चांद पर पहुंचने के बाद अब भारत सूर्य की तरफ कदम बढ़ा रहा है। भारतीय वैज्ञानिकों ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए ‘आदित्य-एल1’ को भेजा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य-एल1’ को शनिवार को सफलता पूर्वक लॉन्च किया। प्रक्षेपण इसरो के रॉकेट पीएसएलवी-सी57 से किया गया। एक घंटे से ज्यादा की यात्रा के बाद इसे निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया गया।
सफलतापूर्वक हुई लॉन्चिंग
देश के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य-एल1’ को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पूर्वाह्न 11.50 बजे रॉकेट पीएसएलवी-सी57 की मदद से लॉन्च किया गया। लॉन्च के करीब एक घंटे बाद आदित्य-एल1 अपनी तय कक्षा में सफलता पूर्व स्थापित किया गया। अब अगले लगभग चार महीनों में करीब 15 लाख किलोमीटर की यात्रा कर यह यह एल1 पॉइंट तक पहुंचेगा।
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी, पीएसएलवी-सी57 द्वारा आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यान ने उपग्रह को ठीक उसकी इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया है। भारत की पहले सौर मिशन ने एल1 बिंदु के गंतव्य के लिए अपनी यात्रा शुरू कर दी है।
एल1 पॉइंट तक पहुंचने में कितना समय लगेगा
आदित्य एल1 को जहां पहुंचना है, उसकी दूरी पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर है। आदित्य एल1 को एल1 प्वाइंट (लैंगरैंज प्वाइंट) तक पहुंचना है और यह दूरी पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर है। यह दूरी पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी की चार गुना है लेकिन सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी का बहुत मामूली, लगभग 1 प्रतिशत ही है। पृथ्वी से सूर्य की दूरी 15.1 करोड़ किलोमीटर है।
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी है, “लॉन्च से लेकर एल1 (लैंगरैंज प्वाइंट) तक पहुंचने में आदित्य एल-1 को लगभग चार महीने लगेंगे.”
सूर्य से कई करोड़ किलोमीटर दूर रहते हुए ‘आदित्य’ उसे लगातार निहारेगा। सूर्य के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटाने की कोशिश होगी। ठीक उसी तरह, जैसे अभी चंद्रयान-3 हमें चंद्रमा के बारे में रोज नई जानकारियां दे रहा है।
क्या है एल-1
मिशन में जिस एल1 का नाम दिया जा रहा है वो लैगरेंज प्वाइंट है। यह अंतरिक्ष में एक ऐसी जगह है जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित होता है। यहां एक किस्म का न्यूट्रल प्वाइंट विकसित हो जाता है जहां अंतरिक्ष यान के ईंधन की सबसे कम खपत होती है। लैगरेंज प्वाइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच गणितज्ञ जे. लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है।
मिशन का मुख्य उद्देश्य
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं के अलावा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है। ‘आदित्य-एल1’ के साथ सात पेलोड हैं। इनमें से चार सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे। इसरो के मुताबिक आदित्य-एल1 सूर्य के एल-1 प्वांइट पर जा कर किरणों के साथ सूर्य की तस्वीरें लेगा। आदित्य-एल1 अपनी कक्षा में पहुंचने पर जांच के लिए हर दिन करीब 1440 तस्वीरें ग्राउंड स्टेशन पर भेजेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने बधाई
आदित्य-एल1 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा जारी रखी है। हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई। इसरो को भी भारत के पहले सौर मिशन आदित्य -एल1 के सफल प्रक्षेपण के लिए बधाई। संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करने के लिए हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे।