किसी भी देश या समाज के निर्माण में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। एक तरह से कहा जाए तो शिक्षक ही समाज का आईना होता है। शिक्षक का दर्जा समाज में हमेशा से ही पूजनीय रहा है। कोई उसे गुरु कहता है, कोई शिक्षक कहता है, कोई आचार्य तो कोई अध्यापक या टीचर कहता है। ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को चित्रित करते हैं, जो सभी को ज्ञान देता है, सिखाता है और जिसका योगदान किसी भी देश या राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करना है। शिक्षा का अलख जगाने वाले देश के ऐसे ही शिक्षकों के सम्मान में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में देश के 75 शिक्षकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू वर्ष 2023 के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करेंगी।

विजेताओं को प्रधानमंत्री से बातचीत का भी मिलेगा अवसर

हर वर्ष 5 सितंबर, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने का उद्देश्य देश के शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को रेखांकित करना और ऐसे शिक्षकों का सम्मान करना है जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता व परिश्रम से न सिर्फ स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध किया है। पुरस्कार के रूप में प्रमाणपत्र, 50 हजार रुपये का नकद पुरस्कार और एक रजत पदक प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार विजेताओं को प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करने का भी अवसर मिलेगा।

सर्वश्रेष्ठ शिक्षक होते हैं पुरस्कृत

शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षा मंत्रालय का स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग प्रति वर्ष 5 सिंतबर को एक राष्ट्रीय समारोह का आयोजन करता है जिसमें एक कठोर और पारदर्शी चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।

पहली बार उच्च शिक्षा व कौशल विकास के शिक्षक भी शामिल

इस वर्ष से, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का दायरा बढ़ाकर उच्च शिक्षा विभाग और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के शिक्षकों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है। इस वर्ष 50 स्कूल शिक्षकों, उच्च शिक्षा से 13 शिक्षकों और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय से 12 शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा

ऑनलाइन मोड में मांगे गए थे नामांकन

अभिनव शिक्षण, अनुसंधान, सामुदायिक आउटरीच और नवीन कार्यों को पहचानने की दृष्टि से और भागीदारी (जन भागीदारी) को अधिकतम करने के लिए ऑनलाइन मोड में नामांकन मांगे गए थे। शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों के चयन के लिए प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल करते हुए तीन अलग-अलग स्वतंत्र राष्ट्रीय जूरी का गठन किया था।

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