भारतीय मजदूर संघ आज अपना 67वां स्‍थापना दिवस मना रहा है। संगठन से जुड़े सभी नेता इसे शून्य से शिखर तक का सफर मानते हैं। कहा कि यह उपलब्धि संघ के एक-एक समर्पित निष्ठावान कार्यकर्ताओं के निस्वार्थ भाव से काम करने का फल है।

भारतीय मजदूर संघ की स्थापना से पूर्व देश में कई श्रम संगठन कार्यरत थे, जो किसी न किसी राजनीतिक विचारधारा एवं पाश्चात संस्कृति से ओत-प्रोत थे. देश में ट्रेड यूनियनों का प्रचलन 1889 से आया, जब एमए लोंखडे ने बाम्बे मिल एसोशिएसन की शुरूआत की. उनके बाद एनएस जोशी ने 1890 में मद्रास लेबर एसोशिएशन की शुरूआत की. 1891 में बंगाल में एमएन राय ने जूट मिल एसोसिएशन की. एमएन राय ने मार्क्सवाद-लेनिनवाद का लबादा ओढ़कर रखा था. वे चीन जाकर पाश्चात्य संस्कृति का अध्ययन कर भारत लौटे और भारत में कम्युनिज्म के फैलाव के लिए मजदूरों के माध्यम से ट्रेड यूनियनें बनाने लगे. यह विचार पूरी तरह भारतीय संस्कृति के विपरीत है.

देश की आजादी के आन्दोलन के समय 1942 में कम्युनिस्टों ने स्वयं को महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से अलग रखा. 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय भी चीन के साथ खड़े होकर डिंफेस और टेली कम्युनिकेशन में हड़ताल का आह्वान किया. कम्युनिस्ट संगठनों द्वारा चाइना को मुक्ति वाहिनी घोषित करना, यह देश के साथ गद्दारी करने जैसा व्यवहार था. जब देश युद्ध के संकट में हो तब ‘चाहे जो मजबूरी हो, मांगें हमारी पूरी हो’ जैसे नारे देना, यह देश के साथ विश्वासघात करने जैसा था.

इतिहास
23 जुलाई 1955 को प्रसिद्ध श्रमिक नेता स्वर्गीय दत्तोपंत ठेंगड़ी के नेतृत्व में संघ की नींव रखी गई थी। भारतीय मजदूर संघ से संबंद्ध धनबाद कोलियरी कर्मचारी संघ के महामंत्री सह केंद्रीय सलाहकार समिति के सदस्य रामधारी ने बताया कि 23 जुलाई 1955 को प्रसिद्ध श्रमिक नेता स्वर्गीय दत्तोपंत ठेंगड़ी के नेतृत्व में संघ की स्थापना मध्‍य प्रदेश के भोपाल में की गई थी। उस समय देश में चार प्रमुख केंद्रीय श्रमिक संगठन एटक, इंटक एचएमएस, और यूटीयूसी का श्रमिक बहुल क्षेत्र में दबदबा था। कोयला, इस्पात, बैंक, बीमा, रेल आदि सरकारी उपक्रम के क्षेत्रों में इन्हीं की तूती बोलती थी। ऐसे में भारतीय मजदूर संघ ने बिना किसी प्रवाह के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

कहा कि वर्ष 1989 का दौर भारतीय मजदूर संघ के लिए अविस्मरणीय रहा। वर्ष 1955 से 1989 तक 34 वर्षों में ही सभी केंद्रीय श्रम संगठनों को पीछे छोड़ते हुए अपने काम के बल पर पहली बार भारतीय मजदूर संघ देश का नंबर एक श्रमिक संगठन बन गया। कहा कि किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़े नहीं रहने के बावजूद हमेशा स्वदेशी विचारधारा को अपनाया। साथ ही राष्ट्र, उद्योग और मजदूर हित को सर्वोपरि मानकर जो अपना सफर शुरू किया तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज यह संगठन शून्य से शिखर तक पहुंच चुका है।

केंद्रीय सलाहकार समिति के सदस्य रामधारी ने कहा कि अपने देश में श्रमिक संगठनों का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। एटक देश का सबसे पुराना श्रमिक संगठन है। 31 अक्टूबर 1920 को इसका गठन हुआ। इसके बाद 3 मई 1947 को इंटक, 29 दिसंबर 1948 को एचएमएस तथा 30 अप्रैल 1949 को यूटीयूसी का गठन हुआ। कहा कि इन तमाम स्‍थापित केंद्रीय श्रमिक संगठनों के कई वर्षों बाद प्रभाव में आए भारतीय मजदूर संघ ने अपनी स्पष्ट नीति के कारण ही लोगों के बीच जगह बनाई। कहा कि 2007 में भी केंद्रीय श्रम संगठनों के दोबारा सदस्यता सत्यापन में भी भारतीय मजदूर संघ को प्रथम स्थान मिला।

सदस्य
सत्यापन रिपोर्ट के अनुसार भारतीय मजदूर संघ 62,15,797 सदस्यों के साथ पहले स्थान पर, इंटक 39,54,012 सदस्यों के साथ दूसरे, एटक 34,42,239 के साथ तीसरे, एचएमएस 33,38,491 के साथ चौथे और सीटू 26,78,473 सदस्यों के साथ पांचवें स्थान पर है।

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