प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 मई को लोकसभा में नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान एक विशेष डाक टिकट के साथ 75 रुपये का एक विशेष स्मारक सिक्का भी जारी किया। सिक्के को जारी करने का महत्व इस बात से लगा सकते है की, यह विभिन्न हस्तियों को श्रद्धांजलि देने, सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता फैलाने या प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं की याद आदि कारण से ऐसे सिक्के जारी किये जाते हैं। देश में पहला स्मारक सिक्का 1964 में जवाहरलाल नेहरू के सम्मान में जारी किया गया था, क्योंकि उस वर्ष उनका निधन हो गया था। सिक्कों को डिज़ाइन करवाने का केवल केंद्र सरकार को अधिकार प्राप्त है। सभी सिक्के मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में भारत सरकार के स्वामित्व वाली चार टकसालों में ढाले जाते हैं। प्रायः ऐसे सिक्कों को सिर्फ संग्रहणीय वस्तु के रूप में माना जाता है। क्योंकि उनका मूल्य उनके अंकित मूल्य के समान नहीं हो सकता है – वे आंशिक रूप से चांदी या सोने जैसी कीमती धातुओं से बने होते हैं। उदाहरणार्थ, 2018 में सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में 50% चांदी व अन्य धातुओं से बना 100 का स्मारक सिक्का जारी किया था। नए संसद भवन के उद्घाटन पर जारी किए गये इस सिक्के के एक भाग की और अशोक स्तंभ मुद्रित तथा इसके नीचे सत्यमेव जयते लिखा है। इसी के साथ ही सिक्के के बाईं ओर भारत तथा दाईं ओर इंडिया अंकित है। इस सिक्के के पहले भाग के ठीक नीचे रूपय के चिन्ह के साथ 75 रूपए लिखा है। वहीं सिक्के के दूसरी ओर संसद परिसर की तस्वीर मुद्रित है। इसके ऊपर के भाग में ‘संसद संकुल’ शब्द देवनागरी लिपि में लिखा तथा वहीं इसके निचले भाग में अंग्रेजी में ‘पार्लियामेंट कॉम्पलेक्स’ अंकित है। इस सिक्के का वजन 35 ग्राम बताया जा रहा है। ये 50 फीसदी चांदी, 40 फीसदी कॉपर और 5-5 फीसदी निकल व जिंक धातु से बना है। गौरतलब है की, हड़प्पा सिन्धू सभ्यता तथा मौहनजौदड़ो के समय के सिक्के भी आज-तक इस धरती से खुदाई की समय सामने आ रहे है. वो भी किसी समय किसी ना किसी रूप में मुद्रित कराये होंगे।
सरकार ने 75 रुपये का सिक्का क्यों बनाया?
वित्त मंत्रालय ने एक 75 रुपये का सिक्का बनाया है। जो 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के उपलक्ष्य में जारी किया गया था। यह सिक्का जनरल सर्कुलेशन के लिए नहीं है। इस तरह के स्मारक सिक्कों का लेनदेन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
यानी इससे कोई खरीदारी नहीं की जा सकती है। इस तरह के सिक्के किसी खास मौके पर जारी किए जाते हैं। 1964 के बाद से अब तक इस तरह के 150 कॉइन जारी किए जा चुके हैं।
क्या 75 रुपये का सिक्का वैध है?
स्मारक सिक्के लेन-देन में उपयोग नहीं किए जाते क्योंकि वे व्यापक उपयोग के लिए नहीं होते हैं। इसके अलावा, क्योंकि 75 रुपये के सिक्के के आधे हिस्से (50 प्रतिशत) में चांदी शामिल है, जिसके कारण सिक्के का धात्विक मूल्य उसके कानूनी मूल्य से अधिक है।
75 रुपये का सिक्का कैसे खरीदें?
यदि आप स्मारक सिक्के खरीदना चाहते हैं तो सिक्योरिटीज ऑफ प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) की वेबसाइट पर जाएं। अभी तक, 75 रु. का सिक्का वेबसाइट पर सूचीबद्ध नहीं है। लेकिन इस प्रकार के सिक्कों को यहां से आसानी से खरीदा जा सकता है।
75 रुपये के सिक्के का वर्तमान बाजार मूल्य
बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन के अनुसार अकेले सामग्री की कीमत कम से कम 1,300 रुपये है। इस मुद्रा को किस कीमत पर खरीदा जा सकता है, यह जानने के लिए किसी को अतिरिक्त सरकारी सूचना का इंतजार करना होगा।
विशेष स्मारक सिक्के कौन बनाता है?
2011 का सिक्का अधिनियम संघीय सरकार को सिक्के बनाने का अधिकार देता है। सिक्कों के लिए आरबीआई की जिम्मेदारी उन सिक्कों के वितरण तक सीमित होती है जो केंद्र सरकार प्रदान करती है।
भारत सरकार के चार टकसाल- मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद और नोएडा में हैं जो इन सिक्कों का निर्माण करते हैं। वे आम तौर पर छोटे बैचों में विशेष मार्केटिंग पैकेजिंग में बनाए जाते हैं।
जानें 75 रुपये के नए सिक्के के बारे में सबकुछ
- 75 रुपये के सिक्के का वजन करीब 35 ग्राम है।
- इस पर संसद परिसर का शिलालेख होगा और नए संसद भवन की छवि होगी।
- यह 50% चांदी, 40% तांबा, 5% निकल और 5% जस्ता से बना है।
- वर्ष को चिन्हित करने के लिए संसद भवन के चित्र के नीचे ‘2023’ उकेरा जाएगा।
- सिक्के के एक तरफ अशोक स्तंभ का सिंह शीर्ष और वाक्यांश “सत्यमेव जयते” दिखाई देगा।
- बायीं और दायीं तरफ क्रमश: अंग्रेजी और देवनागरी लिपि में ‘भारत’ और ‘इंडिया’ लिखा होगा।
- सिंह शीर्ष के नीचे सिक्के पर रुपये का चिह्न और 75 का मूल्य लिखा होगा।
- सिक्के के पिछले हिस्से पर संसद परिसर को दर्शाया जाएगा। ऊपरी परिधि पर “संसद संकुल” शब्द देवनागरी लिपि में और निचली परिधि पर “पार्लियामेंट कॉम्प्लेक्स” अंग्रेजी में लिखा होगा।