वो कहते हैं न अगर मन में उत्साह, आशा, ऊर्जा और उमंग हो तो हम उम्र को भी मात दे सकते हैं। वो हम काम कर सकते हैं जो हम करना चाहते हैं। ऐसे ही कुछ कर दिखाया है 106 वर्षीय धाविका रामबाई ने। उन्होंने ने अपनी इस उम्र में वो काम कर दिखाया है जिसे करने में अच्छे-अच्छे लोगों के पसीने छूट जाते हैं। उन्होंने देहरादून में आयोजित 18वीं राष्ट्रीय स्तरीय ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर स्प्रिंट, 200 मीटर स्प्रिंट में स्वर्ण पदक जीते हैं। उन्होंने शॉटपुट इवेंट में भी दमदार प्रदर्शन दिखाया। उन्होंने दो साल पहले 104 साल की उम्र में एथलेटिक्स में कदम रखा था और पिछले साल 85 से ऊपर की श्रेणी में 100 मीटर स्प्रिंट का विश्व रिकॉर्ड बनाया था।
कहा- खुश हूं
85 से ऊपर की श्रेणी के लिए प्रतियोगिताओं में प्रत्येक में रामबाई ने शीर्ष स्थान हासिल कर स्वर्ण पदक हासिल किया। रामबाई ने सम्मान पाने के बाद हरियाणवी भाषा में कहा, ‘मैं खुश हूं’। इसके बाद वह पोडियम से चली गईं।
अभिनेता आर माधवन ने की सराहना
अभिनेता आर माधवन ने रामबाई की नवीनतम उपलब्धि की सराहना करते हुए ट्वीट किया, 106 वर्षीय रामबाई ने दून स्पोर्ट्स इवेंट में 3 स्वर्ण पदक जीते.. यह सच्ची प्रेरणा हैं।”
यहां हुआ जन्म
रामबाई का हरियाणा के जन्म चरखी दादरी के एक छोटे से गांव कदमा में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा घर के काम और पारिवारिक खेत में काम करते हुए बिताया। कहते हैं कि राम बाई गांव की सबसे बुजुर्ग महिला हैं। सभी उन्हें उड़नपरी दादी के नाम से बुलाते हैं।
106 साल की उम्र में बनीं मिशाल
आम तौर पर देखा जाता है कि 80 वर्ष की उम्र तक पहुंचकर अधिकतर लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं। आर्थात चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। इसके विपरीत रामबाई 106 साल की उम्र में भी मिसाल बनी है। खेलों में हिस्सा ले रही हैं।
बताया जाता है कि वह चूरमा, दही खाती हैं और दूध भी पीती हैं। वह लगातार दौड़ और पैदल चलने का अभ्यास करती हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक राम बाई का पूरा परिवार खेलों में नाम कमा रहा है। राम बाई राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अपनी तीन पीढ़ियों के साथ 100, 200 मीटर दौड़, रिले, लंबी कूद में चार गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास बना चुकी हैं।