History of Agra Fort : मुगल साम्राज्य ने भारत पर लगभग 400 तक शासन किया है जिसके दौरान उन्होंने भारत में कई तरह की ऐतिहासिक इमारतो का निर्माण भी करवाया है। भारतीय इतिहास में सदैव एक महान मुगल शासक के तौर पर अकबर का नाम लिया जाता है।

प्रसिद्ध मुगल सम्राट द्वारा बनवाया गया आगरा का किला विश्व प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका है। यह किला अपनी स्थापत्य शैली, इतिहास व सुन्दरता के कारण युनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल भी घोषित किया जा चुका है।

आगरा का किला का इतिहास

आगरा के किले का इतिहास ही उतना रोचक है जितना की मुगल शासको का इतिहास क्योंकि यह मुगलों के कई राजाओं से जुड़ा हुआ है, जिसमें अकबर, शहाजहां आदि नाम सम्मिलत हैं। इस किले की बनने की शुरुआत 1526 ई. से पहले की है लेकिन जब पानीपत की पहली लड़ाई हुई जिसमे बाबर ने इब्राहिम लोदी को हरा दिया था और उसके बाद वह आगरा के किले में रहने लगा और उस समय यह किला केवल ईंटो का बना हुआ था।

वर्ष 1530 ई. में हुमायूं को मुगल साम्राज्य का अगला सम्राट चुना गया, जिसके बाद 1540 ई. में शेरशाह सूरी द्वारा हुमायूं को हरा दिया और 15 वर्षो तक किले पर राज किया। 1555 ई. में हुमायूं ने शेरशाह सूरी को हरा कर वापस इस किले पर अपना शासन कायम किया। 1556 ई. में हुमायूं की मृत्यु के तुरंत बाद सम्राट के तौर पर अकबर को चुना गया था।

अकबर ने अपनी शासन व्यवस्था को ध्यान में रखते हुये 1558 ई. में आगरा को अपनी राजधानी बना दिया और उसके तुरंत बाद वह इस किले को देखने के लिए पंहुचे। उनके इतिहासकार अबुल फजल ने अपनी पुस्तक में यह लिखा कि “यह एक ईंट का किला था जिसे ‘बादलगढ़’ कहा जाता था और यह काफी बर्बाद स्थिति में था। जिसके लिए अकबर ने 1565 ई. में राजस्थान के बरौली क्षेत्र धालपुर जिले से लाल बलुआ पत्थर को मंगा कर इसका निर्माण शुरू कराया और 1573 ई. तक यह किला पूर्णरूप से बनकर तैयार हो गया था।” अकबर के पोते शाहजहां ने अपने शासनकाल के दौरान ताजमहल का निर्माण करवाया था जिसके लिए उन्होंने किले के अंदर की कुछ पिछली इमारतों को भी नष्ट कर दिया था।

वर्ष 1658 ई. में शाहजहां के पुत्र औरंगजेब ने उन्हें आगरा के किले में बंदी बना दिया और शासन व्यवस्था को अपने हाथ में ले लिया और वर्ष 1666 ई. में किले के भीतर बने एक संगमरमर की बालकनी वाले एक टावर (मुसाममान बुर्ज) में शाहजहां की मृत्यु हो गई। 18 वीं शताब्दी की शुरुआत में इसे मराठा साम्राज्य द्वारा कब्जा लिया गया, परंतु 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई के दौरान उन्हें अहमद शाह अब्दली द्वारा हार का सामना करना पड़ा था। वर्ष 1785 ई. में किला महादजी शिंदे की नियंत्रण में आ गया था परंतु 1803 में दूसरे एंग्लो-मराठा युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने इस किले को अपने अधीन कर लिया और इसे अपने कार्यो के उपयोग के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था।


आगरा का किला के रोचक तथ्य

  1. इस किले का निर्माण काफी सारे शासको ने करवाया था परंतु वर्तमान में जो किला देखा जाता है उसका निर्माण अकबर द्वारा 1565 ई. से 1573 ई. के मध्य लगभग 8 वर्षो तक करवाया गया था।
  2. इस किले के निर्माण में लगभग 40,000 श्रमिकों ने आठ साल तक प्रत्येक दिन लगातार काम किया था।
  3. वर्ष 1506 ई. में सिकंदर लोधी ने देश की राजधानी, दिल्ली को आगरा में स्थानांतरित कर दिया और आगरा के किले को अपने निवास के रूप में उपयोग कर, आगरा को “दूसरी राजधानी” की संज्ञा दी थी।
  4. यह किला 380,000 वर्ग मीटर (94 एकड़) में फैला एक अर्धवृत्तीय किला है।
  5. यह किला भी ताजमहल, दिल्ली के लाल किला की तरह यमुना नदी के किनारे स्थित है। इस किले की बाहरी दीवारें लगभग 70 फुट ऊंची हैं।
  6. इस किले के परिसर के भीतर ही 3 मस्जिद स्थापित हैं। जोकि मोती मस्जिद, मीना मस्जिद और नगीना मस्जिद के नाम से जानी जाती है। इसमें एक ज़नाना मीना बाजार भी स्थित है।
  7. आगरा के किले में 4 प्रवेश द्वार हैं जिसमे सबसे प्रमुख द्वारा दिल्ली गेट और दूसरा लाहौर गेट है। लाहौर गेट को अमर सिंह गेट भी कहा जाता है, जिसका नाम अमर सिंह राठौर के नाम पर रखा गया।
  8. इस किले के परिसर के भीतर 9 आलिशान महल भी बने है। जिनमें जहांगीर महल, खास महल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शाह जहानी महल, मच्ची भवन, बंगाली महल, शीश महल और अकबरी महल आदि सम्मिलित है।
  9. इस किले की सुन्दरता व नक्काशीयों को देखते हुये यूनेस्को द्वारा साल 1983 में इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया गया।
  10. भारत की सबसे प्रसिद्ध फिल्मो में से एक 1960 में आई मुगल-ए-आज़म का प्रसिद्ध गाना ‘प्यार किया तो डरना क्या’ की शूटिंग भी आगरा के किले में की गई थी।
  11. इस किले को वर्ष 2000 में मिस्र के पॉप स्टार हिशाम अब्बास ने अपने एक मशहूर संगीत वीडियो “हबीबी दाह” में फिल्माया था।
  12. इस किले ने वर्ष 2004 में वास्तुकला के लिए आगा खान पुरस्कार जीता। भारत पोस्ट ने इस कार्यक्रम का जश्न मनाने के लिए एक टिकट भी जारी किया था।

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By pratik khare

पत्रकार प्रतीक खरे झक्कास खबर के संस्थापक सदस्य है। ये पिछले 8 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने कई समाचार पत्र, पत्रिकाओं के साथ - साथ समाचार एजेंसी में भी अपनी सेवाएं दी है। सामाजिक मुद्दों को उठाना उन्हें पसंद है।

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