केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री जन धन योजना को नौ साल पूरे हो गए। 28 अगस्त 2014 को शुरू हुई इस योजना के तहत अभी तक 50 करोड़ सबसे ज्यादा जनधन अकाउंट खोले गए हैं। इस नौ साल की अवधि में जनधन अकाउंट में जमा राशि 2.03 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो चुकी है।
दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन वाली पहल में इस योजना को भी शामिल किया गया है। समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तक आर्थिक मदद, बीमा और पेंशन, ऋण, निवेश से संबंधित विभिन्न वित्तीय उत्पादों को पहुंचाने के लिए जन-धन योजना की शुरुआत की गई। आज किसान सम्मान निधि हो या उज्ज्वला योजना हो यहां तक कि कोरोना काल में तमाम तरह की वित्तीय मदद और अन्य तमाम योजनाओं का लाभ बिना किसी बिचौलिए के लाभार्थियों तक डायरेक्ट पहुंचाया जा रहा है। आज PMJDY ने सफलतापूर्वक अपने नौ साल पूरे कर लिए हैं।
5.5 प्रतिशत महिलाओं के खाते
इस मौके पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘पीएमजेडीवाई की अगुवाई में ठोस उपायों के 9 साल के महत्वपूर्ण दौर और डिजिटल बदलाव ने भारत में वित्तीय समावेशन में क्रांति ला दी है। यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि जन धन खाते खोलकर 50 करोड़ से भी अधिक लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाया गया है। इन खातों में से लगभग 55.5 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं, और 67 प्रतिशत खाते ग्रामीण/अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। इन खातों में कुल जमा राशि बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो गई है। इसके अलावा, इन खातों के लिए लगभग 34 करोड़ ‘रुपे कार्ड’ बिना किसी शुल्क के जारी किए गए हैं, जिसके तहत 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर भी प्रदान किया जाता है।’
28 अगस्त 2014 को लागू हुई थी योजना
बता दें कि पीएम मोदी ने 15 अगस्त 2014 को जन धन योजना शुरू करने की घोषणा की थी। 28 अगस्त 2014 से पूरे देश में इस योजना को लागू किया गया। इस योजना का उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले उन लोगों के लिए बैंक अकाउंट की सुविधा मुहैया कराना था, जो आजादी के इतने साल बाद तक भी बैंक अकाउंट की सुविधा से वंचित थे। पीएमजेडीवाई के तहत जीरो बैलेंस बैंक अकाउंट खोले जाने थे। इसका एक उद्देश्य उन लोगों तक भी सीधी पहुंच बनाना था, जो सरकारी योजनाओं के तहत लाभान्वित होते थे। लेकिन बैंक अकाउंट नहीं होने की वजह से उन्हें दलालों या बिचौलियों के जरिए नकद भुगतान प्राप्त करना पड़ता था। जनधन अकाउंट खोलने के बाद इन लोगों को सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाला भुगतान सीधे बैंक अकाउंट में मिलने लगा, जिससे दलालों या बिचौलियों की भूमिका खत्म हो गई। योजना की शुरुआत के बाद से ही गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों ने इसे हाथों-हाथ लिया जिसकी वजह से नौ साल की अवधि में अभी तक जीरो बैलेंस वाले 50.09 करोड़ जनधन अकाउंट खोले जा चुके हैं।
डीबीटी लेन-देन सुचारू रूप से
बैंकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, लगभग 6.26 करोड़ पीएमजेडीवाई खाताधारकों को विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्राप्त होता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पात्र लाभार्थियों को समय पर उनका डीबीटी प्राप्त हो, संबंधित विभाग डीबीटी मिशन, एनपीसीआई, बैंकों और विभिन्न अन्य मंत्रालयों के परामर्श से डीबीटी की विफलताओं के टाले जा सकने वाले कारणों का पता लगाने में अत्यंत सक्रिय भूमिका निभाता है।
डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा
इसके अलावा पीएमजेडीवाई के तहत 33.98 करोड़ से भी अधिक रुपे डेबिट कार्ड जारी करने, 79.61 लाख पीओएस/एमपीओएस मशीनों की स्थापना करने और यूपीआई जैसी मोबाइल आधारित भुगतान प्रणालियों की शुरुआत होने से डिजिटल लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 1,471 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 11,394 करोड़ हो गई है। यूपीआई वित्तीय लेन-देन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 92 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 8,371 करोड़ हो गई है। इसी तरह पीओएस और ई-कॉमर्स पर रुपे कार्ड से लेन-देन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 67 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 126 करोड़ हो गई है।
अभी तक 225 करोड़ बैंक अकाउंट
वित्त मंत्रालय के मुताबिक देशभर में अभी तक 225 करोड़ बैंक अकाउंट है। देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जिनका एक से अधिक बैंक अकाउंट हैं। बावजूद इसके अभी भी करीब देश की आठ प्रतिशत आबादी बैंक अकाउंट से वंचित है। सरकार का इरादा 2024 के मार्च तक हर बालिग को बैंक अकाउंट से जोड़ देने का है, ताकि सरकारी योजनाओं के तहत होने वाले भुगतान के लिए किसी को भी बिचौलिए या दलालों की मदद न लेनी पड़े और सरकार की ओर से होने वाले भुगतान की पूरी राशि उन्हें अपने अकाउंट में ही मिले।
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