इस साल का फरवरी महीना आज (29 फरवरी) को खत्म हो रहा है। इस वर्ष फरवरी का महीना 28 दिन की जगह 29 दिन का है, क्योंकि यह वर्ष लीप वर्ष है। अंग्रेजी कैलेंडर में हर 4 साल बाद लीप वर्ष आता है और एक दिन एक्सट्रा जुड़ जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर में तारीखों की गणना सूर्य के आधार पर की जाती है। इस कैलेंडर को ग्रेगोरियन कैलेंडर भी कहा जाता है। इसके अनुसार साल में 365 दिन होते हैं, परंतु हर चार साल के वर्ष का एक दिन बढ़ जाता है। इसमें 365 की जगह 366 दिन हो जाते हैं। इसी को लीप ईयर कहा जाता है। अब जब हर 4 साल में बाद एक दिन बढ़ जाता है तो इस दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है और हर चार साल बाद फरवरी का महीना, 28 दिनों की बजाय 29 दिनों का हो जाता है। 

हर 4 साल में लीप ईयर आने की वजह

दरअसल, पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती रहती है। पृथ्वी को सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन और करीब 6 घंटे का समय लगता है। तब जाकर एक साल पूर्ण होता है। इसी के साथ दूसरे वर्ष की शुरुआत हो जाती है। इसी तरह हर साल 365 दिनों के साथ ही 6-6 घंटे जुड़कर 4 साल में 24 घंटे का पूरा एक दिन बन जाता है। इस तरह चार साल बाद आने वाले वर्ष में एक दिन जुड़ जाता और 366 दिन हो जाते हैं। इसी को लीप ईयर कहते हैं। इसके चलते फरवरी 28 की जगह 29 दिन की हो जाती है।

फरवरी में ही क्यों जोड़ा गया एक्सट्रा एक दिन

अब साल के लीप ईयर का यह एक्सट्रा दिन फरवरी महीने में ही क्यों जोड़ा गया है। इस सवाल का जवाब भी जानते हैं। दरअसल, इसकी पीछे वजह यह है कि ग्रेगोरियन कैलेंडर से पहले जूलियन कैलेंडर चलन में था। ये रोमन सौर कैलेंडर था। इसमें लीप मार्च का पहला और फरवरी आखिरी महीना था। इसी कैलेंडर में लीप ईयर की व्यवस्था की गई थी। यही वजह है कि चार साल बाद पड़ने वाले एक्सट्रा दिन को फरवरी में जोड़ दिया गया था। जब जूलियन कैलेंडर की जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर आया तो पहला महीना जनवरी हो गया, लेकिन फिर भी एक्‍सट्रा दिन को फरवरी में ही जोड़ा गया। इसकी वजह फरवरी का महीना सबसे छोटा होना भी है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।

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