भारतीय संस्कृति और बंगला साहित्य के विद्वान के रूप में प्रसिद्ध देवेंद्रनाथ टैगोर की आज पुण्यतिथि है। अपनी दानशीलता के कारण उन्हें ‘प्रिंस’ की उपाधि प्राप्त थी। उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
देवेंद्रनाथ टैगोर का जन्म 15 मई 1817 में हुआ था। वह रबींद्रनाथ टैगोर के पिता थे। बता दें, बंगाल में टैगोर परिवार का तीन सौ साल पुराना इतिहास है। कलकत्ता के इस श्रेष्ठ परिवार ने बंगाल पुनर्जागरण में एक अहम भूमिका निभाई है। इस परिवार ने ऐसे महात्माओं को जन्म दिया जिन्होंने सामाजिक, धार्मिक और साहित्यिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके पुत्र रबीन्द्रनाथ ठाकुर एक विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार थे जबकि उनके दूसरे पुत्र सत्येन्द्रनाथ ठाकुर पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय लोक सेवा की परीक्षा दी थी।
‘महर्षि’ उपाधि
राजा राममोहन राय की भांति देवेंद्रनाथ जी भी चाहते थे कि देशवासी संस्कृति की अच्छाइयों को ग्रहण करके उन्हें भारतीय परंपरा, संस्कृति और धर्म में समाहित करें। वे हिन्दू धर्म को नष्ट करने के नहीं, उसमें सुधार करने के पक्षपाती थे। वे समाज सुधार में ‘धीरे चलो’ की नीति पसंद करते थे। इसी कारण उनका केशवचन्द्र सेन तथा उग्र समाज सुधार के पक्षपाती ब्राह्मासमाजियों, दोनों से ही मतभेद हो गया।
केशवचन्द्र सेन ने अपनी नई संस्था ‘नवविधान’ शुरू की, उधर उग्र समाज सुधार के पक्षपाती ब्रह्मा समाजियों ने आगे चलकर अपनी अलग अलग संस्था ‘साधारण ब्रह्म समाज’ की स्थापना की। देवेन्द्रनाथ जी के उच्च चरित्र तथा आध्यात्मिक ज्ञान के कारण सभी देशवासी उनके प्रति श्रद्धा भाव रखते थे और उन्हें ‘महर्षि’ सम्बोधित करते थे।
शांति निकेतन
देवेंद्रनाथ धर्म के बाद शिक्षा प्रसार में सबसे अधिक रुचि लेते थे। उन्होंने बंगाल के विविध भागों में शिक्षा संस्थाएं खोलने में मदद की। उन्होंने साल 1863 में 20 बीघा जमीन खरीदी और वहां गहरी आत्मिक शांति अनुभव करने के कारण उसका नाम ‘शांति निकेतन’ रख दिया यहीं पर बाद में उनके स्वनामधन्य पुत्र रवीन्द्रनाथ टैगोर ने विश्वभारती की स्थापना की।
धर्म और शिक्षा
देवेंद्रनाथ जी मुख्य रूप से धर्म सुधारक तथा शिक्षा प्रसार में रुचि तो लेते ही थे, देश सुधार के अन्य कार्यों में भी पर्याप्त रुचि लेते थे। साल 1851 में स्थापित होने वाले ‘British Indian Association’ का सबसे पहला सेक्रेटरी उन्हें ही नियुक्त किया गया था। इस एसोसिएशन का उद्देश्य संवैधानिक आंदोलन के द्वारा देश के प्रशासन में देशवासियों को उचित हिस्सा दिलाना था। 19 जनवरी 1905 को आधुनिक भारत की मजबूत नींव रखने वाले देवेंद्रनाथ टैगोर का निधन हो गया।