Lohagad Fort – लोहगढ़ किला महाराष्ट्र के बहुत से पहाड़ी किलो में से एक है। यह पहाड़ी इलाके लोनावाला के पास और पुणे के उत्तरी भाग में 52 किलोमीटर की दुरी पर बना हुआ है। लोहगढ़ किला समुद्री सतह से तक़रीबन 1033 m (3389 फीट) की ऊंचाई पर बना हुआ है।
यह किला अपने पडोसी विसापूर किले से जुड़ा हुआ है। ज्यादातर समय यह किला मराठा साम्राज्य के पास ही रहा, बल्कि केवल 5 वर्षो तक ही यह किला मुघलो के पास रहा था।
लोहगढ़ का इतिहास काफी गहरा है, अलग-अलग समय में अलग-अलग साम्राज्यों ने इसपर राज किया। जिनमे मुख्य रूप से सातवाहन, राष्ट्रकूट, यादव, चालुक्य, निज़ाम,बहमिंस, मुघल और मराठा शामिल है।
1648 CE में शिवाजी महाराज ने इसे अपने कब्जे में कर लिया लेकिन 1665 CE में पुरंदर की संधि के चलते शिवाजी महाराज को यह किला मुघल साम्राज्य को सौपना पड़ा। शिवाजी महाराज ने 1670 CE में इस किले को पुनः मराठा साम्राज्य में शामिल कर लिया था और इस किले का उपयोग वे अपने खजाने को रखने के लिए करते थे।
इस किले का उपयोग मराठा साम्राज्य में सूरत से लुटे हुए माल को रखने के लिए भी किया जाता था। बाद में पेशवा के समय में नाना फड़नवीस ने कुछ समय तक इसका उपयोग रहने के लिए किया और किले के अंदर विशाल टैंक और सीढियों का निर्माण भी करवाया। वर्तमान में इस किले को भारत सरकार संरक्षित कर रही है।
लोहगढ़ किले के आस-पास के आकर्षण स्थल
- लोनावाला – 20 किलोमीटर दूर, प्रसिद्ध और सुंदर पहाड़ी इलाका।
- भागा गुफाएं – मलावली से 2 किलोमीटर दूर, किसी समय में यह बुद्ध संतो का घर हुआ करता था।
- आमी घाटी शहर – लोनावाला से 22 किलोमीटर दूर।
- कार्ला गुफाएं।