तुगलकाबाद किला का संक्षिप्त विवरण

भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित तुगलकाबाद किले का इतिहास व वास्तुकला काफी रोचक एवं महत्वपूर्ण हैं। इस किले का निर्माण 1321 में तुगलक वंश के संस्थापक घियाथ अल-दीन तुगलक ने करवाया था और उन्होनें दिल्ली को चौथी बार ऐतिहासिक शहर के रूप में स्थापित किया था। इसके आस-पास के क्षेत्रों को तुगलकाबाद आवासीय-वाणिज्यिक क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता था। वर्तमान किले की स्थिति एक खंडर के रूप में है जिसे पर्यटक काफी पसंद करते है।

तुगलकाबाद किला का इतिहास

दिल्ली में जब खिलजी वंश का शासन था, तब घियाथ अल-दीन तुगलक खिलजी शासकों के एक सामंत के रूप में कार्यरत थे और उस समय उनका नाम गाजी मलिक था। वह एक बार अपने खिलजी गुरु के साथ टहल रहे थे, तब उन्होने इस किले के निर्माण का सुझाव दिया था। परंतु राजा ने गाजी मलिक का मज़ाक उड़ते हुए खुद किले का निर्माण करने के लिए कह दिया था। तब 1321 ई॰ में गाजी मलिक ने तुगलक वंश की स्थापना की और ग़यासुद्दीन तुगलक की उपाधि धारण की और खिलजियों के साथ युद्ध शुरू कर, उन्हें पराजित कर अपने साम्राज्य से निकाल दिया और तुरंत शहर के साथ-साथ किले का निर्माण भी आरंभ करवा दिया।

तुगलकाबाद किला के रोचक तथ्य

  1. तुगलक वंश द्वारा निर्मित इस स्मारक की एक विशिष्ट विशेषता यह है की इस किले को युद्धरत पैरापेट किले के सबसे ऊपर की 10 से 15 मीटर की ऊँचाई के बीच बनाया गया है।
  2. किले में ग्रेनाइट पत्थरों का भी उपयोग स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है क्योंकि इसकी सभी दीवारें ग्रेनाइट पत्थर से बनी हुई हैं जो किले को चारों तरफ से मजबूती प्रदान करती हैं।
  3. इस किले के भीतर ही घियाथ अल-दीन तुगलक का मकबरा स्थित है जोकि एकल-गुंबददार वर्गाकार मकबरे की शैली में बनाया गया है। इस मकबरे के किनारों का निर्माण चिकने लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर के खुदे हुये पैनलों और मेहराबो से किया गया है।
  4. घियाथ अल-दीन की कब्र के पास तीन कब्र ओर हैं, जिसमें बीच की कब्र घियाथ अल-दीन की है और दूसरी दो कब्रे उनकी पत्नी एवं उनके बेटे और उनके उत्तराधिकारी मुहम्मद बिन तुगलक की है। दीवार के उत्तर-पश्चिमी भाग पर पिल्लरो से जुड़े गलियारे में एक और अष्टकोणीय कब्र का निर्माण किया गया है।
  5. किले के एक दरवाजे पर एक शिलालेख के है, उसके अनुसार किले के दक्षिणी द्वार पर बनी कब्र जफर खान की है। इतिहासकारों के अनुसार जफर खान ने किले की चौकियों का निर्माण करवाया था।
  6. घियाथ अल-दीन तुगलक का मकबरा किलेबंदी के दक्षिणी चौकी के लिए एक मार्ग से जुड़ा हुआ है। यह पक्की सड़क 600 फीट लंबी है, और 27 मेहराब द्वारा समर्थित है। स्थानीय लोगो का कहना है की लगभग 20 वीं शताब्दी में इस पक्की सड़क के कुछ भाग को महरौली-बदरपुर रोड में बदल दिया गया था।
  7. इतिहासकारों और स्थानीय लोगो द्वारा इस किले के बारें में ये कहा जाता है की इस किले में कभी 52 गेट हुआ करते थे जिस कारण इसे गेटों वाला शहर भी कहा जाता था परंतु वर्तमान समय में इस किले में केवल 13 गेट ही बचे है।
  8. इस किले की संरचना को देखकर ऐसा लगता है की उस समय इस तीन मुख्य भागों में बांटा गया था, जिसमें पहला भाग अपने फाटकों के बीच एक आयताकार क्षेत्रफल के साथ निर्मित घरों के कारण एक व्यापक शहर बना हुआ है तथा दूसरा भाग अपने उच्चतम बिंदु पर एक टावर के साथ गढ़ के रूप में है जिसे बिजाई-मंडल के नाम से जाना जाता है और अंतिम भाग आसन्न महल क्षेत्र है जिसमे शाही निवास शामिल है।
  9. किले के दक्षिणी भाग में किलेबंद चौकी के भीतर और घियाथ अल-दीन की कब्र के निकट ही एक विशाल कृत्रिम जल भंडार है। यह अच्छी तरह से संरक्षित मकबरा किले से जुड़ा हुआ है।

तुगलकाबाद किला कैसे पहुंचे (How to Reach Tughlakabad Fort):

  1. किले का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन तुगलकाबाद रेलवे स्टेशन है जोकि किले से मात्र 6.1 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। इस स्टेशन से सार्वजनिक परिवहन द्वारा किले तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। किले का सार्वजनिक बस स्टैंड तुगलकाबाद एक्सटेंशन है।
  2. इसके अतिरिक्त किले से लगभग 3.5 किमी की दूरी पर तुगलकाबाद मेट्रो स्टेशन की सुविधा भी उपलब्ध है। यह किले का सबसे निकटतम मेट्रो स्टेशन है।

वास्तुकला:

तुगलकाबाद आज भी विशाल पत्थरो से बने किलो के लिए प्रसिद्द है। तुगलक साम्राज्य के शासनकाल में यहाँ बहुत सी एतिहासिक धरोहरों का निर्माण किया गया था।

साथ ही यहाँ 10 से 15 मीटर ऊँची घुमावदार दीवारों का भी निर्माण किया गया है। जानकारों के अनुसार इस शहर में पहले कुल 52 प्रवेश द्वार थे, जिनमे से केवल 13 आज बचे हुए है। इस सुंदर और मनमोहक शहर में आज केवल 7 वर्षा जल टैंक बचे हुए है।

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By pratik khare

पत्रकार प्रतीक खरे झक्कास खबर के संस्थापक सदस्य है। ये पिछले 8 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने कई समाचार पत्र, पत्रिकाओं के साथ - साथ समाचार एजेंसी में भी अपनी सेवाएं दी है। सामाजिक मुद्दों को उठाना उन्हें पसंद है।

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