Chhath puja: छठ पर्व का शुभारंभ नहाय- खाय की परंपरा के साथ ही शुरू हो चुका है. छठ पर्व के दूसरे दिन खरना की परंपरा होती है जिसमें महिलाएं खीर का प्रसाद तैयार करती हैं जिसे छठी मइया को अर्पित कर व्रतिया उसी प्रसाद का सेवन कर व्रत प्रारंभ करतीं है. यह व्रत 36 घंटे तक चलता है. यह कठोर व्रत का प्रण चौथे दिन प्रातः सूर्य के उषा अर्घ्य के बाद खुलता (पारण) है. यह व्रत संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा, रोग व्याधि से मुक्ति, खुशहाली के लिए किया जाता है इसमें भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा की जाती है. लेकिम सवाल यह उठता है कि महिलाएं नाक से सिंदूर क्यों भारती हैं और इसके पीछे की क्या मान्यता है.
हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए सिंदूर का विशेष महत्त्व होता है सिंदूर से ही उनके दांपत्य जीवन में होने की पहचान भी होती हैं. माथे का सिंदूर महीला के जिंदगी और श्रृंगार का सब से बड़ा गहना होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सिंदूर सुहागिन महिला की निशानी होता है और नाक से मांग तक सिंदूर भरने का मतलब पति की लंबी उम्र की कामना करना है. मान्यताओं के अनुसार महिलाएं जितना लंबा सिंदूर लगाती हैं पति की आयु भी उतनी ही लंबी होती है.
सिन्दूर का कलर कैसा होना चहिए
नाक से सिंदुर भरने के पीछे एक और मान्यता है माना जाता है की नाक से सिंदूर भरने से पति के मान सम्मान में वृद्धि होती है और वह सदैव शक्ति के साथ गतिशील रहते हैं जो जितना लंबा सिंदूर लगाता है उसके पति और पुत्र को उतनी ही यश कीर्ति प्राप्त होती हैं.सामान्यतः सिंदूर का कलर लाल यानी सिंदूरी ही होता है लेकिन छठ पूजा में नारंगी सिन्दूर से मांग भरना और पूजा करना शुभ माना जाता है. क्यों की इस कलर को सूर्य के रंग नारंगी और पीले रंग से जोड़ा जाता है जो सूर्य के प्रकाश और तेज को दर्शाता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक उर्जा का संचार करता है.