सीमा सुरक्षा बल भारत की सीमा रक्षा सेना है। यह एक अर्धसैनिक बल है, जिसकी स्थापना वर्ष 1965 में शांति के समय के दौरान भारत सीमाओं की रक्षा और अन्तर्राष्ट्रीय अपराध को रोकने के लिए की गई थी। यह बल केंद्र सरकार की ‘गृह मंत्रालय’ के नियंत्रण के अंतर्गत आता है। बांग्लादेश की आज़ादी में ‘सीमा सुरक्षा बल’ की अहम भूमिका अविस्मरणीय है।
स्थापना
देश के उत्कृष्ट बलों में से एक ‘सीमा सुरक्षा बल’ की स्थापना 1 दिसम्बर, 1965 को मौलिक रूप से पाकिस्तान तथा बांग्लादेश के साथ अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं को सुरक्षित बनाने के लिए की गई थी। ‘सीमा सुरक्षा बल’ के गठन से पहले इन सीमाओं पर संबंधित राज्य की सशस्त्र पुलिस तैनात थी, तथापि 9 अप्रैल, 1965 को गुजरात में सरदार पोस्ट, छार बेट तथा बेरिया बैट सीमा चैकियों पर पाकिस्तानी आक्रमण ने इन संवेदनशील सीमाओं की एक समान सशस्त्र बल द्वारा सुरक्षित रखने की आवश्यकता को उजागर किया।
गठन
समय की मांग एक ऐसे बल की स्थापना की थी, जो सीमाओं की सुरक्षा के लिए थल सेना की तरह प्रशिक्षित हो तथा सीमा पार अपराध को रोकने के लिए पुलिस की तरह कार्य करें। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु गठित सचिवों की एक समिति की सिफारिश के अनुसार दिनांक 1 दिसम्बर, 1965 को के. एफ़. रुस्तमजी के कुशल नेतृत्व में ‘सीमा सुरक्षा बल’ का गठन किया गया। ऑपरेशन के लिए गठित इस बल की कार्य क्षमता में लगातार वृद्धि हुई तथा आज यह बल देश का उत्तम भरोसेमंद व्यावसायिक बलों में एक है।
वाहिनियाँ
‘सीमा सुरक्षा बल’ अपनी स्थापना के समय 25 वाहिनियों से प्रारंभ किया गया था। इस बल में आज 175 वाहिनियाँ हैं, जिन्हें सुदृढ बनाने हेतु मुख्य प्रशिक्षण संस्थानों, विस्तृत चिकित्सा ढाँचों, आर्टिलरी रेजिमेंट, वायु तथा जल खण्ड, ऊँट कंटिनजेंट तथा स्वांग स्कवाड हैं। शांति के समय तथा लड़ाई के दौरान दोनों अवस्थाओं में अहम भूमिका निभाने हेतु, रात-दिन सीमाओं पर कृत्रिम तथा प्राकृतिक चुनौतियों का सामना करते हुए ‘सीमा सुरक्षा बल’ देश का अनूठा बल है।
भूमिका
सीमा प्रहरियों के लिए शांत पोस्टिंग तथा फ़ील्ड पोस्टिंग में कोई अन्तर नहीं है, क्योकि सीमा प्रहरियों के लिए यह जीवन पर्यन्त का कर्तव्य है। विगत वर्षों में बल को सौपी गई समस्त जिम्मेदारियों को ‘सीमा सुरक्षा बल’ ने उत्कृष्ट ढंग से निभाया है। राष्ट्र के सुरक्षा साँचे में ‘सीमा सुरक्षा बल’ ने सदैव महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पंजाब, जम्मू और कश्मीर तथा उत्तर-पूर्व में आतंकवाद को समाप्त करने तथा थल में वामपंथी चरमपंथी से निपटने में ‘सीमा सुरक्षा बल’ ने अदम्य साहस का परिचय दिया है।