फोटो- Babasaheb Bhimrao Ambedkar University

लखनऊ। हम सभी को योग के अभ्यास के साथ ही यौगिक आहार का भी ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि जैसा हम भोजन करते हैं, वैसा ही हमारा मन बनता है। सात्विक भोजन से ज्ञान की वृद्धि होती है, राजसी भोजन से लालच बढ़ती है और तामसी भोजन से अविद्या की प्राप्ति होती है। ये बातें बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय सिंह ने सोमवार को कही।

वे विश्वविद्यालय में चल रहे नि:शुल्क योग शिविर में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में भी योग का अभ्यास करने से पहले पथ्य- अपथ्य आहार का वर्णन किया गया है। हमें हमेशा इसका ध्यान रखना चाहिए। भोजन का ध्यान रखा जाए तो दिनचर्या ठीक हो सकती है। पठन-पाठन पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा। वहीं योग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ हरिशंकर ने कहा कि योग के नियमित अभ्यास से वृद्धावस्था में भी व्यक्ति युवा की भांति ऊर्जान्वित हो जाता है। इस प्रकार का वर्णन शास्त्रों में महावेद मुद्रा, विपरीतकरणी मुद्रा आदि के अभ्यास से प्राप्त होता है। योग का अभ्यास लोगों को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। इससे अनेकों रोग आते ही नहीं है।

प्रोफेसर डॉ शरद सोनकर ने कहा कि योग के अभ्यास से चेहरे की झुर्रियां, बालों का पकना आदि रोगों में भी लाभ प्राप्त होता है। योग कक्षा में डॉ. नरेन्द्र सिंह द्वारा सभी साधकों को श्वास रोगों से सम्बंधित आसान, प्राणायाम कराए गए। उन्होंने कहा कि आजकल पर्यावरण दूषित हो गया है, जिस कारण से श्वसन तंत्र संबंधी रोग बहुत अधिक देखने को मिल रहे है। इसलिए आज योग का अभ्यास आवश्यक है। सोमवार को योग सत्र में विश्वविद्यालय के अधिकारियों, अध्यापकों, विद्यार्थियों व आसपास की सोसायटी के लोगों ने पहुँचकर योगाभ्यास किया।

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