World Leprosy Day : इस साल पूरा विश्व कुष्ठ दिवस रविवार 30 जनवरी को मना रहा है। कुष्ठ दिवस हर साल जनवरी के आखिरी रविवार को मनाया जाता है। इस तिथि को फ्रांसीसी मानवतावादी, राउल फोलेरेउ ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के रूप में चुना था, जिन्होंने कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के साथ बहुत काम किया था और जब 1948 में जनवरी के अंत में उनकी मृत्यु हो गई थी, इसलिए इस दिन को राउल फोलेरेउ ने कुष्ठ रोग दिवस के रूप में चुना था। कुष्ठ रोग एक दीर्घकालिक जीवाणु संक्रमण है जो नसों, श्वसन नली, त्वचा और आंखों को स्थायी और अपूरणीय क्षति पहुंचाता है। अक्सर, इस रोग से पीड़ित व्यक्ति प्रभावित अंगों में दर्द को महसूस नहीं कर पाता है, जिससे चोटों या घावों की ओर उनका ध्यान नहीं जाता है, और इसके परिणामस्वरूप प्रभावित अंगों में नुकसान होता है। इस रोग को हैनसेन रोग भी कहा जाता हैं।
इस बीमारी को हैनसेन रोग भी कहा जाता है, यह नाम नॉर्वेजियन डॉक्टर गेरहार्ड हेनरिक अर्माउर हेन्सन के नाम पर रखा गया है, जो कि विश्व में कुष्ठ रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए जाने जाते हैं।

भारत, और इंडोनेशिया,ब्राजील में सबसे अधिक मामले
आपको बता दें कि आज इस रोग का आसानी से इलाज संभव हो गया है और कई बड़े डेवलप देश जैसे यूएस में इसका इलाज दुर्लभ है।
इस रोग के मामले विशेष रूप से भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया में सबसे अधिक पाए जाते हैं। इतना ही नहीं यहां इस रोग से संक्रमित लोगों के साथ अक्सर भेदभाव भी किया जाता है और उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है, जिससे उचित चिकित्सा देखभाल, उपचार तक पहुंच की कमी और यहां तक कि बेसिक मानवाधिकारों से भी ऐसे लोग वंचित हो जाते हैं, जो की उनके मानष्कि हेल्थ को काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं।
1954 में इस दिवस की शुरुआत हुई
1954 में विश्व कुष्ठ दिवस की शुरुआत कुष्ठ रोग के बारे में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए, फ्रांसीसी परोपकारी राउल फोलेरो ने की थी । जिसका उद्देश्य इस रोग से पीड़ित लोगों के प्रति करुणा, दया और सम्मान दिखाना था।