एलोवेरा एक कांटेदार पौधा होता है जो स्वाद में थोड़ा कड़वा होता हैं। यह एक बहुउपयोगी पौधा होता हैं जिसे औषधी के तौर पर, ब्यूटी प्रोडक्ट के तौर पर और यहां तक की खाद्य पदार्थ के तौर पर भी स्वीकारा जाता हैं। एलोवेरा के पौधे का नाम आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स की लिस्ट में महत्वपूर्ण बन चुका हैं। कई लोग इसे ग्वारपाठा नाम से भी जानते हैं।

एलोवेरा में औषधीय गुण होने के कारण इस पौधे की हमारे देश में बहुत ही ज्यादा डिमांड है इसे दवाई की कंपनियों से लेकर कॉस्मेटिक उत्पाद और फेस पैक कंपनी इसकी भारी मात्रा में खरीदारी करते हैं मार्केट में एलोवेरा की डिमांड को देखते हुए एलोवेरा की खेती का व्यापार शुरू करना आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकता है। जिसे शुरू करके आप एक अच्छा इनकम सोर्स बना सकते हैं।

एलोवेरा की खेती आज बहुतायत में किसान कर रहे हैं, जिससे वह बेहतर मुनाफा भी कमा रहे हैं खासकर गुजरात और राजस्थान के किसानों में इसकी खेती को लेकर बहुत ललक देखी गई हैं बहुत से किसान एलोवेरा की खेती को करना चाहते हैं पर पर्याप्त जानकारी के आभाव में वह इसकी खेती नहीं कर पा रहे हैं आज के इस लेख में हम एलोवीरा की खेती कैसे करें? पूरी जानकारी हिंदी में और इससे लाभ कैसे कमाये’ एलोवेरा की खेती से जुड़े हर पहलू को जानेंगे जिनमे अनुकूल जलवायु, खाद, जुताई, सिचाई, पौधों की कटाई, लागत ,मुनाफा आदि शामिल है।

क्या है एलोवेरा?

काफी सारे लोग एलोवेरा को घृत कुमारी और ग्वारपाठा के नाम से जानते हैं। करीब 2 से 3 फिट की ऊँचाई वाला यह पौधा लिलिएसी कुल का बहुवर्षीय मांसल पौधा हैं। इस पौधे का तना छोटा और जड़े जमीन के अंदर कम गहराई रक रहने वाली झकडा होती हैं। पौधे के पत्ते एक से डेढ़ फुट तक लम्बे, मोटे और फलदार और हरे होते हैं जिनमे दोनों तक बारीक काटे भी लगे होते हैं।

इन मांसलदार पत्तों की मोटाई करीब आधा इंच और चौड़ाई एक से तीन इंच होतो हैं। यह पत्ते स्वाद में कड़वे होते है और इनके अंदर पल्प भरा हुआ रहता है जो कि पौधे को उगाने के मुख्य मकसद और पौधे से कमाई करने का का स्त्रोत भी माना जाता हैं। यह पौधा भारत में विदेश से लाया गया था लेकिन अब पूरे भारत और मुख्य रूप से शुष्क प्रदेशो में उगता हैं।

एलोवेरा का उपयोग किन चीजों में होता है?

अगर आप एलोवेरा की खेती करने की सोच रहे है तो आपके दिमाग मे यह सवाल आना लाजमी हैं कि एलोवेरा का उपयोग किन चीजों में होता हैं! क्योंकि जिन पौधों और फसलों का उपयोग है वही लाभदायक होते है अन्यथा बाकी सब खरपतवार समान माने जाते हैं। एलोवेरा की डिमांड बाजारों में तेजी से बढ़ रही है क्योंकि इस पौधे के आस-पास कई उद्योग पनप रहे हैं। बाजार में न केवल एलोवेरा के पत्ते सामान्य रूप से बेचे जाते है।

बल्कि इससे बनने वाली कई औषधियों और ब्यूटी प्रोडक्ट को खरीदने वालों की संख्या भी कम नहीं हैं। एलोवेरा का उपयोग एक औषधि के रूप में आंखों से जुड़ी समस्याएं, तिल्ली की वृद्धि, लिवर से जुड़ी बीमारियों, उल्टी की समस्याओं, तेज बुखार, खांसी, त्वचा से जुड़ी हुई बीमारियों, पित्त, सास, पीलियां, पथरी आदि में होता हैं।

काफी सारे लोग अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखने के लिए एलोवेरा से जुड़े खाद्य पदार्थों जैसे कि एलोवेरा के जूस आदि का इस्तेमाल भी करते हैं। इसके अलावा एलोवेरा की क्रीम और जेल भी बनाई जाती है जिसका उपयोग त्वचा से जुड़ी हुई समस्याओं के निवारण में और त्वचा को मुलायम बनाने के लिए किया जाता हैं।

काफी सारी बड़ी आयुर्वेदिक कंपनियां जैसे कि पतंजलि और डाबर एलोवेरा के पौधों का काफी कंजप्शन करती हैं। इसके अलावा न जाने कितनी छोटी मोटी कंपनी एलोवेरा के पौधे से जुड़े हुए पदार्थों का निर्माण करती है। एलोवेरा के उपयोग है जो इसकी खेती को फायदेमंद बनाते हैं।

एलोवेरा की खेती कब और कैसे करें?

एलोवेरा की फसल की बुवाई से पहले खेत को तैयार करना बहुत जरूरी होता है, ताकि फसल को उसकी जरूरत के अनुसार विकास करने का अनुकूल वातावरण मिल सके एलोवेरा के पौधे को खेत में लगाने से पहले खेत को तैयार किया जाता है वैसे तो एलोवेरा की खेती साल के किसी भी मौसम में शुरू की जा सकती है, क्योंकि इसे ज्यादा पानी की जरूरत नही होती है, लेकिन फिर भी इसकी खेती शुरू करने के लिए फरवरी से अप्रैल माह का वक़्त बहुत अनुकूल माना जाता है।

सबसे पहले आपको जिस जगह खेती करनी है वहां अच्छी तरह से साफ-सफाई करलें। जाड़ियां, कांटें आदि वहां से हटाले उसके बाद आपको अपने खेत की जुताई करनी होगी कम से कम 1 बार तो जरूर करें इसके बाद आपको 1 हेक्टयर भूमि में 10 टन गोबर की खाद डालना पड़ेगा यह डालने के बाद एक बार खेत की जुताई फिर से कर दें, ताकि यह गोबर की खाद खेत मे अच्छी तरह से मिल जाये। इसके बाद यदि आपके खेत की उपजाऊ कम है तो आप को आपने खेत मे 130 किलोग्राम यूरिया,160 किलोग्राम फास्फोरस, 33 किलोग्राम पोटाश का छिड़काव भी कर सकते हैं यह अनुपात एक हेक्टयर भूमि के लिए है यदि इससे कम भूमि और खेती करना चाहते है आप इसी अनुपात में भूमि के हिसाब से ये उर्वरक इस्तेमाल कर सकते हैं

उसके बाद आपको रोपाई करनी होगी। एलोवेरा की रोपाई राइजोम के माध्यम से की जाती है। इसकी उगने तक आपको केवल तीन से चार बार इसको पानी देना होता है, क्योंकि हमने आपको बता ही दिया था कि इस पौधे को पानी की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है। इसके साथ-साथ आपको बीच-बीच में इसकी देखरेख करनी होगी।

क्योंकि ऐसे कई सारे किट हैं जैसे पटरी कीट आदि जो इन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके लिए आपको समय पर कीटनाशक का उपयोग करना होगा। इतना ही नहीं जैसे हर खेती में खरपतवार आदि हटाई जाती है ठिक वैसे ही आपको इसकी भी सुरक्षा करनी है ताकि इसकी वृद्धि में रूकावट ना आए। इसी तरह से आप आसानी से एलोवेरा की खेती कर सकते हैं।

जो लोग रेगिस्तान इलाके में रहते हैं वहा उन लोगों के लिए तो एलोवेरा की खेती करना बहुत ही आसान होता है क्युकी एलोवेरा गरम तापमान और रेतीले मिटटी में बहुत ही आसानी से उग जाता है जैसे की राजस्थान और उसके अगल बगल क्षेत्र में लोग एलोवेरा की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं एलोवेरा की खेती करना बाकी दूसरे फसलों के मुकाबले बहुत ही आसान होता है क्युकी खेती के लिए जमीन तैयार करने में हमें कम पानी फर्टिलाइजर दवा की जरूरत पड़ती है।

एलोवेरा की खेती कहां करें?

सबसे पहले तो आप स्वयं ने एक बात नोटिस की होगी कि ऐलोवेरा कई ऐसी जगहों पर भी उगा हुआ रहता है जहां इसे पानी नहीं मिलता। इस पौधे की यही खासियत है ये ऐसे क्षेत्रों में भी आसानी से उग जाता है। याद रहे आप इसके लिए जिस भी किसी भूमि का चयन करें वहां पानी अधिक मात्रा में नहीं होना चाहिए, क्योंकि ये इसकी अधिकता से खत्म हो सकता है या वृद्धि में कमी आ जाएगी। इसके साथ-साथ आपको अच्छी बालुई मिट्टी वाले क्षेत्र में खाद का उपयोग करके इसकी खेती को शुरू कर सकते हैं।

ऐसा करने से आपको अच्छा परिणाम मिलेगा एलोवेरा की खेती शुरू करने से पहले जिस जमीन में इसकी खेती करनी है उस जमीन की अच्छी सी जुताई करनी चाहिए जिससे मिट्टी एकदम महीन हो जाए फिर खेत में 20 से 25 टन गोबर की खाद डालने चाहिए जिससे खेत की उर्वरक शक्ति बढ़ सके और एलोवेरा की फसल अच्छी हो सके।

एलोवेरा की खेती के लिए आवश्यक जलवायु

एलोवेरा (ग्वारपाठा) की खेती में एक खास बात यह भी हैं कि इसको उगाने में अधिक मेहनत और खर्चा नही लगेगा। अगर आप राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तथा हरियाणा के शुष्क इलाकों में रहते हो तो इस पौधे की खेती आपके लिए सबसे अधिक फायदेमन्द साबित होगी। वैसे तो थोड़ी देखभाल के साथ एलोवेरा को किसी भी जगह, यहा तक कि घरों के अंदर गमले में भी उगाया जा सकता हैं।

एलोवेरा की खेती के लिए सबसे उपयुक्त जलवायु गर्म आद्र तथा शुष्क जलवायु की जरूरत होती है और इसकी खेती को शुरू करने के लिए हमें लगभग 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की जरूरत होती है जहां पर हम आसानी से एलोवेरा की खेती का बिजनेस शुरू कर सकते हैं। पर इसके कई अपवाद भी मिलते हैं एलोवेरा एक ऐसा पौधा है, जिसे आप किसी भी जलवायु में उगा सकते हैं, इससे इसके गुणवत्ता में कोई फर्क नही आएगा साथ ही इसके उत्पादन क्षमता पर भी कोई विशेष प्रकार का फर्क नही पड़ता है इसलिए इसका उत्पादन देश का कोई भी किसान कर सकता है अगर आपकी जमीन या फिर कहा जाए तो बगीचा ऐसी जलवायु में है तो आपके लिए एलोवेरा उगाना अधिक फायदेमंद होगा।

एलोवेरा की खेती के लिए सही पौधे (ब्रीड) का चुनाव करना

एलोवेरा की खेती के लिए आपको यह बात जरूर ध्यान में रखना होगा की आप सही प्रजाति की ऐलोवेरा पौधे की चयन करें अन्य कई फसलों और पेड़-पौधों की तरह एलोवेरा का पौधा भी कई प्रकार का होता हैं। एलोवेरा की खेती में आपको मुख्य प्रॉफिट इसके मांसलदार पत्तों और उन पत्तो में से निकलने वाले पल्प (जेल) से मिलता हैं।

वैसे तो एलोवेरा की कई सारी प्रजातियां पाई जाती है जिसकी आप खेती कर सकते हो एलोवेरा के बहुत से ब्रीड आज बाजार में उपलब्ध हैं जिनमे से कुछ ही ऐसे हैं जिनकी खेती करने से आप अच्छी उपज पा सकते हैं।

इसके साथ बाजार में भी हर तरह के एलोवेरा की मांग नही होती है एलोवेरा की कुछ ऐसी हाइब्रिड प्रजाति है, जिनकी डिमांड बाजार में बहुत ज्यादा होती है इसलिए जब भी एलोवेरा की खेती करें, उसके लिए एक अच्छे किस्म की हाइब्रिड एलोवेरा का उपयोग करें आप अगर सही प्रजाति की एलोवेरा पौधे की चयन करेंगे तो आप ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकते है क्युकी आपका पूरा व्यवसाय एलोवेरा के सही प्रजाति के पौधे पे निर्भर करता है वरना आपको भरी नुकसान भी हो सकता हैं।

हाइब्रिड एलोवेरा की खेती करने के कई फायदे मिलते हैं-

1. हाइब्रिड एलोवेरा के पौधों में रोगों से लड़ने की क्षमता बाकी की तुलना में कही अधिक होती है।

2. हाइब्रिड एलोवेरा उत्पादन के मामले में भी बाकी एलोवेरा की किस्मो से कहीं आगे होता है।

3. एलोवेरा की खेती बाजार के मांग के हिसाब से करने पर आपको ग्राहक ढूढने में ज्यादा परेशानियों का सामना नही करना पड़ेगा साथ ही आपको आपके उपज की अच्छी कीमत भी मिल सकेगी जिससे आप भारी नुकसान उठाने से बच सकेंगे।

एलोवेरा की खेती के लिए बाजार में कई प्रकार के हाइब्रिड पौधे की वैराइटी उपलब्ध है मगर आप यह 2 वैराइटी के एलोवेरा का पौधे का चयन करें यह वैराइटी नीचे निम्नलिखित है-

● IEC 111269

● IEC 111271

यदि आप एलोवेरा की खेती करना चाहते हैं तो आप भी इन दो नस्लों में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं इन नस्लों में अच्छी उपज की संभावना रहती है, जिससे फसल की अच्छी कीमत भी मिलती है अगर आप यह 2 वैराइटी के एलोवेरा का पौधे का चयन करते है तो आपको कई फायदे इनसे मिलें गे जैसे की यह पौधे तेजी से भी बढ़ते है और इनमे कीड़े लगने का डर भी कम रहता हैं।

यह वो पौधे है जो आपको कम समय में अधिक मुनाफा दे सकते हैं। आकड़ो की मानी जाए तो इन पौधों की खेती से आप 2 एकड़ की भूमि में ही 35 टन एलोवेरा उगा सकते है और एक टन एलोवेरा की कीमत भारतीय बाजार में 25 से 30 हजार रुपये हैं।

एलोवेरा की खेती के लिए बीज कहां मिलेगा?

काफी सारे लोगों के लिए एलोवेरा की खेती एक नई बात हो सकती हैं। ऐसे में उन्हें यह पता नही होगा कि एलोवेरा की खेती के लिए बीज कहा से मिलेंगे! दरअसल एलोवेरा की खेती करने के लिए एलोवेरा की जड़ से उत्पन्न गांठो को लेकर पौधारोपण किया जाता है क्योंकि एलोवेरा का बीज नहीं होता है और एलोवेरा की घाठों को अपने नजदीकी कृषि महाविद्यालय या जिला कृषि विभाग से प्राप्त सकते हैं और एलोवेरा की खेती कर सकते हैं।

लेकिन विशेष फायदे के लिए बता दे कि नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लान्ट जेनेटिक सोर्सेस के द्वारा ग्वारपाठा के पौधे की कई प्रजातीय विकसित की गई हैं। लखनऊ के सीमैप ने भी एलोवेरा की खेती के लिए उन्नत प्रजातीया तैयार की हैं। इसके अलावा आप उन किसानों से भी सम्पर्क कर सकते हैं जिन्होंने पहले भी एलोवेरा उगाया हैं। एलोवेरा की बिजाई 3 से 4 महीने पुराने चार-पांच पत्तो वाले कन्दो से की जाती हैं। एक एकड़ भूमि के लिए करीब 5 से 10 हजार कन्दो की जरूरत होती हैं।

एलोवेरा की खेती के लिए ट्रेनिंग

एलोवेरा की खेती का बिजनेस शुरू करने से पहले आप इसकी ट्रेनिंग भी प्राप्त कर सकते हैं। इस ट्रेनिंग के बाद आप अच्छी तरह से एलोवेरा की खेती कर पाएंगे। यह ट्रेनिंग केंद्रीय औषधीय एवं संगम पौधा संस्थान (सीमैप) के द्वारा प्रदान की जाती है। कुछ महीनों की इस ट्रेनिंग का पंजीकरण ऑनलाइन प्रक्रिया द्वारा किया जाता है इस प्रशिक्षण की कुछ निर्धारित फीस भी होती है।

एलोवेरा के पौधे की कटाई कब करें?

एलोवेरा के पौधे कितने दिन में तैयार होते हैं? एलोवेरा के पौधों की खेती को आप सही तरीके से करते हैं तो एलोवेरा के किसी भी पौधे को पूर्ण रूप से विकसित होने में 10-12 महीने के भीतर अच्छी खासी वृद्धि हो जाती है। इतने वक़्त के बाद यह पौधे कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं एलोवेरा की कटाई करते वक्त बहुत से लोग इस बात का ध्यान नहीं रखते कि उसे काटना कैसे है।

तो आप इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि उसे कभी भी खींचके जड़ से उखाडे नहीं क्युकी उसी जड़ से दुबारा एलोवेरा उगेगा और अगर आप जड़ से काट देंगे तो दुबारा एलोवेरा उग नहीं पाएगा और आपको नुकसान हो सकता है।

यह बात का जरूर ध्यान रखे पौधों के पत्तों की जब कटाई करें तो उनके ऊपरी पत्तो को न काटे, क्योंकि यह नए पत्ते होते है और पूर्ण विकसित नही होते हैं हर पौधे के नीचे के कुछ पत्तों को तोड़ें इसके 45 दिन बाद जो नए पत्ते होते है,वो भी तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं इसके बाद इन्हें भी तोड़ सकते हैं।

यह प्रक्रिया ऐसे ही चलती रहती है ऐसा करने से आप बिना एलोवेरा की रोपाई किये हुये 2 से 4 साल तक कटाई कर लाभ उठा सकते हैं यदि एक हेक्टयर भूमि में आपने पौधों को रोपित किया था, तो प्रतिवर्ष इससे 60 टन ताजा पत्तों का उत्पादन किया जा सकता है इसके उपज के दूसरे और तीसरे वर्ष में इनका उत्पादन 20% बढ़ जाता है

एलोवेरा को कहां बेचेंगे?

एलोवेरा की फसल तैयार होने के बाद बरी आती है इसे बेचने की यहाँ पर यह ध्यान देना जरूरी है कि एलोवेरा की खेती करने के बाद नही बल्कि खेती शुरू करने के पहले ही आपको अपना ग्राहक ढूंढना जरूरी है लेकिन आपको इसकी फिक्र करने की जरूरत नहीं है। एलोवेरा की औषधिय दवा बनाने के लिए बहुत सी कम्पनियां मांग करती है।

जो भी इस तरह की कम्पनियां हैं आपको उनसे सम्पर्क करना होगा और उन्हें इसे बेचना होगा। आप चाहे तो किसी कंपनी से कोई कॉन्ट्रैक्ट कर सकते है, उसके बाद ही खेती शुरू करें इसके साथ ही कई ऐसी कंपनिया है जो एलोवेरा से जुडे उत्पाद बनाती ही आप उनसे भी संपर्क कर सकते हैं।

कुछ प्रसिद्ध कंपनियां जो एलोवेरा को किसानों से खरीदती हैं पतंजलि, डाबर, वैधनाथ इसके अलावा भी कुछ लोकल कंपनियां होती हैं जो एलोवेरा को खरीदती हैं।

इतना ही नहीं आप एलोवेरा की खेती करते-करते भी इन पौधों को बेच सकते हो, क्योंकि इसका उपयोग हर घर में किया जाता है। इतना ही नहीं एलोवेरा से कई तरह के प्रोडक्ट तैयार होते हैं जैसे सौंदर्य के लिए फेस क्रिम। एलोवेरा से चर्म रोग के लिए भी कई सारी दवाएं बनती है। एलोवेरा का ज्यूस भी बनाया जाता है आप इसे इसके लिए भी सेल कर सकते हैं। आप इसकी मार्केटिंग ओनलाइन मार्केट में भी कर सकते हैं।

एलोवेरा की खेती के व्यापार में लागत

अगर हम एलोवेरा की खेती के बारे में लागत की बात करें तो इसकी खेती में लागत तथा मेंटेनेंस का खर्च बहुत अधिक नहीं लगता है क्योंकि यह पौधा रेतीली मिट्टी और शुद्ध तापमान वाले क्षेत्रों में तेजी से बढ़ता है जिसके कारण इस पौधे को अधिक मात्रा में पानी देने की भी जरूरत नहीं होती है और सिंचाई का खर्च नहीं लगता है अगर एक हेक्टेयर में प्लांटेशन की जाए तो लगभग 27000 की लागत लगेगी जबकि मजदूरी खेत की तैयारी खाद आदि जोड़ कर एक साल में लगभग 50 हजार रुपए का खर्च लगेगा।

एलोवेरा की खेती के व्यापार में लाभ

एलोवेरा की खेती से आपको बहुत लाभ है एलोवेरा की खेती करने के बाद उससे कमाई करने के दो जरिये होते हैं एलोवेरा के पत्तों को बेच कर कमाई कर सकते हैं आप उन्हें बेचकर इसकी 60 से 70 हजार रुपये की इंवेस्टमेंट की 10-12 माह की खेती में 8 से 10 लाख रुपये तक कमा लेते हैं।

इसका मतलब आप कम से कम हर माह के 70 से 80 हजार की कमाई का तो सोचके चल सकते हो। इतना ही नहीं आप अपनी इस खेती से कई काम कर सकते हो जैसे इसके कुछ प्रोडक्ट बनाकर बेचना आदि। वही आज कल एलोवेरा के जूस की मांग भी अच्छी बढ़ रही है तो आप चाहे तो इसका जूस भी बनाकर बेच सकते हैं एलोवेरा के पत्तों की कीमत लगभग 4000 रु/ टन होती है।

यदि आप इसका जूस निकालकर किसी और कंपनी को देते हैं त यह आपको 150रु लीटर पड़ जायेगा ऐसी कई सारी चीजें मार्केट में उपलब्ध है जिसे एलोवेरा से बनाई जाती है। आप इसके जूस का प्रोडक्शन कर सकते हो। इसके साथ ही आप फेस के लिए एलोवेरा जेल बनाकर भी बेच सकते हो। एलोवेरा एक औषधिय पौधा है और सबसे ज्यादा औषधिय पौधों में एलोवेरा की ही मांग है। इसीलिए आप इसका एक अच्छा सा बिजनेस शुरू कर सकते हो। इस तरह से इस के द्वारा आप सालाना 3-4 लाख रु एलोवेरा की खेती से कमा सकते हैं।

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