अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है। वैश्विक स्तर पर बाघों के संरक्षण व उनकी लुप्तप्राय हो रही प्रजाति को बचाने के लिए जागरूकता फैलाना ही इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है। इसका लक्ष्य बाघों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिए एक वैश्विक प्रणाली को बढ़ावा देना और बाघ संरक्षण के मुद्दों के लिए जन जागरूकता और समर्थन बढ़ाना है।
इस दिन का उद्देश्य
इस खास दिन, पूरी दुनिया में बाघों की कम होती संख्या पर नियंत्रण करना। साथ ही उनके आवासों यानि जंगलों की सुरक्षा करना, साथ ही इसका विकास कर दुनिया को बाघों की घटती संख्या के प्रति जागरूक करना ही इसका उद्देश्य है।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस: महत्व
WWF विशेषज्ञों के मुताबिक, पिछले 100 सालों में दुनिया-भर में लगभग 97 फीसदी जंगली बाघों आबादी घट गई है। एक सदी पहले लगभग 100,000 बाघों की तुलना में वर्तमान में केवल 3,000 बाघ जीवित हैं। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF), इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफेयर (IFAW) और स्मिथसोनियन कंजर्वेशन बायोलॉजी इंस्टीट्यूट (SCBI) सहित कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भी जंगली बाघों के संरक्षण में लगे हुए हैं।
बाघ कितने प्रकार के हैं?
बाघ अलग-अलग रंगों के होते हैं जैसे सफेद बाघ, काली धारियों वाला सफेद बाघ, काली धारियों वाला भूरा बाघ और गोल्डन टाइगर और उन्हें चलते हुए देखना एक अद्भुत नजारा हो सकता है। अब तक बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर, जावन टाइगर और टाइगर हाइब्रिड ऐसी प्रजातियां हैं जो विलुप्त हो चुकी हैं।
वर्ल्ड टाइगर डे का इतिहास
वर्ल्ड टाइगर डे की शुरुआत साल 2010 से हुई जब इसे रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में मान्यता दी गई थी। सभी इस बात से हैरान थे जब एक रिपोर्ट से पता चला कि सभी बाघों में से 97% गायब हो गए है, वैश्विक परिदृश्य में सिर्फ 3,900 बाघ ही जीवित हैं।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:
- विश्व वन्यजीव कोष मुख्यालय: ग्लैंड, स्विट्जरलैंड
- विश्व वन्यजीव कोष की स्थापना: 29 अप्रैल 1961
- विश्व वन्यजीव कोष के महानिदेशक: मार्को लैम्बर्टिनी