रामनगर के लीची के साथ रामगढ़ के आडू को भी वैश्विक पहचान मिलेगी। आडू को जीआई (जीओग्राफिकल इंडिकेटर) टैग मिलने से रामगढ़ क्षेत्र के काश्तकारी काफी गदगद हैं। आडू बेचने के लिए बागवान व व्यापारी को यूजर सर्टिफिकेट लेना होगा। उसके बाद ही वह जीआई टैग लगाकर आडू बेच सकते हैं।
वर्तमान में रामगढ़ ब्लाक के हरतोला, बसगांव, भियाल, सुयालगाढ़, बड़ैत, ज्योतिया समेत कई क्षेत्रों में आडू का बंपर उत्पादन होता है। अप्रैल से जुलाई के बीच बाजार में आने वाले से इस फल की डिमांड खूब रहती है। पिछले सीजन में 17232 क्विंटल आडू हल्द्वानी मंडी में पहुंचा था। मंडी व्यापारियों के मुताबिक, इसकी डिमांड उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पटना, गुजरात, मध्य प्रदेश में खूब है।
क्या बोले अधिकारी और
रामगढ़ के आडू को जीआई टैग मिलने से क्षेत्र व फल को वैश्विक पहचान मिलेगी। आडू उत्पादन बढ़ाने को फल उत्पादकों को जागरूक किया जाएगा। – एनके सिंह, मुख्य उद्यान अधिकारी, नैनीताल
रामगढ़ क्षेत्र में आड़ू का अच्छा उत्पादन होता है। जीआई टैग मिलने से क्षेत्र को अलग पहचान मिलेगी। सरकार को उत्पादन को लेकर काश्तकारों को जागरूक करने के साथ सहायता उपलब्ध करानी चाहिए। – संजय सिंह बोहरा, काश्तकार, हरतोला
पेड़ से टूटने के बाद आड़ू की लाइफ ज्यादा नहीं होती। इस कारण उसे विदेश नहीं भेज पाते हैं। विदेश से भी डिमांड आती है। जून, जुलाई व अगस्त में इसका सीजन होता है। तब प्रतिदिन 40 से 50 गाड़ी आड़ू मंडी में आता है। – एनके दानी, मंडी व्यापारी