बिहार में कई ऐसे स्थान हैं जो अपने पौराणिक इतिहास के लिए जाने जाते हैं. उनमें से हीं एक स्थान है सारण स्थित ढ़ोढ़नाथ स्थान. यहां बाबा भोलेनाथ का एक शिवलिंग स्थापित है. सारण के जाने माने ज्योतिषाचार्य स्वामी संदीपाचार्य ने बताया कि इस शिवलिंग का इतिहास बहुत ही पुराना है. इसके बारे में कहा गया है कि यह शिवलिंग पृथ्वी के अंदर से प्रकट हुआ था. बलिया के व्यपारी ने इस स्वयंभू शिवलिंग को पृथ्वी के गर्भ से निकालकर स्थापित किया.
शिवलिंग को लेकर व्यापारी को आया था सपना
स्वामी संदीपाचार्य ने बताया कि पुरातन काल में बलिया के रहने वाले ढोढा शाह नाम के एक व्यापारी इस रास्ते से व्यापार के सिलसिले में कहीं जा रहे थे. उस दौरान संध्या हो जाने पर वो अपनी नाव खड़ी कर रात्रि विश्राम कर रहे थे. तभी उन्हें एक सपना आया कि इस स्थान पर एक शिवलिंग है.
हालांकि वह व्यापारी अगले दिन सुबह में इस सपने को नजरअंदाज कर जाने लगे, लेकिन उनकी नाव आगे बढ़ ही नहीं रही थी. तब अचानक से उन्हें रात के सपने का ध्यान आया. इसके बाद उस स्थान पर खुदाई की गई तो सचमुच भगवान भोलेनाथ का एक शिवलिंग प्रगट हुआ. स्वामी संदीपाचार्य के मुताबिक इस शिवलिंग की गहराई अनंत है.
ऐसे हुआ इस स्थान का नामकरण
संदीपाचार्य ने बताया कि व्यापारी ने उस स्थान पर मंदिर बनवाकर शिवलिंग की पूजा की और तभी से इस स्थान का नाम ढ़ोढ़नाथ स्थान और शिवलिंग का नाम ढ़ोढ़नाथ पड़ा. आज भी हर साल व्यापारी के परिवार के लोग बलिया से चलकर यहां आते हैं और बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं.
स्वामी संदीपाचार्य ने आगे बताया कि यह स्थान बहुत हीं पवित्र है. यहां सच्चे मन से जो भी व्यक्ति आते हैं, उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है. उन्होंने बताया कि यहां बिहार सहित नेपाल से भी लोग शिवलिंग पर जलाभिषेक करने आते हैं. यहां सालों भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है.