भारत में प्राचीन काल से ही फूलो का उत्पादन किया जा रहा है। किन्तु उस समय में फूलो को सिर्फ निजी उपयोग के लिए उगाते थे। जिसमे लोग पूजा पाठ व धार्मिक अनुष्ठानो में फूलो का उपयोग करते थे। किन्तु वर्तमान समय में फूलो का इस्तेमाल पूजा पाठ तक ही सिमित नहीं रह गया है, लोग आज फूलो का उपयोग घर, ऑफिस, शादी, जन्मदिन व सालगिरह के मोके पर सजावट के कार्यो को करने के लिए इस्तेमाल करते है। जिस वजह से फूलो का उत्पादन व्यापारिक तौर पर भी किया जाने लगा है।

फूलो की खेती अधिक मुनाफे वाली खेती है,जिस वजह से यह किसानो में काफी लोकप्रिय खेती है। यदि आप भी फूलो की खेती कर नगद कमाई करना चाहते है, तो इस लेख में आपको फूल की खेती कब और कैसे करें तथा फूलों की किस्मों के बारे में जानकारी दे रहे है।

भारत में फूलो का उत्पादन
भारत में फूलो की खेती व्यापारिक तौर पर बहुत ही कम समय पहले आरम्भ हुई है, किन्तु आज के समय में फूलो के उत्पादन का क्षेत्र बढ़ता ही जा रहा है। क्योकि भारत की जलवायु में नाजुक व कोमल फूल आसानी से उगाए जा सकते है। राष्ट्रीय बागबानी बोर्ड के अनुसार वर्ष 2012 में देश के तक़रीबन 232.74 हज़ार हेक्टेयर के क्षेत्र में फूलो की खेती की जा रही है, जिससे लगभग 77 से 78 मीट्रिक टन फूलो का उत्पादन प्राप्त हो जाता है।

इसमें 32% फूल उत्पादन के साथ पश्चिम बंगाल पहले स्थान पर है, तो वही कर्नाटक 12% और महाराष्ट्र 10% उत्पादन के साथ दूसरे व तीसरे स्थान पर है, तथा आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, हरियाणा और राजस्थान राज्य भी पुष्प उत्पादन के मामले में बढ़ोतरी कर रहे है। भारत को फूलो का निर्यातक देश भी कहा जाता है, इसमें कनाडा, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड जैसे देश शामिल है, जो भारत से फूल का अधिक मात्रा में आयात करते है।

फूल की खेती का समय
फूलो की आधुनिक खेती कमाई का एक बेहतरीन जरिया है, जिससे कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। किन्तु अलग-अलग मौसम में भिन्न-भिन्न प्रकार के फूलो को उगाया जाता है। सही जानकारी न होने के चलते किसानो को पुष्प की खेती से नुकसान उठाना पड़ जाता है:- यहाँ पर आपको किस मौसम में कौन से पुष्प की खेती करे के बारे में बता रहे है।

जनवरी के महीने में फूल की खेती
कारनेशन की खेती में उगाई व एल्स्ट्रोमीरिया में स्टेकिंग। लिलियम, जरबेरा में निराई-गुड़ाई कर पानी देना। फ़रवरी के महीने में फूल की खेती:- ग्लैडियोलस के घनकन्द की खेतो में रोपाई व लिलियम, गुलाब एवं गुलदाउदी की खेती में इस दौरान खाद व पानी दिया जाता है। इसके अलावा व्हाईट फ्लाई की फसल में स्टिकी मैट लगाना।

मार्च के महीने में
इस मौसम में नरगिस व एल्स्ट्रोमीरिया के पौधों में फूल आना आरम्भ कर देते है। इस दौरान गेंदे व एस्टर की नर्सरी डाली जा सकती है। पहली नोचन के लिए तैयार कारनेशन।

अप्रैल के महीने में
जरबेरा, नरगिस, गुलाब, एल्स्ट्रोमीरिया के फूल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है। एस्टर व गेंदे की पौध को खेत में लगाने का सही समय।

मई के महीने में
गेंदे व चाइना एस्टर के पौधे शीर्ष नोचन के लिए तैयार, तथा कारनेशन का शीर्ष नोचन। जड़ो को तैयार करने के लिए गुलदाउदी की कटिंग। ग्लेडियोलस में मिट्टी को चढ़ाए। लिलियम के फूलो की तुड़ाई आरम्भ हो जाती है। गुलाब के फूलो में कांट/छांट करना। नरगिस/डेफोडिल की सिंचाई को रोक दे।

जून के महीने में
लिलियम, जरबेरा, एल्स्ट्रोमीरिया के फूल तुड़ाई के लिए तैयार। कारनेशन ग्लैडियोलस, एस्टर व गेंदे के फूलो को सहारा दे। गुलदाउदी की जड़ व कटिंग/पौधों को खेत में लगाए। नरगिस में पौधों पर आने वाले बल्ब को उखाड़े। गेंदे की दूसरी फसल उत्पादन के लिए नर्सरी को तैयार करे।

जुलाई के महीने में
चाइना एस्टर, ग्लैडियोलस और गेंदे के पौधों में फूल आना आरम्भ कर देते है। इसके अलावा कारनेशन में भी फूल आने लगते है। गुलदाउदी का शीर्ष नोचन। नरगिस के बल्बों का भंडारण। गेंदे के बीज उत्पादन के लिए पौधों को खेत में लगाना। जरबेरा के पुराने पौधों का विभाजन।

अगस्त के महीने में
गेंदा, चाइना एस्टर, कारनेशन के फूलो की तुड़ाई। गुलदाउदी की शाखाओ की छटाई। लिलियम के बल्ब को खेत से निकाले।

सितम्बर के महीने में
इस महीने में गुलदाउदी के पौधों को सहारा देना होता है, तथा अवांछित कलियों की छटाई की जाती है। जरबेरा के पौधे की रोपाई का समय,गुलाब के पौधों को पॉलीहॉउस में रोपाई का समय,लिलियम के बल्बों का शीत स्टोर में भंडारण करते है।

अक्टूबर के महीने में
चाइना एस्टर के बीजो को भंडारित करना। नरगिस और एल्स्ट्रोमीरिया के पौधों की रोपाई का समय, गुलाब और गुलदाउदी के पौधों पर फूलो के आने का समय, ग्लैडियोलस की सिंचाई बंद कर देना।

नवंबर के महीने में
कारनेशन के पौधों की कटिंग से जड़ो को तैयार करने का समय। गुलदाउदी के फूल तुड़ाई के लिए तैयार, लिलियम के पौधों की खेत में रोपाई तथा ग्लैडियोलस के कार्म की छटाई, गुलाब के पौधों की छटाई, गेंदे के बीजो का भंडारण यह सभी कार्य इस महीने में किये जाते है।

दिसंबर के महीने में
खेत में कारनेशन के पौधों की रोपाई, ग्लैडियोलस के कार्म का भंडारण 4 डिग्री तापमान पर करे और गुलाब के पौधों में टहनियों का झुकाव।

फूलों की किस्में (Flower Varieties)
पुष्पकृषि उत्पादन के मामले में कट फ़ोइलेज, पॉट प्लांट, कंद, खुले पुष्प, रुटेड़ कटिंग्स, सीड्स बल्बस और पत्तियां व सूखे फूल शामिल है।

इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय पुष्पकृषि के मामले में लाली, गुलाब के फूलो का व्यापार, अन्थुरियम, अर्किलिया, ट्यूलिप, ग्लेडियोलस, गारगेरा, जाइसोफिला, आर्किड, लायस्ट्रिस, गुलदाउदी, नेरिन और लिली पुष्प शामिल है। गुलनार और गारव्रेरास के फूलो का उत्पादन ग्रीन हाउस में किया जाता है।

पुष्प की फसल जिन्हे खुले खेत में उगाया जाता है, इस प्रकार है:- मेरीगोल्ड, लिलि, तारा, गेल्लारड़िया, कंदाकार, गुलदाउदी और गुलाब को प्रमुख फसल कहते है।

फूलो के उत्पादन में विलियम, स्वीट, डेहलिया, लुपिन, वेरबना, रैनन क्लाउज, और कासमांस के फूलो की फसल उगाई जाती है।

इसमें गुलाब की कुछ प्रजातियां शामिल है, जो इस प्रकार है:- मेट्रोकोनिया फर्स्ट प्राइज, चाइना मैन, आइसबर्ग और ओक्लाहोमा आदि।

इसके अतिरिक्त रात की रानी, मोगरा, मोतिया, साइप्रस चाइना और जूही जैसे छोटी ऊंचाई वाले पौधों को लगाकर भी अच्छी कमाई कर सकते है।

फूलो की खेती का महत्त्व (Floriculture Importance)
व्यापारिक विविधीकरण की दृष्टि से देश में फूल की खेती का महत्त्व रोज-बरोज बढ़ता ही जा रहा है। भारत में पुष्पों को आसानी से उगाया जाता है, बल्कि बड़े पैमाने पर व्यावसायिक तौर पर खेती की जाती है। पॉली हॉउस में पौधों की संरक्षित खेती नई तकनीक है। विभिन्न प्रकार की विपुल आनुवंशिक विविधता,व कृषि जलवायु संबंधी परिस्थितियों व प्रतिभा मानव संसाधन के कारण ही भारत के क्षेत्र में विविधीकरण के नए मार्ग खुले है। किन्तु अभी तक इसका पर्याप्त रूप से दोहन नहीं हो पाया है।

विश्व व्यापार संगठन के माध्यम से विश्व का बाजार खुल जाने से दुनिया भर में पुष्पों का आवागमन संभव हुआ है। इसमें प्रत्येक देश को अपनी सीमा के पार व्यापार करने के लिए पर्याप्त अवसर प्राप्त है।  भारत से फल और सब्जी के बीजो का भी निर्यात किया जाता है। इसमें 410.53 करोड़ रूपए का निर्यात वर्ष 2013-14 के दौरान किया गया। इसमें नीदरलैंड, बांग्लादेश, संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली, पाकिस्तान और थाईलैंड जैसे देश भारत से सब्जी और फल के बीजो के मुख्य निर्यातक देश है।

फूलो का बाजार (Flower Market)
भारत की राजधानी दिल्ली में फूलो की सबसे बड़ी मंडी स्थित है। इस मंडी में फूलो की खरीद फरोख्त के लिए देश-विदेश से फूल व्यापारी आते है। तक़रीबन 100 से अधिक कंपनियों द्वारा फूल उत्पादन व व्यापार पर 2500 करोड़ से अधिक पूँजी का निवेश किया जाता है। इन कंपनियों के एजेंट आपको हर जगह मिल जायेंगे, जिनसे संपर्क कर आप अपने फूलो की फसल को आसानी से बेच सकते है। फूलो का मुख्य काम सजावट करना है, जिससे गजरा, माला, गुलाब जल, गुलदस्ता तैयार किया जाता है, तथा फूलो से सुगंधित तेल और परफ्यूम भी मिल जाता है।

इन कार्यो के अलावा आप फूल उत्पादन करने वाले किसानो से फूल थोक भाव में फूलो को खरीद कर उन्हें मंडी में बेचकर लाभ कमा सकते है, तथा विदेशो में भी निर्यात कर सकते है। मंडियों से फूलो को खरीद कर उन्हें कस्बो में जाकर भी बेचा जा सकता है। नगद लाभ कमाने के मामले में फूलो का व्यवसाय काफी उत्तम है।

यदि किसान भाई एक हेक्टेयर के खेत में गेंदा के फूलो का उत्पादन करते है, तो वह 1 से 2 लाख तक की वार्षिक कमाई कर सकते है। इतने ही क्षेत्र में यदि आप गुलाब के फूलो की फसल उगाते है, तो दुगुनी कमाई कर सकते है, तथा गुलदाउदी की खेती से 7 लाख रूपए की कमाई आसानी से हो जाती है।

By pratik khare

पत्रकार प्रतीक खरे झक्कास खबर के संस्थापक सदस्य है। ये पिछले 8 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने कई समाचार पत्र, पत्रिकाओं के साथ - साथ समाचार एजेंसी में भी अपनी सेवाएं दी है। सामाजिक मुद्दों को उठाना उन्हें पसंद है।

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