Biography of Vikram Sara Bhai : डॉ विक्रम अम्बालाल साराभाई भारत के सबसे लोकप्रिय एवं सफलतम वैज्ञानिक थे। इनको विक्रम साराभाई के नाम से जाना जाता था। विक्रम साराभाई महान वैज्ञानिक , संसथान निर्माता , बहुप्रतिभावान उद्योगपति के साथ साथ एक अच्छे व्यक्ति भी थे। जिनके मन में हमेशा दूसरों के लिए कुछ न कुछ करने की लालसा जगी रहती थी। अपनी छाप हर दूसरे आदमी के अंदर छोड़ जाते थे विक्रम साराभाई जी।
विक्रम साराभाई का जन्म, जन्मस्थान,तथा शिक्षा दीक्षा
भारत के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में हुआ था। विक्रम साराभाई का जन्म एक समृद्धि परिवार में हुआ था। विक्रम के परिवार का उनके जीवन में बहुत महत्व था और उनके पिता एक बहुत बड़े उद्योगपति थे। जिनके कई कारखाने अहमदाबाद में थे। अंबालाल साराभाई और सरला देवी के आठ संतानों में से एक विक्रम साराभाई भी थे। अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए सरला देवी ने मोंटेसरी प्रथम से प्रेरित होकर एक प्राइवेट स्कूल की स्थापना की। जिसे मारिया मोंटेसरी ने प्रतिपादित किया था। और उनके इस सुविचार और मेहनत लगन का परिणाम यह निकला कि उस विद्यालय ने अपना एक अलग छाप और ख्याति प्राप्त की।
जैसा कि अंबालाल साराभाई एक बड़े उद्योगपति थे साथ ही साथ भारतीय स्वतंत्रता अभियान में भी वह और उनके परिवार के लोग शामिल थे और उनके घर पर स्वतंत्रता सेनानियों का आना जाना लगा रहता था जैसे कि महात्मा गांधी, रविंद्र नाथ टैगोर, मोतीलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू अक्सर विक्रम साराभाई के घर आया करते थे इन सब स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का बालक विक्रम साराभाई के ऊपर काफी सकारात्मक प्रभाव डाला तथा साराभाई के निजी जीवन के विकास में काफी हद तक सहायता की।
विक्रम साराभाई इंटरमीडिएट की परीक्षा विज्ञान विषय वर्ग से उत्तरण करने के बाद अहमदाबाद के गुजरात महाविद्यालय से अपनी मैट्रिक की परीक्षा पूरी की और फिर भी इंग्लैंड चले गए और वहां कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के सेंट जॉन महाविद्यालय कैंब्रिज से अपनी शिक्षा को एक नया मुकाम दिया।
विक्रम साराभाई को 1940 में प्राकृतिक विज्ञान में उनके योगदान के लिए ट्रिपोस भी दिया गया। उसके बाद दूसरे विश्व युद्ध के अपने चरम पर आने के कारण साराभाई अपने वतन वापिस आ गए और भारतीय विज्ञान संस्था बैंगलोर में शामिल हो गए और नोबेल पुरस्कार विजेता श्री सर सी वी रमन के मार्गदर्शन में अंतरिक्ष किरणों पर खोज करने में लग गये।
जब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया तो वह कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के लिए वापस लौट आए और अंतरिक्ष किरणों पर काम शुरू कर दिया तथा उनको अंतरिक्ष खेड़ा पर उनके थीसिस उष्णकटिबंधीय अक्षांश के खोज के कारण उनको 1947 में पीएचडी की उपाधि दी गई।
विक्रम साराभाई ने अपना पहला अनुसंधान लेख टाइम डिसटीब्यूशन आफ कॉस्मिक रेज भारतीय विज्ञान अकादमी के कार्य विवरण में प्रकाशित करवाया था।
डॉक्टरेट की उपाधि पाने के बाद विक्रम साराभाई अपने वतन वापस लौट आए और यहां आकर उन्होंने कॉस्मिक किरणों भौतिक विज्ञान पर अपना प्रयोग कार्य जारी रखा और भारत में उन्होंने भूमंडलीय अंतरिक्ष शौर्य भूमध्य रेखीय संबंध और चुंबकत्व पर भी अध्ययन किया था।
यह भी जाने ⇒ फ्रांसीसी भौतिक वैज्ञानिक पियरे क्यूरी ( 1859 से 1906) तथा उनकी पत्नी मैरी क्यूरी (1867 से 1934) जिन्होंने साथ मिलकर पोलो नियम और रेडियम का आविष्कार किया था उनके कथन के अनुसार डॉक्टर साराभाई का यह उद्देश्य था कि जीवन को स्वप्न बनाना और उस स्वप्न को वास्तविक रूप देना तथा इसके अलावा साराभाई ने अनेकों व्यक्तियों को स्वप्न देखने के लिए प्रेरित और अपने उस स्वप्न को सच बनाने के लिए काम करना सिखाया था। जैसा कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों की सफलता यह दर्शाती है कि वह अपने स्वप्नों को सच करने के लिए कुछ भी कर सकते थे।
वैवाहिक जीवन तथा संतान
विक्रम साराभाई ने सितंबर 1942 को प्रसिद्ध सांस्कृतिक नृत्य कार मृणालिनी साराभाई से शादी कर ली । उनका शादी समारोह चेन्नई में आयोजित किया गया था जिसमें साराभाई के परिवार का कोई भी सदस्य वहां पर उपस्थित नहीं था क्योंकि उस समय भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था और साराभाई के परिवार वाले उस आंदोलन में शामिल थे वही विक्रम और मृणालिनी साराभाई के दो बच्चे हुए जिनका नाम इस प्रकार है एक लड़का कार्तिकेय साराभाई और एक लड़की मल्लिका साराभाई। विक्रम साराभाई की बेटी मल्लिका साराभाई एक प्रसिद्ध नृत्य कार थी जिन्होंने कई सारे पुरस्कार अपने नाम किए थे।
विक्रम साराभाई का देहांत
विक्रम साराभाई की मृत्यु 30 दिसंबर 1971 को केरला तिरुअनंतपुरम के कोवलम में हुई थी वे वे किसी थुंबा रेलवे स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए गए थे वे अपने अंतिम दिनों में कई सारे कठिनाइयों का सामना कर रहे थे उनके अंतिम दिन काफी मुश्किल भरे थे और वे अंतिम दिनों में ज्यादा यात्राएं और काम की जिम्मेदारी की वजह से अक्सर बीमार रहा करते थे और इन्हीं सभी कारणों की वजह से उनकी मृत्यु हो गई ऐसा हमारे देश में कहा जाता है।
एक कुशल संस्थान निर्माता
विक्रम साराभाई जब इंग्लैंड से वापस आने के बाद अपने देश में उसकी जरूरतों को देखने लगे और अपने परिवार द्वारा स्थापित समाज सेवी संस्थानों में निस्वार्थ भाव से काम करने लगे और अपनी जानकारी देश के बारे में इकट्ठा करने लगे और अहमदाबाद के नजदीक अपनी एक अनुसंधान संस्था का निर्माण किया।
जैसा हर कोई जानता है कि विक्रम साराभाई हर काम को उसके मुकाम तक पहुंचाना जानते थे 11 नवंबर 1947 को उन्होंने भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की। उस समय अगर उनके उम्र की बात की जाए तो वे मात्र 28 साल के थे और भौतिक अनुसंधान की सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लिए हुए थे।
साराभाई द्वारा निर्मित संस्थान
- भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला( पी आर एल) अहमदाबाद
- फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर( एफबीटीआर)
- दर्पण अकादमी फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स अहमदाबाद
- वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन प्रोजेक्ट कोलकाता
- इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड( ई सी आई एल)
- यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड( यू सी आई एल)
- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र तिरुअनंतपुरम
- कम्युनिटी साइंस सेंटर अहमदाबाद
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम (इसरो)
15 अगस्त 1969 में विक्रम साराभाई ने अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन( आई एस आर ओ) कि स्थापना की थी। जो उनके जीवन की उपलब्धियों में से एक थी।
पुरस्कार
विक्रम साराभाई को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार वर्ष 1962 में दिया गया था।
वर्ष 1966 में विक्रम साराभाई को पद्मभूषण और वर्ष 1972 में उनके मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
विक्रम साराभाई के बारे में अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
वर्ष 1966 में नासा ( NASA)के साथ विक्रम साराभाई की बातचीत के उपरांत जुलाई 1975 में उपग्रह अनुदेशात्मक दूरदर्शन परीक्षण(SITE) का प्रमोशन किया गया था।
भारत में विक्रम साराभाई का सबसे महत्वपूर्ण योगदान 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान की स्थापना में रहा इस संस्था का मुख्य उद्देश्य देश में तंत्र ज्ञान के उपयोग को बढ़ावा देने तथा देश की सेवा करने का था।
विक्रम साराभाई ने 1962 में नेहरू विकास संस्था का निर्माण किया जिसका सबसे पहला उद्देश्य यह था कि देश में शिक्षा एवं सामाजिक क्षेत्र का विकास करना था।
विक्रम साराभाई का योगदान अहमदाबाद में प्राकृतिक योजना एवं तंत्र विज्ञान विश्वविद्यालय(CEPT University) की स्थापना करने में भी था।
साराभाई की विज्ञान में रुचि होने के कारण वर्ष 1966 में सामुदायिक विज्ञान केंद्र अहमदाबाद की स्थापना की थी जो आज विक्रम साराभाई सामुदायिक विज्ञान केंद्र कहलाता है।