृति, राजा एवं रानी के चित्र, त्रिशूल, बौद्ध भिक्षु, ध्यान मुद्रा नारायण, नर्तक नर्तकियां, रुद्राक्ष आदि के चित्र उत्कीर्ण हैं। रखरखाव के अभाव से यह चित्र अब धूमिल होते हुए नजर आ रहे हैं। यदि इनका रखरखाव नहीं किया गया तो यह कलाकृतियां आने वाले समय में खत्म हो जाएंगी।

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