लंबे समय से क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) के जरिए बारिश कराने के प्रयासों में लगे आईआईटी कानपुर ने बुधवार को बड़ी सफलता हासिल की। सेसना एयरक्राफ्ट की मदद से आईआईटी के ऊपर हवा में केमिकल पाउडर फायर किया गया। इसके बाद बारिश हुई। परीक्षण नागर विमानन निदेशायल (डीजीसीए) की अनुमति के बाद हुआ था। प्रफेसर मणींद्र अग्रवाल ने टेस्ट फ्लाइट की पुष्टि की है।
साल 2017 से प्रॉजेक्ट पर काम कर रहा आईआईटी कानपुर
ज्यादा वायु प्रदूषण और सूखे की स्थितियों में कृत्रिम बारिश कराने से आम लोगों को राहत दी जा सकती है। आईआईटी कानपुर 2017 से इस प्रॉजेक्ट पर काम कर रहा है, लेकिन कई वर्षों से डीजीसीए से परमिशन मिलने पर मामला अटका था। सारी तैयारियों के बाद बीते दिनों डीजीसीए ने टेस्ट फ्लाइट की अनुमति दे दी। उत्तर प्रदेश सरकार ने कई साल पहले क्लाउड सीडिंग के परीक्षण की अनुमति दे दी थी।
सूत्रों के अनुसार, आईआईटी की हवाई पट्टी से उड़े सेसना एयरक्राफ्ट ने 5 हजार फुट की ऊंचाई पर घने बादलों के बीच दानेदार केमिकल पाउडर फायर किया। ये सब कुछ बिल्कुल आईआईटी के ऊपर ही किया गया था। इसके बाद बारिश हुई। जानकारों का कहना है कि क्लाउड सीडिंग के लिए सर्टिफिकेशन नियामक एजेंसी डीजीसीए ही देता है। इस सफल टेस्ट फ्लाइट के नतीजों का आकलन करने के बाद तय किया जाएगा कि आगे और टेस्ट किए जाएं या नहीं। इस दौरान आईआईटी और आसपास तेज बारिश हुई।
दिल्ली समेत उत्तर भारत के शहरों में दमघोंटू धुएं की स्थिति में क्लाउड सीडिंग काफी उपयोगी साबित हो सकती है। आईआईटी कानपुर ने दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने का प्रॉजेक्ट भी तैयार किया था।