-प्रतीक खरे
1024 ईसवी में जब आक्रान्ता महमूद गजनवी 17वीं बार गुजरात के सोमनाथ मन्दिर को लूटने के लिए चला तो एक वीर योद्धा ऐसा भी था जो बिना किसी देरी के उसके रास्ते में चट्टान की तरह खड़ा हो गया। जब तक उनके शरीर में रक्त की एक बूंद भी थी, आक्रान्ता महमूद गजनवी आगे न बढ़ सका… वह वीर योद्धा थे जाहरवीर गोगा जी महाराज।
जाहरवीर गोगा जी का जन्म संवत 1003 में जयपुर से लगभग 250 किमी दूर स्थित सादलपुर के पास दत्तखेड़ा में पिता राजा जेवर सिंह और माता बाछल के घर हुआ था। गोगा जी गुरु गोरखनाथ जी के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। इन्होंने तंत्र विद्या की शिक्षा गुरु गोरखनाथ जी से प्राप्त की थी। गोगाजी का राज्य सतलुज से हांसी वर्तमान हरियाणा तक था। लोकपूज्य देवता वीर गोगाजी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। लोक संस्कृति में भी गोगाजी के प्रति अपार आदर भाव है। इतिहासकारों ने उनके जीवन को शौर्य, धर्म, पराक्रम और उच्च आदर्शों का प्रतीक माना है। जब आक्रान्ता महमूद गजनवी सोमनाथ मंदिर को लूटने आया, और इस बात की जानकारी गोगाजी को लगी तो उन्होंने बिना देर किए मां भारती की रक्षा के लिए अपने एक पुत्र और पौत्र को गुजरात भेज दिया, ताकि गजनवी के रास्ते की सटीक जानकारी मिल सके।
जब आक्रान्ता महमूद गजनवी पूर्वी मरुस्थल के पास पहुंचा तो ददरेवा के शासक गोगाजी ने उसका रास्ता रोक दिया। गजनवी ने रास्ता देने के लिए गोगाजी के पास कई बार अपने दूत भेजे और तरह-तरह के प्रलोभन दिए। लेकिन गोगाजी ने रास्ता देने से मना कर दिया।
गोगा जी जानते थे कि एक लाख की पैदल सेना तथा 30 हजार अश्वारोहियों की विशाल शत्रुसेना का सामना महज एक हजार राजपूत नहीं कर पाएंगे किन्तु बात धर्म और मातृभूमि के स्वाभिमान की थी। इस लिए गोगाजी ने आक्रान्ता गजनवी से युद्व करना ही राष्ट्र धर्म माना।
गोगाजी ने सैनिकों के साथ केसरिया रंग के वस्त्र पहन कर गजनवी पर आक्रमण कर दिया ।गोगा देव जी ने अपने सभी पुत्रों, भाइयों और सगे सम्बन्धियों सहित जन्मभूमि और धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दे दिया। लड़ते हुए जिस स्थान पर उनका शरीर गिरा था उसे गोगामेड़ी कहते हैं यह स्थान हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील में है।
वहीं एक अन्य लोक मान्यता यह भी है कि गोगा जी ने इसी गोगामेड़ी स्थान पर घोड़े सहित भूमि में प्रवेश कर समाधि ले ली थी। आज भी देश के कोने-कोने से लाखों श्रृद्धालु इस पवित्र तीर्थ स्थल के दर्शनों के लिए आते हैं। यहाँ बड़ा मेला लगता है।
गोगा जी ने आक्रमणकारियों से 12 बार युद्ध कर उन्हें हराया था अफगानिस्तान के बादशाह द्वारा लूटी गई हजारों गायों को उन्होंने बचाया था उनकी वीरता के डर से अरब के लुटेरों ने गोधन को लूटना बंद कर दिया था।
गोगाजी वर्तमान समय में भारत के उत्तरी और पश्चिमी राज्यों विशेषकर राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और गुजरात में लोक देवता के रूप में पूजे जाते है। देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा करने वाले जाहर वीर गोगाजी महाराज को कोटि-कोटि नमन है।
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