Kamla Devi Chattopadhyay : भारत जब अंग्रेजों के अधिन था तब एक महिला उठी और उन्होंने अग्रेजों के खिलाफ आजादी के आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने आंदलोन के लिए ना सिर्फ धन इकट्ठा किया बल्कि उसे जोर शोर से भाग भी लिया। उनकी इस हरकत से अंग्रेजों ने उनको जेल में भी डाल दिया। इस महिला का नाम था कमला देवी चट्टोपाध्याय। इस लेख के माध्यम से जानते हैं उनकी वीरता की कहानी.... कमला देवी की आजादी के आंदलोन की कहानी कमला देवी चट्टोपाध्याय जब विदेश से लौटीं तो आजादी आंदोलन में एक बार फिर सक्रिय रूप से जुड़ गईं। जब भी आजादी आंदोलन से जुड़ी महिलाओं का जिक्र होगा कमला से जुड़ी तमाम कहानियों का जिक्र जरूर होगा। वह बहुत निडर और बहादुर किस्म की महिला थीं। उनकी हिम्मत के तमाम किस्से मौजूद हैं। कमला ने खुफिया तरीके से एक योजना बनाई। एक दिन वह अपने साथियों के साथ बम्बई स्टॉक एक्सचेंज में धड़धड़ाते हुए घुस गईं। एक घंटे से भी कम वक्त में नमक की छोटी–छोटी पुड़िया बना कर बेच आईं।
यह काम उन्होंने बड़े झट-पट तरीके से कर डाला और नमक की पुड़िया बेच कर चालीस हजार रुपये इकट्ठा कर लिए। वहां लोगों की भारी भीड़ थी। लोग आजादी आंदोलन के नारे, महात्मा गांधी की जयकारे लगाते रहे। नमक हाथों हाथ उठ गया। जब तक इस गैर कानूनी कार्य की बात बाहर फैलती, कमला अपना काम पूरा कर चुकी थीं। मकसद था आंदोलन के लिए खर्च इकट्ठा करना और विरोध दर्ज कराना। ये दोनों काम कमला ने बखूबी कर दिया।
उस नमक को उन्होंने नाम दिया- फ्रीडम सॉल्ट। फ्रीडम सॉल्ट की चर्चा फैल गई। आखिर पुलिस को खबर हुई और उसने कमला को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें जब मैजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। वहां पुलिस ने उनके जुर्म के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने फ्रीडम सॉल्ट की पूरी कहानी को बेहिचक स्वीकार कर लिया। मैजिस्ट्रेट विस्मय में डूबा उस 27 साल की साहसी महिला को आंखें फाड़ कर देखता रहा। कमला सजा के लिए मानसिक रूप से तैयार थीं। उन्हें अहसास था कि हुकूमत उनके साथ क्या कर सकती है। फिर भी किसी तरह के डर या पश्चाताप का लेश मात्र भी उनके चेहरे पर नहीं था। फ्रीडम सॉल्ट ने उन्हें नौ माह के कारावास की सजा दिलाई जिसे कमला ने खुशी-खुशी स्कीकार किया और जेल चली गईं।