देश के प्रथम राष्ट्रपति और महान स्वतंत्रता सेनानी डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज यानी 28 फरवरी को पुण्यतिथि है। देश उन्हें आज नमन कर रहा है और उनके योगदान को याद कर रहा है। वर्ष 1963 में आज ही के दिन महान विभूति ने अपना शरीर त्यागा था। अपने आखिरी समय में वे बिहार की राजधानी पटना के नजदीक सदाकत आश्रम में रहे थे। पुण्यतिथि पर आज देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उनके व्यक्तित्व पर चर्चा करने के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। आइए पुण्यतिथि पर उनके जीवन के बारे में जानते हैं…
बिहार के जीरादेई गांव में हुआ था जन्म
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सारण जिले (अब सीवान) के जीरादेई गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम महादेव सहाय और माता का नाम कमलेश्वरी देवी था। उनके पिता सहाय संस्कृत एवं फारसी के एक बड़े विद्वान थे। राजेंद्र प्रसाद अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनका मां और बड़े भाई महेंद्र से गहरा लगाव था।
शिक्षा
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की प्रारंभिक शिक्षा छपरा के जिला स्कूल से शुरु हुई। स्कूलिंग के दौरान ही उनकी 13 साल की उम्र में शादी राजवंशी देवी से हो गई थी। हालांकि इसके बाद भी उनके अध्ययन कार्य में कोई बाधा नहीं आई। इसके बाद अपनी शिक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहां वे एक प्रतिभाशाली छात्र थे। उन्होंने शुरुआत में कानून के क्षेत्र में अपना करियर शुरू किया। वह तीव्र कानूनी कौशल के लिए जाने जाते थे।
गांधी जी से थे प्रभावित
डॉ राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित थे। प्रसाद को ब्रिटिश प्रशासन ने 1931 के नमक सत्याग्रह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल में डाला था। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने 1906 में बिहारी छात्र सम्मेलन के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।
देश के बने पहले राष्ट्रपति
डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 26 जनवरी 1950 को भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। वह 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक इस पद पर रहे। वह अपनी सरल जीवनशैली और अपने सार्वजनिक कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध थे।
1962 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया
भारत के राष्ट्रपति रहने के दौरान देश की तरक्की में योगदान देने के लिए उन्हें 1962 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
पटना में निधन
डॉ प्रसाद ने अपना आखिरी जीवन बिहार के पटना में सदाकत आश्रम में बिताया। उनका निधन पटना में 28 फरवरी 1963 में हो गया था।
प्रेरणा देता रहेगा जीवन
एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता और भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की विरासत प्रेरणा देती रहती है। उन्होंने राष्ट्रपति रहते हुए अपना जीवन बेहद ही सादे तरीके से जिया। उन्होंने सारा जीवन देश की सेवा की।