ओम राउत द्वारा निर्देशित फिल्म आदिपुरुष सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म में साउथ के जैसे बड़े एक्टर हैं। फिल्म के रिलीज होने बाद से इस पर विवाद शुरू हो गया है। फिल्म के डायलॉग, किरदार, वीएफक्स को लेकर लोग फिल्म की आलोचना कर रहे हैं। अब फिल्म की कहानी तो सबको पता है, मगर मेकर्स ने फिल्म को थोड़ा नया बनाने की कोशिश की, जिससे फिल्म ने अपनी चमक खो दी। हालांकि फिल्म में म्यूजिक अच्छा है। आदिपुरुष’ को नए जमाने की रामायण के तौर पर पेश करने की कोशिश की गई थी. मगर वो चीज बिल्कुल भी उस दिशा में नहीं जा पाई। राउत की बनाई रामायण एकदम अलग है। हम सभी ने रामायण के किसी ना किसी वर्जन को टीवी या बड़े पर्दे पर देखा होगा। टीवी पर आने वाला रामानंद सागर का शो ‘रामायण’ तो आज भी हिट है। लेकिन रामायण की कहानी पर आधारित फिल्म ‘आदिपुरुष’ में बहुत कुछ बदला-बदला सा लगेगा।
भावों को स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं कर पाती फिल्म
फिल्म की कहानी भगवान राम के वनवास से लेकर रावण के साथ युद्ध की है। ये कहानी रामायण की जानकारी रखने वाला हर शख्स जानता है। फिल्म को सीता हरण से शुरू कर रावण वध पर खत्म कर दिया गया है। यह कहानी बुराई पर अच्छाई की जीत को दिखाती है, लेकिन फिल्म उन भावों को स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं कर पाती। आदिपुरुष की स्टोरी फ्लैट और पूरी तरह से प्रिडिक्टेबल लगती है, जिसमें क्रिएटिविटी की कमी साफ देखने मिलती है। फिल्म में किरदारों को बातें सुनकर आपको लगेगा ही नहीं कि आप रामायण की कहानी देख रहे हैं। कई महत्वपूर्ण प्रसंग को दिखाया नहीं गया है। एक सीन में हनुमान जी जानकी को राम की अंगूठी देते हैं, तो बदले में जानकी उन्हें अपना कंगन निकालकर दे देती हैं. जबकि असल में ऐसा हुआ था कि सीता ने हनुमान को अपना चूड़ामणि दिया था। फिल्म में कई सीन्स को जल्दबाजी में खत्म होता दिखाया गया है, जिससे दर्शक फिल्म से कनेक्ट नहीं हो पाता।
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा
अगर आदिपुरुष फिल्म के सबसे स्ट्रांग पॉइंट की बात करें तो वो है इसका बैकग्राउंड म्यूजिक। ये म्यूजिक ही फिल्म की जान है। थिएटर में जय श्री राम गाना सुनना गूसबम्प्स देता है।
किरदारों की एक्टिंग जमी नहीं
फिल्म में प्रभु श्रीराम के रोल में प्रभास सही नहीं लग रहे। कई जगहों पर वह पूरी तरह बाहुबली के लुक और फील वाले लगे हैं। जानकी के रोल में कृति सेनन खूबसूरत तो दिखी हैं, लेकिन उनके संवाद कोई दमदार नहीं लगे हैं। उनका रावण को चेतावनी देना भी काफी फीका सा लगता है। बजरंग के रूप में देवदत्त नागे भी जमें नहीं हैं। उनका भक्ति का भाव दर्शकों को भावुक नहीं कर पाता है। वहीं शेष के किरदार में दिखे सनी सिंह पूरी फिल्म में अपनी छाप नहीं छोड़ पाए। रावण के रोल में सैफ अली के पास दमदार डायलॉग हैं। लेकिन उनको अन्य किरदारों से उनका आकार बड़ा दिखाना कुछ जमता नहीं है। उनकी चलने की चाल भी वीडियो गेम जैसी लगती है। फिल्म ‘आदिपुरुष’ में किरदारों के नाम अलग रखे गए हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम को राघव कहकर संबोधित किया गया है. वहीं, सीता का नाम जानकी और लक्ष्मण का नाम शेष बताया गया है। हनुमान जी को बजरंग कहते हैं।
वीएफएक्स कुछ खास नहीं
फिल्म में इस्तेमाल हुए वीएफएक्स को लेकर भी इसे ट्रोल किया जा रहा है। जिसमें फिल्म में वीएफएक्स का खूब इस्तेमाल किया गया है। वीएफएक्स का इस्तेमाल इतना ज्यादा है कि एक पॉइंट पर यह कहानी और किरदार दोनों पर हावी होता जाता है। कोई भी लाइव लोकेशन न होने की कमी काफी अखरती है। हम बस यह जानते हैं कि रावण की लंका सोने की थी, लेकिन फिल्म आदिपुरुष में रावण की लंका को डार्क दिखाया गया है। जैसे काले पत्थरों से बनी हो। फिल्म में रावण (सैफ अली खान) के किरदार की हाइट फिल्म में दिखने वाले अन्य सभी किरदारों से ज्यादा है, जब वो चलते हैं, तो ऐसा लगता है कि रावण किसी वीडियो गेम का हिस्सा है। उनके दस सिरों का फिल्मांकन भी बेकार है। फिल्म में फूल से लेकर कई कैरेक्टर तक वीएफएक्स से बनाए गए हैं। रावण की पूरी सेना ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ वाले नाइटवॉकर्स सी लगती है। फिल्म के कुछ सीन्स ऐसे हैं, जिसका विजुअल इफेक्ट अच्छा है, लेकिन ज्यादातर सही नहीं हैं। एक सीन में आप राघव को जंगल में कुछ मायावी राक्षसों से लड़ते हुए देखेंगे, जो हैरी पॉटर फिल्मों में नजर आए दमपिशाचों जैसे लगते हैं। ओम राउत द्वारा निर्देशित ‘आदिपुरुष’ का बजट 500 करोड़ से अधिक बताया जाता है।
फिल्म के स्तरहीन डायलॉग
इस तरह की कथाओं के लेखन में जो सहजता और सरलता विचारों की चाहिए, वह इसके संवादों में है नहीं। फिल्म की सबसे बड़ी कमी उसके डायलॉग हैं। कुछ डायलॉग एसे हैं, जिसे सुनकर आप अपना माथा ही पकड़ लेंगे। मतलब आप इसे छपरी भाषा कह सकते हैं। डायलॉग सुनकर आप खुद शर्मिंदा महसूस करने लगेंगे कि कैसी बातें कही जा रही हैं।
रावण का एक राक्षस सैनिक बजरंग को अशोक वाटिका में जानकी से बात करते देख लेता है. वो बजरंग से कहता है, तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया. मरेगा बेटे आज तू अपनी जान से हाथ धोएगा।’
फिल्म के एक सीन में इंद्रजीत, बजरंग की पूंछ में आग लगाने के बाद कहते हैं- ‘जली ना? अब और जलेगी. बेचारा जिसकी जलती है वही जानता है।’ इसके जवाब में बजरंग कहते हैं, ‘कपड़ा तेरे बाप का. तेल तेरे बाप का. आग भी तेरे बाप की. और जलेगी भी तेरे बाप की।’
रावण को अंगद ललकारते हुए एक सीन में कहते हैं, ‘रघुपति राघव राजा राम बोल और अपनी जान बचा ले. वरना आज खड़ा है कल लेटा हुआ मिलेगा।’
शेष (लक्ष्मण) पर वार करने के बाद इंद्रजीत कहता है, ‘मेरे एक सपोले ने तुम्हारे इस शेष नाग को लंबा कर दिया. अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है।’
विभीषण एक सीन में रावण से कहता है, ‘भैया आप अपने काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं।’
एक और सीन में रावण, राघव के लिए कहता है, ‘अयोध्या में तो वो रहता नहीं. रहता वो जंगल में है और जंगल का राजा तो शेर होता है. तो वो राजा कहां का रे।’
आब ये कहेंगे कि किस हिसाब के डायलॉग हैं भाई? क्योंकि ये रामायण के हिसाब के डायलॉग तो नहीं हैं। आदिपुरुष की कहानी त्रेता युग की है, जिसे फिल्म के मेकर्स ने अपने ऊट पटांग डायलॉग्स से कलयुगी बना दिया है। यही उनकी भारी गलती है। भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे, रावण ज्ञानी था। उनके और उनके साथ के किरदारों के मुंह से अजब-गजब बातें सुनना अजीब लगना लाजिमी हैॉ।
ट्रेलर लॉन्च के बाद से विवाद
आदिपुरुष फिल्म का ट्रेलर लॉन्च होने के बाद विवाद शुरू हुआ था, जिसमें राम, सीता, हनुमान और रावण के किरदार एवं लुक पर कई संगठनों ने एतराज जताया था। इन सब विवादों के बाद ओम राउत ने फिल्म की रिलीज डेट आगे बढ़ा दी थी।