देश में ई-ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा दिया जा रहा है। जहां एक पेट्रोल-डीजल के झंझट से मुक्ति के लिए लोग तेजी से इलेक्ट्रिक गाड़ियों की ओर रुख कर रहे हैं वहीं इसकी वजह से पर्यावरण संरक्षण में लाभ हो रहा है। इसी क्रम में केंद्र सरकार ने अब पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने और आम आदमी को राहत देने के लिए पीएम-ई-बस सेवा शुरू करने का फैसला लिया है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर सिटी बस संचालन के विस्तार के लिए एक बस योजना “पीएम-ई बस सेवा” को मंजूरी दे दी है, जिसके माध्यम से 10,000 ई-बसें चलाई जाएंगी। आइए जानते हैं कहां चलेगी पीएम ई-बस सेवा और कितनी बसें चलाई जाएंगी।

10 हजार चलेंगी ई-बसें
पीएम-ई बस सेवा के तहत 10,000 ई-बसें चलाई जाएंगी। इस योजना की अनुमानित लागत 57,613 करोड़ रुपये होगी, जिसमें से 20,000 करोड़ रुपये का समर्थन केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा। यह योजना 10 वर्षों तक बस संचालन का समर्थन करेगी।

इन शहरों में चलाई जाएंगी ई-बसें

यह योजना 2011 की जनगणना के अनुसार तीन लाख और उससे अधिक आबादी वाले शहरों को कवर करेगी, जिसमें केंद्र शासित प्रदेशों, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और पर्वतीय राज्यों की सभी राजधानी शामिल हैं। इस योजना के तहत उन शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहां कोई सुव्यवस्थित बस सेवा उपलब्ध नहीं है।

रोजगार होगा सृजन

केंद्र सरकार के मुताबिक इस योजना के तहत, सिटी बस संचालन में लगभग 10,000 बसें चलाई जाएंगी, जिससे 45,000 से 55,000 प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे। इसके अलावा योजना के तहत, राज्य अथवा नगर इन बस सेवाओं के संचालन और बस ऑपरेटरों को भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होंगे। केंद्र सरकार प्रस्तावित योजना में निर्दिष्ट सीमा तक सब्सिडी प्रदान करके इन बस संचालन का समर्थन करेगी।

योजना के दो भाग में बांटा गया है पहले भाग में 169 शहरों में सिटी बस सेवाओं का विस्तार किया जाएगा। जबकि दूसरे भाग में 181 शहरों में ग्रीन अर्बन मोबिलिटी पहल की जाएगी।

169 शहरों में सिटी बस सेवाओं का विस्तार

इसके तहत स्वीकृत बस योजना के माध्यम से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर 10,000 ई-बसों के साथ सिटी बस संचालन का विस्तार किया जाएगा। इससे जुड़ी बुनियादी संरचना से डिपो इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास/उन्नयन के लिए सहायता मिलेगी और ई-बसों के लिए बिहाइंड द मीटर विद्युत इन्फ्रास्ट्रक्चर (सबस्टेशन, आदि) का निर्माण संभव होगा।

181 शहरों में ग्रीन अर्बन मोबिलिटी पहल

इस योजना में बस की प्राथमिकता, बुनियादी सुविधा, मल्टी मॉडल इंटरचेंज सुविधाएं, एनसीएमसी-आधारित स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली, चार्जिंग के लिए बुनियादी सुविधाएं आदि जैसी हरित पहल की परिकल्पना की गई है।

ई-मोबिलिटी को बढ़ावा

–यह योजना ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देगी और बिहाइंड द मीटर इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पूर्ण सहायता प्रदान करेगी।
–शहरों को ग्रीन अर्बन मोबिलिटी पहल के तहत चार्जिंग सुविधाओं के विकास के लिए भी समर्थन दिया जाएगा।
–बस की प्राथमिकता वाले बुनियादी सुविधाओं के समर्थन से न केवल अत्याधुनिक, ऊर्जा कुशल इलेक्ट्रिक बसों के प्रसार में तेजी आएगी, बल्कि ई-मोबिलिटी क्षेत्र में नवाचार के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सशक्त आपूर्ति श्रृंखला के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
–इस योजना में ई-बसों का समूह तैयार करने को लेकर इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए व्यापक तौर पर अर्थव्यवस्था को भी अनुकूल बनाने की जरूरत होगी।
–इलेक्ट्रिक मोबिलिटी अपनाने से ध्वनि और वायु प्रदूषण कम होगा और कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगेगा।
–ई-बस-आधारित सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी बढ़ने के कारण जो बदलाव आएगा, उससे ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में कमी आएगी।

By pratik khare

पत्रकार प्रतीक खरे झक्कास खबर के संस्थापक सदस्य है। ये पिछले 8 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने कई समाचार पत्र, पत्रिकाओं के साथ - साथ समाचार एजेंसी में भी अपनी सेवाएं दी है। सामाजिक मुद्दों को उठाना उन्हें पसंद है।

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