हिंदू धर्म में शुभता का प्रतीक माना जाने वाला दीपक पूजा के दौरान मुख्य रूप से जलाया जाता है। इसके साथ ही तुलसी के पौधे से लेकर घर के मुख्य द्वार पर भी दीपक जलाने का विधान है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इससे घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। साथ ही हिंदू धर्म में दीपक से जुड़े कई नियम भी बताए गए हैं, जिनमें से एक यह है कि रात के समय दीपक नहीं जलाना चाहिए। आइए जानते हैं इसके पीछे का धार्मिक कारण।

इसलिए जलाया जाता है दीपक
सनातन धर्म में माना गया है कि साधक द्वारा कोई कार्य अग्नि को साक्षी मानकर किया जाता है तो, उस काम का हमेशा शुभ फल ही प्राप्त होता है। अर्थात वह कार्य सफल होता है। इसलिए किसी भी अनुष्ठान में जरूरी रूप से दीपक जलाया जाता है।



ये होती है दो तरह की पूजा
शास्त्रों में दो तरह की पूजा का वर्णन मिलता है। एक गृहस्थ पूजा और दूसरी तांत्रिक पूजा। जहां गृहस्थ पूजा, गृहस्थ जीवन जीने वाले लोगों द्वारा सात्विक तरीके से की जाती हैं, तो वहीं तांत्रिक पूजा, तांत्रिक या अघोरियों द्वारा की जाती है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त से लेकर सूर्यास्त तक का समय सात्विक पूजा का माना गया है। इसके बाद की गई पूजा, तांत्रिक पूजा मानी जाती है।

क्या होता है रात में दीपक जलाने का अर्थ
हिंदू धर्म में यह माना जाता है, कि सूर्यास्त के बाद देवी-देवता विश्राम करने चले जाते हैं, ऐसे में रात में जलाया गया दीपक उनके विश्राम में बाधा डाल सकता है। जिस कारण व्यक्ति को इसका शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। यही कारण है, कि रात को दीपक जलाना निषेध है।

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By pratik khare

पत्रकार प्रतीक खरे झक्कास खबर के संस्थापक सदस्य है। ये पिछले 8 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने कई समाचार पत्र, पत्रिकाओं के साथ - साथ समाचार एजेंसी में भी अपनी सेवाएं दी है। सामाजिक मुद्दों को उठाना उन्हें पसंद है।

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