प्रतिवर्ष 15 जून को विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ विश्व भर में आवाज उठाई जाती है। इस दिन विश्व भर के वृद्धजनों को उनके अधिकारों के विषय में जागरूक भी किया जाता है।
क्यों मनाया जाता है विश्व बुजुर्ग दिवस
इसे पहली बार 15 जून 2011 को मनाया गया था। इंटरनेशनल नेटवर्क फॉर द प्रिवेंशन ऑफ एल्डर एब्यूज (INPEA) द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में यह प्रस्ताव रखा गया था। जिसके बाद वर्ष 2011 में इसे संयुक्त राष्ट्र सभा द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई।
इस दिन का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर में वृद्धजनों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना और उनके अधिकारों को बढ़ावा देना है। INPEA ने कहा है कि बुजुर्गों के लिए एक अच्छा वातावरण सुनिश्चित करना, उनके सम्मान की रक्षा करना और उन्हें उनके अधिकारों से अवगत करवाना हम सभी का दायित्व है।
भारतीय संविधान में बुजुर्गों के साथ किसी भी रूप में किए गए दुर्व्यवहार को अपराध की श्रेणी में गिना जाता है। वृद्धावस्था में किया गया दुर्व्यवहार लंबे समय तक मन-मस्तिष्क को हानी पहुंचाता है। बुजुर्गों की स्थिति समाज का एक ऐसा मुद्दा है जिस पर ध्यान दिया जाना अत्यंत आवश्यक है।
हमारे बुजुर्गों का नई पीढ़ी को खड़ा करने में बहुत बड़ा योगदान है। उनके ज्ञान, धैर्य और अनुभव से कई बातें सीखी जा सकती है। इसलिए समाज का हर बुजुर्ग व्यक्ति सम्मान का अधिकारी है।