हर साल की तरह इस साल भी देश में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। इस बार योग दिवस को खास बनाने के लिए दिल्ली सहित पूरा भारत तैयार है। आयुष मंत्रालय ने बताया कि 21 जून को दिल्ली में 26 जगहों पर इंटरनैशनल योग दिवस का आयोजन किया जाएगा। इस बार प्रधानमंत्रीन नरेंद्र मोदी भी देश से बाहर होंगे। पीएम 20 जून को अमेरिका दौरे के लिए निकल जाएंगे। इसके चलते वह 21 जून को अमेरिका की धरती से योग दिवस के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। पीएम का पद संभालने के बाद शायद यह पहला मौका होगा जब प्रधानमंत्री योग दिवस पर देश से बाहर होंगे। देश में मोदी सरकार के आने के बाद से भारत में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। योग करने से आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रहता है। रोजाना योग करना आपको कई बीारियों से भी लड़ने में मदद करता है। भारत में योग का अपन एक इतिहास, महत्व और कारण है। आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताएंगे।
योग दिवस का क्या है इतिहास?
मोदी सरकार के 2014 में आने के बाद से हर साल 21 जून तो योग दिवस मनाया जाता है। पीएम मोदी ने खुद 69वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवस का प्रस्ताव रखा था। 11 दिसंबर 2014 को UN के सभी 193 सदस्य ने इस प्रस्ताव पर हामी भरी थी। इस प्रस्ताव को मानते ही यह निश्चय किया गया था कि 21 जून का दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का पहला आयोजन 21 जून 2015 को किया गया था।
योग दिवस का महत्व क्या है?
योग दिवस का महत्व लोगों के बीच मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग को बढ़ावा देना है। आज के जमाने में वृद्ध ही नहीं युवा भी कई तरह की बीमारियों से पीड़ित हैं। इसके चलते लोगों को स्वस्थ रखने के लिए यह एक अच्छा प्रयास है। यही नहीं इससे लोगों का मानसिक और शारीरिक कल्याण भी संभव है।
योग दिवस को मनाने के कारण
योग की खोज बहुत साल पहले भारत में ही हुई थी। तब ऋषि-मुनियों ने इसकी महत्वता को समझा था और इसका प्रसार किया था। योग करने से न केवल आपको शारीरिक रूप से शांति मिलेगी बल्कि यह आपके स्ट्रेस और घबराहट को भी कम करने में मददगार साबित होगा। योग दिवस मनाने का कारण लोगों को यह भी बताना है कि इसे करने से शरीर को अनेक प्रकार के लाभ होते हैं।