आज आषाढ़ अमावस्या मनाई जा रही है। धार्मिक रूप से अमावस्या की तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद पितरों का तर्पण किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन दान-धर्म का कार्य भी बहुत पुण्यकारी माना जाता है। आइए जानते है शुभ मुहूर्त और इसका महत्व
आषाढ़ अमावस्या शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार अमावस्या की तिथि की शुरुआत 17 जून यानी आज सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन कल यानी 18 जून को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर होगा।
आषाढ़ अमावस्या तिथि प्रारंभ- सुबह 09 बजकर 13 मिनट पर – 17 जून 2023
आषाढ़ अमावस्या तिथि समापन- सुबह 10 बजकर 08 मिनट पर खत्म – 18 जून 2023
स्नान समय – सुबह 4 बजकर 3 मिनट से सुबह 4 बजकर 43 मिनट तक
आषाढ़ अमावस्या पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें। आषाढ़ अमावस्या के दिन गंगा स्नान का अधिक महत्व है। ऐसे में गंगा स्नान करें। अगर आप स्नान करने के लिए गंगा नहीं जा पा रहे हैं तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। अमावस्या तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि करें। अपनी योग्यता के अनुसार दान जरूर दें। पितृ पूजा करने से आयु में वृद्धि और परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है। आषाढ़ अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मातृप्त होती है। वहीं किसी भी अपनी अच्छी फसल के लिए इस दिन पूजापाठ करते हैं।
आषाढ़ अमावस्या महत्व
आषाढ़ अमावस्या दान-पुण्य व पितरों की आत्मा की शांति के लिए किये जाने वाले धार्मिक कर्मों के लिए विशेष फलदायी मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी और तीर्थ स्थलों पर स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। आषाढ़ अमावस्या के दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही पितरों का तर्पण करना चाहिए। पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करना चाहिए। पितृ दोष से मुक्ति के लिए यह दिन उत्तम होता है। इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा देना चाहिए। इस दिन मुमकिन हो तो अपने पूर्वजों के लिए खाने-पीने का सामान अवश्य निकालें। अमावस्या का व्रत व्यक्ति को हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से सुरक्षित रखने के लिए बेहद उपयुक्त माना जाता है। इसलिए हो सके तो इस दिन व्रत रखते हैं।