हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा का विशेष महत्व है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला इंजीनियर और शिल्पकार माना जाता है। आज विश्वकर्मा जयंती है, तो इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने का विशेष महत्व है। विश्वकर्मा पूजा के दिन यंत्र और औजारों की पूजा की जाती है। इस दिन कारीगर, फर्नीचर बनाने वाले, मशीनरी, बुनाई और कारखानों से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा की उपासना कर औजारों और उपकरणों की पूजा करते हैं। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से कारोबार में वृद्धि होती है। व्यक्ति की कला में निखार आता है और व्यापार दोगुनी तरक्की करता है। आइए जानते हैं इस साल विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि) और महत्व।

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त

हिन्दु पंचांग के अनुसार विश्वकर्मा जयंती हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। इस साल भी 17 सितंबर को कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की विशेष रूप पूजा-आराधना की जाती है। आइए जाते हैं है पूजा का शुभ मुहूर्त। 

सुबह का मुहूर्त – 17 सितंबर 2023 को 7 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक है।

दोपहर का मुहूर्त – 17 सितंबर 2023, दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक का है।

भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि

  • विश्वकर्मा जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद घर, ऑफिस, दुकान या अपने कार्यस्थल की अच्छी तर सफाई करें। 
  • विश्वकर्मा पूजा के दिन कामकाज में आने वाले हर तरह के औजार व यंत्रों की साफ सफाई करें। इन पर गंगा जल छिड़कें।  
  • पूजा स्थल पर भी गंगाजल छिड़कर चौकी रखें और उसपर पीला कपड़ा बिछाएं।  
  • चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति अथवा चित्र स्थापित करें। कलश रखें। 
  • कुमकुम, हल्दी, अक्षत, फूल माला से भगवान की पूजा करें।
  • फूल अक्षत लेकर ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम मंत्र पढ़ें और चारो ओर छिड़कें। 
  • इसके बाद सभी मशीन, औजार और उपकरण आदि पर रक्षा सूत्र बांधे और प्रणाम करें। 
  • भोग लगाएं और भगवान विश्वकर्मा की आरती कर सभी में प्रसाद वितरण करें।

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भगवान विश्वकर्मा की पूजा का महत्व

भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला इंजीनियर और शिल्पकार माना जाता है। प्राचीन काल के सभी प्रसिद्ध नगरों व भवनों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया है। उन्होंने स्वर्ग से लेकर द्वारका जैसे नगरों के साथ साथ भगवान शंकर के त्रिशूल, भगवान हनुमान की गदा, यमराज का कालदंड, कर्ण के कुंडल व कवच तथा अन्य तरह के औजारों का निर्माण किया है। इसलिए हर तरह के यंत्रों और औजारों से अच्छी तरह से काम करने के लिए भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद की जरूरत होती है। विश्वकर्मा पूजा के दिन विधिविधान से उनकी पूजा करने से सालों भर भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती है। 

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।)

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