पंचामृत अर्थात ‘पांच अमृत’। दूध, दही, घी, शहद, शकर को मिलाकर बनाए जाने वाले पंचामृत को प्रसाद के रूप में भगवान को चढ़ाया जाता। पांचों प्रकार के मिश्रण से बनने वाले पंचामृत से भगवान बहुत प्रसन्न होते है। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव जन्माष्टमी पर भी पंचामृत को बनाकर लड्डू गोपाल को भोग लगाते हैं। जन्माष्टमी के दिन सभी भक्तजन कान्हा जी का बर्थडे सिलेब्रेट करते हैं। लड्डू गोपाल को पसंदीदा पंचामृत का भोग लगाया जाता है। पंचामृत से भगवान का अभिषेक भी किया जाता है। इस जन्माष्टमी पर प्रसाद के लिए आप पंचामृत बना सकते हैं। यह आसानी से भी बन जाता है। आइए जानते है इसकी रेसिपी…

आवश्यक सामग्री

  • 1/2 कप दही
  • 1 कप गाय का दूध
  • 1/2 कप मखाना
  • 1/2 चम्मच देसी घी
  • 2 छोटी चम्मच शहद
  • 2 बड़ी चम्मच चीनी
  • 5-7 तुलसी के पत्ते

बनाने का तरीका

पंचामृत बनाने के लिए चांदी के एक बर्तन में 1 कप कच्चा दूध ले लीजिए। अब इस दूध में 2 बड़ी चम्मच चीनी डाल कर मिला लीजिए। चीनी के घुल जाने पर इसमें घी, 2 छोटी चम्मच शहद, 1/2 कप कटे हुए मखाना, 1/2 कप दही 5-7 तुलसी के पत्ते डाल कर मिला लीजिए। अब पंचामृत बन कर तैयार है। अगर आप के पास गंगा जल है तो पंचामृत में 1 बड़ी चम्मच गंगा जल भी मिला दीजिए।

पंचामृत पीने के फायदे

पंचामृत के पांचों तत्व दूध, दही, घी, शहद तथा शक्कर सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। इन पांच चीजों से बने मिश्रण में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, वसा तथा विटामिन जैसे तत्व होते हैं। ये सभी तत्व हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं। पंचामृत से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ती है। पंचामृत में तुलसी के पत्ते को मिलकर इसका नियमित सेवन से त्वचा की चमक बढ़ती है और कमजोरी दूर होती है। यह मानसिक विकास में सहायक है। मस्तिष्क से कार्य करने वालों के लिऐ यह लाभदायक है। इससे कैंसर, हार्ट अटैक, डायबिटिज, कब्ज और ब्लड प्रेशर जैसी रोगों से बचा जा सकता है।

इन बातों का रखें ध्यान

यह कोशिश करे की पंचामृत जिस दिन बनाएं उसी दिन खत्म कर दें। इसे अगले दिन के लिए न रखें। पंचामृत हमेशा दाएं हाथ से ग्रहण करें। इसे ग्रहण करने के दौरान अपना बायां हाथ दाएं हाथ के नीचे रखें। पंचामृत को भूमि पर न गिरने दें। पंचामृत को ग्रहण करने के बाद दोनों हाथों से शिखा को स्पर्श भी ज़रूर से करें। पंचामृत ग्रहण करने से पहले उसे सिर से लगाएं तत्पश्चात इसे मुख से ग्रहण करे। पंचामृत हमेशा तांबे के पात्र से देना चाहिए। तांबे में रखा पंचामृत बहुत ही शुद्ध हो जाता है तथा ये अनेकों बीमारियों से लड़ सकता है। पंचामृत के लिए गाय का दूध प्रयोग करना ज्यादा उत्तम माना जाता है।

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